एस. डी. तिवारी की कविता – ‘श्रमिक’
पत्थर तोड़कर भी, नाम मिला ना दाम मिला। बस छोटा सा काम मिला। सर्दी व बारिश गहरी में, गर्मी की दोपहरी में, कभी सड़क बनी, कभी महल बना, तनिक नहीं …
पत्थर तोड़कर भी, नाम मिला ना दाम मिला। बस छोटा सा काम मिला। सर्दी व बारिश गहरी में, गर्मी की दोपहरी में, कभी सड़क बनी, कभी महल बना, तनिक नहीं …