श्याम ‘राज’ की कविता – ‘सुना है मेहंदी’
साथ रहने का वादा किया था हमसे उन्होंने
भुला कर हमें अब उनके साथ रहने वाली हैं…
साथ रहने का वादा किया था हमसे उन्होंने
भुला कर हमें अब उनके साथ रहने वाली हैं…
मोल-भाव यहां तुम मत करना
बस दो रूपये का है एक दीया |