भूमन्डलीकरण में दलित स्त्री के जीवन में बदलाव
“आकाश चाहती है
हर लड़की –
सोचती है सूरज चाँद तारों के बारे में
सपनों में आता है चाँद पर अपना घर -घर
उसके पैर धरती पर जमें हैं ।
“आकाश चाहती है
हर लड़की –
सोचती है सूरज चाँद तारों के बारे में
सपनों में आता है चाँद पर अपना घर -घर
उसके पैर धरती पर जमें हैं ।
‘मैं वही तुम्हारा मित्र हूं’
लेख में दिए गए सुझावों पर अमल से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
स्त्रियों के बाल कविता है स्वयं जब सुलझाती उनको मानो चुने जा रहे शब्द एक-एक लट की तरह। लहराते हैं जब खुले बाल हवा के संग मानो बहे जाते शब्द …
मीनाक्षी डबास ‘मन’ की कविता – ‘स्त्रियों के बाल’ Read More »
बेरोजगार कितना मुश्किल यह स्वीकार हूँ, मैं भी बेरोजगार। सत्य को झुठलाया भी नहीं जा सकता न ही इससे मुँह मोड़ सकती हूँ मैं परम् सत्य तो यही है लाखों …
ये जीवन जितनी बार मिले माता तुझको अर्पण है इस जीवन का हर क्षण ,हर पल माता तुझको अर्पण है। यही जन्म नहीं, सौ जन्म भी माता तुझ वारूँ मैं …
सामयिक व्यंग्य: पावर ऑफ टाइम सुशील कुमार ‘नवीन’ राजा नम्बर वन, मंत्री-सभासद नम्बर वन। प्रजा नम्बर वन,प्रजातन्त्र नम्बर वन। प्रचार नम्बर वन, प्रचारक नम्बर वन। प्रोजेक्ट नम्बर वन, प्रोजेक्टर नम्बर …
व्यक्ति और समाज का संबंध है पेड़ और भूमि जैसा व्यक्तित्व रूपी पेड़ समाज रूपी भूमि पर खूब फूलता-फलता हो जैसा। व्यक्ति और समाज हैं दोनों पारस्परिक एक दूसरे के …
डॉ. नानासाहेब जावळे की कविता – “समाज और व्यक्ति” Read More »