अमूल्य त्रिपाठी की कविता – ‘हिंदी’
भारत की आन है हिंदी,
देश का अभिमान है,हिंदी,
फ़िर क्यूँ एक दिन की मेहमान है हिन्दी.
अंग्रेज़ों की वाकपटुता में,
खो गयी अपनी शान है हिंदी,
आज अनपढ़ो की पहचान है हिन्दी।
भारत की आन है हिंदी,
देश का अभिमान है,हिंदी,
फ़िर क्यूँ एक दिन की मेहमान है हिन्दी.
अंग्रेज़ों की वाकपटुता में,
खो गयी अपनी शान है हिंदी,
आज अनपढ़ो की पहचान है हिन्दी।
वो रातें मुझे पसंद है, वो बातें मुझे पसंद है, तेरी मुहब्बत की हर, यादें मुझे पसंद है। चाँदनी रातों में तेरा, खूबसूरत दमकता चेहरा, इन आँखों को बड़ा पसंद …