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हेतराम हरिराम भार्गव की कविता- ‘मैं वही तुम्हारा मित्र हूं..’

मैं वही तुम्हारा मित्र हूं…

मैं धर्म निभाता मानवता का,
मैं सत्य धर्मी का मित्र हूँ
न्याय उचित में सदा उपस्थित
मैं धर्म प्रेम का चरित्र हूँ
मैं सदा मित्र धर्म निभाने वाला
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

मैं मित्रता को रखता नयन
मैं ईश्वर का आभार मानकर
मैं सत्य और विश्वास निभाता
अपना सौभाग्य जानकर
मैं मित्रता के बिंदु का चित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूं।

सुनता नहीं मित्रता विरूद्ध,
जो कोई आवाज उठाता है
जहाँ मित्र जुड़े हो स्नेह में,
वहाँ शीश मेरा झुक जाता है
मैं मित्रता भावनाओं में पवित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

मैं निश्छल मन मानस से
मैं मित्रता प्रेम का दर्पण हूँ
मेरी हार, मेरी जीत मित्रता है
मैं मित्रता का अर्पण हूँ
मित्रों की मित्रता से रचित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

स्वाभिमान प्रेम से सदा
मित्रता के निर्णय लेते आऊंगा
सदा विश्वास बांटकर मित्रता
मित्रों की सदा निभाऊंगा
मैं तुच्छ श्रेष्ठ मित्रों का जनित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

                                                                                 -हेतराम हरिराम भार्गव ”हिन्दी जुड़वाँ”