पिता,पिता होता है
पिता का रिश्ता अजीब होता है।
संसार में रिश्ता दूजा नहीं होता
फिर बाप का रिश्ता अनमोल होता है ।
वह उस बरगद के पेड़ जैसा होता है
जो सबको अपने छांव में रखता है।
कष्ट तब होता है जब उस
बरगद की देख-भाल वाला कोई नहीं होता है।
सब मतलब के यार होते हैं
बरगद तो बस सबको छांव देता है।
वही छोटे-छोटे पौधों को
सींचता पालता पोषता है।
बड़े होने पर वही पौधे
छोड़ देते हैं साथ उसका।
उन पौधों को नहीं मालूम
वह भी कभी अकेले होंगे।
उनके भी आस-पास ।
कोई नहीं होगा ।।
शरण! पिता,पिता होता है।
पिता का रिश्ता अजीब होता है।।
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Last Updated on January 4, 2021 by srijanaustralia