प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता
प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता- तुम्ही से है
शिकायत भी तुम्हीं से है,
शरारत भी तुम्हीं से है।
मेरी आँखों में दिखती जो,
नज़ाकत भी तुम्हीं से है।
दीवानगी का आलम है,
मोहब्बत तो तुम्हीं से है।
मेरा श्रृंगार, मेरे सपने,
मेरी उम्मीद, मेरे अपने।
मेरे बालों के गजरे में,
महकती वो जो खुशबू है।
मेरी हर सांस सांसों में,
धड़कती वो जो आहट है।
वो आहट भी तुम्हीं से है,
मोहब्बत भी तुम्हीं से है।
तेरा गुस्सा, तेरे नख़रे,
हैं खटके और हमें अखरें।
मेरा दिल पढ़ ही लेता है,
तेरे दिल का जो किस्सा है।
मैं तेरा हिस्सा हूं,
तू मेरा हिस्सा है।
हर एक सावन में,
झूमूं मैं उड़ जाऊं।
ये मेरे ख्वाब सब सपने,
ये मेरे रात मेरे दिन।
मेरे ख्यालात तुम्हीं से हैं,
मेरे जज़्बात तुम्हीं से हैं।
मेरे जज़्बात तुम्हीं से हैं,
मेरे ख्यालात तुम्ही से हैं।
✍जूही खन्ना कश्यप
नई दिल्ली
प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता- शादी की सालगिरह
जीवन के हसीन
सफर के अध्यायों के शुरुआत की,
याद है सालगिरह।
साइकिल के दो पहियों सी,
बात है सालगिरह।
एक पंचर हो,
तो दूसरा पहिया साइकिल,
ज्यादा खींच नहीं पाता।
जीवन भी यह अध्याय,
दोबारा नहीं दोहराता।
तनहा अकेले सफर में,
हमराही ने जो पकड़ा,
वो हाथ है सालगिरह।
तन से लेकर मन,
मिलने की बात है सालगिरह।
चूड़ियों की खनखन,
इत्र की महक है सालगिरह।
हर वर्ष के संघर्षों,
खुशियों के साथ का,
प्रमाण है सालगिरह।
काले बालों से,
सफेद तक का साथ है सालगिरह।
अपने छोटे स्वरूप,
अपने बच्चों में,
खुद को फिर से जीने,
अपने परिवार के शुरुआत की,
याद है सालगिरह।
एक दूसरे के हौसलों की,
बात है सालगिरह।
हर साल दूल्हे-दुल्हन सा,
एहसास है सालगिरह।
एक दूसरे के चेहरे की,
मुस्कान है सालगिरह।
प्रेम का साक्ष्य,
सुहागन के सिंदूर का,
मान है सालगिरह।
आधे-आधे से पूर्ण हुए,
एहसास है सालगिरह।
✍जूही खन्ना कश्यप
नई दिल्ली