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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

6 मैपलटन वे, टारनेट, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

International Desh bhakti Kavya pratiyogita

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देशभक्ति कविता

 

जय जवान जय किसान

 

यह देश है वीर जवानों का, यह देश है वीर किसानों का।

उनके ही कन्धों पर भार है पूरे हिन्दुस्तान का।

जो सरहद पर दिनरात हमारी रक्षा करते है,

हम अपने घर में बैठे अमन-चैन से सोते हैं।

वन रैंक वन पेंशन पूरी तरह से मिले, सभी सैनिको की माँगे है,

तरह-तरह की पेंशन में भिन्नता, यह उनके लिए सब घाते हैं।

पूरी पेंशन पाने के लिए क्यो वीरता सम्मान वापस करना पड़ता है ?

जब हम वीर जवानों को मजबूर करते हैं उनकी नहीं सुनते हैं।

तब अपनी बात सुनाने के लिए, सरकार तक बात पहुँचाने के लिए,

वीरता सम्मान वापस करने का रास्ता चुनने को मजबूर होना पड़ता है।

हम हमेशा कहते हैं, हम सैनिकों का बहुत सम्मान करते हैं,

सैनिकों क पूरा सम्मान तभी महसूस होगा,

जब पूरी पेंशन आजीवन बिना किसी टेंशन के मिलेगी।

वीर शहीदो को हम देशवासी बार-बार कोटिश: नमन करते है,

और नमन करते है उनके माता-पिता, भाई-बन्धु परिवार को,

जो उनके न रहने पर हर तरह का कष्ट सहते हैं।

हम आजाद होकर अमन चैन से सोते हैं।

जो भी वीर-जवान देश हित में शहीद हो जाये,

उसके परिवार को पूरी पेंशन मिलना जरूरी है।

सेवा शर्तों और नियमावलियों में बदलाव लाना जरूरी है,

पुराने नियम कानून को ही ढोने की क्या मजबूरी है।

सबके प्रति बदल रहे हैं तो जवानों के प्रति क्यों नहीं बदलते है,

उनकी दिक्कतों पर हम  गम्भीरता से क्यों नहीं विचार करते है।

उनके परिवार की कठिनाइयों पर क्यों नहीं ध्यान देते हैं,
इस देश के लिए मर मिटने वाला हर एक सैनिक शहीद है

जब हम वीर सैनिकों को शहीद का दर्जा देते है, सम्मान करते हैं,

तब हम सैनिकों के लिए शहीद पेंशन योजना लाने से क्यों कतराते हैं।

तब हम क्यों यह नियम लागू करते है कि सेवाकाल की अवधि यह होनी चाहिए,

जो सैनिक सौभाग्यशाली है, वो पूरी सेवा करते है,

पूरी पेंशन पाते हैं आजीवन और पूरा सम्मान पाते हैं

पर जिस माता-पिता का वीर लाल सेना में जाते ही,

सीमा की रक्षा करता हुआ शहीद हो जाता है

उसका पार्थिव शरीर तिरंगा झण्डा में लपेटकर वापस आता है

पत्नी के हाथों की मेंहदी, पैरों में महावर की लाली,

अभी सूख भी नहीं पायी होती है, माँग का सिन्दूर लुट जाता है

उसके माता-पिता, पत्नी को पूरी पेंशन क्यों नहीं मिल पाती है ?

तब सेवा काल का समय क्यों मापा जाता है ?

क्यों आधार बनाया जाता है समय सीमा का ?

सेवाकाल का समय नहीं, उद्देश्य देखना चाहिए,
भारत माँ के हर वीर लाल को पेंशन मिलना चाहिए।

क्या बात है कि आज किसान आन्दोलन पर उतर आये हैं ?
उनसे वार्ता कर हम उनकी बात को क्यों नहीं सुलझा पाये हैं ?

जब हम मानते है कि किसान ही हमारा अन्नदाता है

वहीं हमें खिलाता है वही हमें जिलाता है।

वह ही हमारे राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी है

उसके बिना पूरा राष्ट्र धूल की पगडण्डी है।

जनता के लिए जनता के राज का सपना तभी पूरा होगा,

जब हर जवान, हर किसान के मन का सपना पूरा होगा।

किसानो की उन्नति कैसे होगी ? जब तक हम इस पर विचार नहीं करेंगे,

तब तक उनकी स्थिति में आवश्यक सुधार कैसे होंगे ?

स्वामीनाथन से लेकर अब तक के किसानों की आवाज सुननी होगी।

तभी किसानो की हालत बदलेगी, उनकी बिगड़ी दशा सुधरेगी।

किसानों की उन्नति की बात तो अभी दूर की कौड़ी है

लागत अधिक लगती पर कीमत मिलती बहुत थोड़ी है।

किसान कभी अतिवृष्टि, कभी ओलावृष्टि का शिकार बन जाता है।

कभी सूखा पीड़ित कभी विविध प्रकार के कीटों के नुकसान को सहता है।

उसकी खेत में लगाई हुई लागत, मेहनत भी नहीं मिल पाती है

ऊपर से एम.एस.पी. की माँग भी नहीं पूरी हो पाती है।

हमारा अन्नदाता आत्महत्या करने को क्यों मजबूर हो जाता है ?

जो मेहनत करके दूसरों को खिलाता हैं, वह क्यों खुद खत्म हो जाता है?

उसकी इस समस्या की जड़ को समझना जरूरी है

आत्महत्या करने की मजबूरी को दूर करना बहुत ही जरूरी है।

ऐसी व्यवस्था करनी होगी, हर किसान खुशहाल हो जाये

किसान खुश तभी हो पायेगा, जब उसकी स्थिति बदलेगी।

जब उसके उत्पादन के बदले अच्छी कीमत की गारण्टी होगी।

जब हम जुबान से किसानों का बहुत सम्मान करते है।

तब हम उनकी माँगों को उनके अनुसार क्यों नहीं मान लेते है

किसान भी खुशहाल हो जायें, जवान भी खुशहाल हो जायें।
भारत माँ के हर लाल के चेहरे पर मुस्कान लहराये।

यह देश है वीर जवानों का, यह देश है वीर किसानों का।

उनके ही कन्धों पर है भार सारे हिन्दुस्तान का।

उनको बार-बार नमन करता है सारा हिन्दुस्तान।

जय जवान – जय किसान, जय जवान जय किसान।

 

 

                           एसोशिएट प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष

                  हिन्दी विभाग

                                 जगत तारन गर्ल्स पी.जी.कालेज,

                                     इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज।

 

 

 

Last Updated on January 12, 2021 by drratankmverma.jtdc

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