डॉ. रेखा जैन की कविता – ‘परिणय’
सुखद जीवन की अनुभूति से लजाई
दुल्हन बनी बैठी सजी सजाई
हाथों में मेहंदी रचाई
अपने साथ अनेक अरमान लाई
परिणय कर प्रिय संग ससुराल आई
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुखद जीवन की अनुभूति से लजाई
दुल्हन बनी बैठी सजी सजाई
हाथों में मेहंदी रचाई
अपने साथ अनेक अरमान लाई
परिणय कर प्रिय संग ससुराल आई