न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

ऐसे तो महंगा पड़ जाएगा ‘फ्री’ का हरी मिर्च और धनिया

Spread the love
image_pdfimage_print

सामयिक व्यंग्य : नफा-नुकसान – सुशील कुमार ‘नवीन’

सुबह-सुबह घर के आगे बैठ अखबार की सुर्खियां पढ़ रहा था। इसी दौरान हमारे एक पड़ोसी धनीराम जी का आना हो गया। मिलनसार प्रवृत्ति के धनीराम जी शासकीय कर्मचारी हैं। हर किसी को अपना बनाते वे देर नहीं लगाते हैं। रेहड़ी-खोमचे वाले से लेकर जिसे भी इनके घर के आगे से गुजरना हो, इनकी राम-राम और बदले में राम-राम देना बेहद टोल टैक्स अदा करने जैसा जरूरी होता है। यही वजह है कि मोहल्ले में वो धनीराम के नाम से कम और राम-राम के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं। इनकी राम-राम से जुड़ा एक मजेदार किस्सा फिर किसी लेख के संदर्भ में सुनाऊंगा। आज तो आप वतर्मान का ही मजा लें।

पास आने पर आज उनके कहने से पहले ही हमने राम-राम बोल दिया। मुस्कराकर उन्होंने भी राम-राम से जवाब दिया। घर-परिवार की कुशलक्षेम पूछने के बाद मैंने यों ही पूछ लिया कि आज सुबह-सुबह थैले में क्या भर लाए। बोले-थैले में नीरी राम-राम हैं। कहो, तो कुछ तुम्हें भी दे दूं। मैंने भी हंसकर कहा -क्या बात, आज तो मजाकिया मूड में हो।

बोले-कई बार आदमी का स्वभाव ही उसके मजे ले लेता है। मेरे मन में भी उत्सुकता जाग गई कि मिलनसार स्वभाव वाले धनीराम जी के साथ ऐसा क्या हो गया कि वो अपने इसी स्वभाव को ही मजाक का कारण मान रहे हैं। पूछने पर बोले-आज का अखबार पढ़ा है। नहीं पढा हो तो पढ़ लो। बिल्कुल आज मेरे साथ वैसा ही हुआ है। मैंने कहा-घुमाफिरा कर कहने की जगह आज तो आप सीधा समझाओ।

बोले-सुबह आज तुम्हारी भाभी ने सब्जी लाने को मंडी भेज दिया। वहां एक जानकार सब्जी वाला मिल गया। राम-राम होने के बाद अब दूसरी जगह तो जाना बनना ही नहीं था। जानकार निकला तो मोलभाव भी नहीं होना था। उसी से सौ रुपये की सब्जी ले ली। धनिया-मिर्च उसके पास नहीं था। दूसरे दुकानदार के पास गया तो बोला-सब्जी खरीदो, तभी मिलेगा। अब धनिया-मिर्ची के चक्कर में उससे भी वो सब्जी खरीदनी पड़ गई, जिसकी जरूरत ही नही थी। फ्री के धनिया-मिर्च के चक्कर में सुबह-सुबह पचास रुपये की फटाक बेवजह लग गई। मैंने कहा-कोई बात नहीं सब्जी ही है,काम आ जाएगी। बोले-बात तुम्हारी सही है, आलू,प्याज उसके पास होते तो कोई दिक्कत नहीं थी। पर उसके पास भी पालक, सरसों ही थे। जो पहले ही ले रखे थे। अब एक टाइम की सब्जी तो खराब होनी ही होनी। पहले वाले से राम-राम नहीं की होती तो दूसरे से ही सब्जी खरीद लेता। नुकसान तो नहीं होता। मैंने कहा-चलो, राम-राम वाली पालक-सरसों मेरे पास छोड़ जाओ।हंसकर बोले-आप भी राम-राम के ऑफर की चपेट में आ ही गए। मैंने कहा-मुझे तो वैसे भी आज ये लानी ही थी। आप तो ये बताओ कि अखबार की कौन सी खबर का ये उदाहरण था।

बोले-खजाना मंत्री ने कर्मचारियों को आज दो तोहफे दिए। दोनों फ्री के धनिया-मिर्च जैसे हैं। पर इन्हें लेने के लिए महंगे भाव के गोभी-कद्दू लेने पड़ेंगे। बिना इन्हें खरीदे ये नहीं मिलेंगे। मैंने कहा-आपकी बात समझ में नहीं आई। बोले-कर्मचारियों को चार साल में एक बार एलटीसी मिलती है। अब तक एक माह के वेतन के बराबर एलटीसी मिलती थी। अब कह रहे हैं तीन गुना खर्च करोगे तो पूरी राशि मिलेगी। खर्च भी जीएसटी लगे उत्पादों पर करना होगा।  अब ये बताओ ऐसा कौन होगा जो 10 हजार के फ्री ओवन के चक्कर में 40 हजार की वाशिंग मशीन खरीदेगा। या डीटीएच फ्री सर्विस के लिए 30हजार की एलईडी खरीद अपना बजट बिगाड़ेगा। जब काम 10 हजार की वाशिंग मशीन और 10 हजार की एलईडी से चल रहा है तो ऐसा ऑफर लेना तो मूर्खता ही है।

मैंने कहा-ये ऑफर का गणित मेरे समझ में नहीं आया। बोले- दो दिन रूक जाओ, सारे कर्मचारी बिलबिलाते देखोगे। महानुभाव, फेस्टिवल ऑफर का नुकसान का आकलन हमेशा खरीद के समय नहीं, बाद में होता है। पालक-सरसों के रुपये जब देने लगा तो बोले-ये भाईचारे का ऑफर है, फेस्टिवल का नहीं। यह कह हंसकर निकल लिए। मुझे भी उनकी बात में गम्भीरता लगी। ऐसे तो महंगा पड़ जाएगा, ये फ्री का मिर्च और धनिया। भला 100 रुपये की शर्त जीतने के चक्कर में पांच सौ का नोट फाड़कर थोड़े ही दिखाएंगे।

(नोट : लेख मात्र मनोरंजन के लिए है, इसे अपने किसी सन्दर्भ में न जोड़ें)

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद है)  

संपर्क : 9671726237

Last Updated on November 25, 2020 by dmrekharani

Facebook
Twitter
LinkedIn

More to explorer

2025.06.22  -  प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता  प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ  --.pdf - lighttt

‘प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता : प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागिता प्रमाणपत्र

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता पर  दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न प्रयागराज, 24

2025.06.27  - कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण - --.pdf-- light---

कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  परकृत्रिम मेधा के दौर में

light

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर

Leave a Comment

error: Content is protected !!