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पत्ते  – उत्तीर्णा धर 

     

प्रथम में हल्का हरे रंग का लाल लाल
जैसे हरियाली में ढल गया हो गुलाल l

अति लघु लिए हैं शिशु का रूप
निखरता है रंग जब इसमें पड़ती धूप l

धीरे-धीरे गहरे हरे रंग में बदलाव
धूप में भी पहुंचाता है यह  छांव l

सिकुड़ने लगता है वृद्धावस्था में
रंग में परिवर्तन होता है फिर से l

अब कनक समान पीले रंग का हो जाता है
जैसे टहनी से बस यह छूटना ही चाहता है l

भूरे रंग में बदलकर अब छूट पड़ता है
हवा के सहारे इधर-उधर भटकता रहता है l