1

‘राजभाषा हिंदी और बैंकिंग : विविध आयाम’ विषय पर विषय-विशेषज्ञ से वार्ता वार्ता 7 जून 2025 को

7 जून को 7वें विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर विशेष रिपोर्ट
राजभाषा हिंदी और बैंकिंग : विविध आयाम’ विषय पर आयोजित होगी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वार्ता

7 जून, 2025 को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर ‘राजभाषा हिंदी और बैंकिंग : विविध आयाम’ विषय पर एक विशेष विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया जा रहा है।

 

यह कार्यक्रम हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर 30 मई 2025 से 30 जून 2025 तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025’ के अंतर्गत होगा। यह कार्यक्रम ‘न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन’ एवं ‘अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें त्रिपुरा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. आंबेडकर चेयर, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (बठिंडा), आशा पारस फॉर पीस एंड हार्मनी फाउंडेशन, एकलव्य विश्वविद्यालय (दमोह), अमरावती ग्रुप ऑफ इन्स्टिच्यूशन, थाईलैंड हिंदी परिषद, जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय सहित सृजन ऑस्ट्रेलिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर, सृजन मलेशिया, सृजन अमेरिका, सृजन थाईलैंड, सृजन यूरोप और मधुराक्षर जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाएँ और संस्थान भी सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।

 

इस कार्यक्रम के अंतर्गत विषय-विशेषज्ञ के रूप में गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजभाषा गौरव पुरस्कार से सम्मानित डॉ. साकेत सहाय, वरिष्ठ लेखक, भाषाकर्मी एवं मुख्य प्रबंधक (राजभाषा), पंजाब नेशनल बैंक, अंचल कार्यालय, हैदराबाद आमंत्रित हैं।

डॉ. सहाय हिंदी, जनसंचार और बैंकिंग के क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव रखते हैं और 500 से अधिक लेख एवं समीक्षाएँ राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कर चुके हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया : भाषिक संस्कार एवं संस्कृति’, ‘जन बैंकिंग: ई-बैंकिंग’ और ‘वित्त, बैंकिंग व भाषा: विविध आयाम’ शामिल हैं। वे हिंदी भाषा में वित्तीय एवं बैंकिंग विषयों को सरल एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। डॉ. सहाय ने भारतीय वायु सेना एवं बैंकिंग उद्योग में कार्य करते हुए भाषा, संचार, वित्त एवं सोशल मीडिया जैसे विषयों पर 100 से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र भी प्रस्तुत किए हैं।

कार्यक्रम में वार्ताकार और मंच संचालक के रूप में डॉ. शैलेश शुक्ला उपस्थित रहेंगे, जो वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, साहित्यकार और ‘सृजन ऑस्ट्रेलिया’, ‘सृजन मॉरीशस’, ‘सृजन अमेरिका’, ‘सृजन यूरोप’, ‘सृजन मलेशिया’ और ‘सृजन थाईलैंड’ जैसी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के वैश्विक प्रधान संपादक भी हैं।

कार्यक्रम का आयोजन 7 जून 2025 को शाम 7:30 बजे निर्धारित किया गया है। इस वार्ता का उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में राजभाषा हिंदी के विविध आयामों पर गहन विमर्श करना है, ताकि हिंदी भाषा का प्रयोग बैंकिंग सेवाओं में और अधिक सशक्त हो सके। इसके अंतर्गत ई-बैंकिंग, डिजिटल बैंकिंग, वित्तीय शब्दावली, ग्राहक सेवा में हिंदी भाषा की भूमिका, राजभाषा कानूनों का अनुपालन, तथा तकनीकी शब्दावली जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

कार्यक्रम की विशेषता यह भी है कि हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष और अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह के उत्सव में यह आयोजन ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ के अवसर पर किया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों और वैश्विक विषयों से जुड़कर कैसे भारतीय समाज और वैश्विक हिंदी समाज में सकारात्मक योगदान दिया जा सकता है।

कार्यक्रम में डॉ. कल्पना लालजी (राष्ट्रीय संयोजक, सृजन मॉरीशस), डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री (संस्थापक-संपादक, मधुराक्षर), प्रो. रतन कुमारी वर्मा (जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज), डॉ. हृदय नारायण तिवारी (एकलव्य विश्वविद्यालय), श्री कपिल कुमार (वरिष्ठ पत्रकार, सृजन यूरोप), डॉ. सोमदत्त काशीनाथ (राष्ट्रीय संपादक, सृजन मॉरीशस), श्री अरुण नामदेव (राष्ट्रीय संपादक, सृजन अमेरिका), शालिनी गर्ग (राष्ट्रीय संपादक, सृजन कतर), ब्राउस की पूर्व कुलगुरु माननीय प्रो. आशा शुक्ला (संरक्षक) और मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय के पूर्व महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्रा (मार्गदर्शक) सहित अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और विद्वानों की सहभागिता रहेगी।

 

कार्यक्रम के आयोजन के लिए मुख्य संयोजक के रूप में श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला (संस्थापक-निदेशक, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन, लखनऊ) तथा संयोजक श्री प्रशांत चौबे (संस्थापक-निदेशक, अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन, लखनऊ) सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यह आयोजन हिंदी भाषा के संवर्धन एवं बैंकिंग क्षेत्र में उसकी महत्ता को रेखांकित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश-विदेश में हिंदी के प्रयोग को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम के समस्त विवरण और पंजीकरण की जानकारी के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025’ के आधिकारिक लिंक https://tinyurl.com/IHJM2025DetailsLinksQRCodes पर भी उपलब्ध है। आयोजकों ने हिंदी प्रेमियों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों और बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्तियों से इस महत्वपूर्ण संवाद का हिस्सा बनने का अनुरोध किया है, ताकि हिंदी भाषा के वैश्विक परिदृश्य में एक नया आयाम स्थापित किया जा सके।

यह कार्यक्रम ‘न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन’ एवं ‘अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।

इसके सहयोगी संस्थानों में त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. आंबेडकर चेयर, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बीआईयू कॉलेज ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड जर्नलिज्म, बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, एकलव्य विश्वविद्यालय (दमोह, मध्यप्रदेश), अमरावती ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, थाईलैंड हिंदी परिषद, जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज (प्रयागराज), शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय (सूरजपुर), सृजन ऑस्ट्रेलिया, सृजन मॉरीशस, सृजन अमेरिका, सृजन थाईलैंड, सृजन यूरोप, मधुराक्षी आदि पत्रिकाएँ एवं संस्थाएँ शामिल हैं। इस बहुआयामी आयोजन से हिंदी भाषा, पत्रकारिता और साहित्य को वैश्विक मंच पर नया आयाम मिलने की संभावना प्रबल है।

उन्होंने न केवल यूके में हिंदी लेखन, संपादन और पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी विश्व पटल पर सशक्त किया है। उनके अनुभवों से श्रोतागण हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक आयामों को समझने का एक दुर्लभ अवसर प्राप्त करेंगे।

कार्यक्रम का मंच संचालन और वार्तालाप वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षाविद्, साहित्यकार एवं सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह के वैश्विक प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला करेंगे।

डॉ. शुक्ला का नाम हिंदी पत्रकारिता, साहित्य और राजभाषा के क्षेत्र में एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हिंदी के विकास, प्रचार-प्रसार एवं वैश्वीकरण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। उनके संयोजन में यह कार्यक्रम अत्यंत प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक बनने की उम्मीद है।

कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े संयोजकों में मॉरीशस की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. कल्पना लालजी, कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री, प्रो. रतन कुमारी वर्मा, डॉ. हृदय नारायण तिवारी, श्री कपिल कुमार, डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, श्री अरुण नामदेव और शालिनी गर्ग जैसे अनुभवी और समर्पित विद्वान शामिल हैं। इनके साथ संरक्षक के रूप में इंदौर के महु में स्थित भीम राव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की  पूर्व कुलगुरु माननीय प्रो. आशा शुक्ला और मॉरीशस स्थित  विश्व हिंदी सचिवालय के पूर्व महासचिव  माननीय प्रो. विनोद कुमार मिश्र का मार्गदर्शन भी इस आयोजन को विशिष्ट नेतृत्व प्रदान कर रहा है।

यह कार्यक्रम हिंदी पत्रकारिता के ऐतिहासिक यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है, जिसमें यूके में हिंदी के विविध आयामों को समझने और वैश्विक हिंदी पत्रकारिता के भविष्य की दिशा तय करने के लिए विशेषज्ञों के अनुभवों और विचारों को साझा किया जाएगा। कार्यक्रम के सभी विवरणों के लिए आयोजकों द्वारा लिंक https://srijanaustralia.srijansansar.com/ भी उपलब्ध कराया गया है।

यह आयोजन निश्चित ही हिंदी पत्रकारिता के अंतरराष्ट्रीय विस्तार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा, जिससे हिंदी प्रेमियों को प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलेगा। हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों की इस ऐतिहासिक यात्रा को और भी व्यापक बनाने के लिए ऐसे कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

इस महोत्सव में भाग लेने हेतु सभी प्रतिभागियों को पूर्व पंजीकरण आवश्यक है। पंजीकरण लिंक :-  https://tinyurl.com/IHJM2025ForAllPrograms और क्यू आर कोड :- 

कार्यक्रम से जुड़ने के लिए गूगल मीट लिंक – https://tinyurl.com/IHJM2025 और क्यू आर कोड उपलब्ध कराया गया है :-

आयोजन से जुड़ी ताज़ा जानकारी के लिए टेलीग्राम चैनल लिंक : https://t.me/SrijanAustraliaIEJournaL  और क्यू आर कोड :- 

व्हाट्सएप चैनल लिंक : https://whatsapp.com/channel/0029Vakop6x0lwgge8FkKy1v और क्यू आर कोड :- 

और व्हाट्सएप समूह लिंक : https://chat.whatsapp.com/KCXWeRI0jUYEhbcywcxyMa और क्यू आर कोड :- 

 न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन तथा अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन की संस्थापक-निदेशक श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला ने बताया कि यह आयोजन विश्वस्तरीय स्तर पर हिंदी पत्रकारिता की स्थिति, चुनौतियों और संभावनाओं को एक साथ मंच पर लाकर संवाद, विमर्श और नवाचार की दिशा में एक निर्णायक पहल करेगा। यह आयोजन न केवल हिंदी पत्रकारिता के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करता है, बल्कि डिजिटल युग में उसके बदलते स्वरूप को भी वैश्विक विमर्श का हिस्सा बनाता है। यह महीना निश्चित रूप से हिंदी के लिए एक नई जागरूकता, आत्मगौरव और अंतरराष्ट्रीय संवाद का उत्सव सिद्ध होगा।