प्रभांशु कुमार की नई कविता-मेरे अंदर का दूसरा आदमी
मेरे अंदर का दूसरा आदमी मेरा दूसरा रुप है, वर्तमान परिदृश्य का सच्चा स्वरूप है। रात में सो रहा होता हूं उसी समय मेरे अंदर का दूसरा आदमी अस्पताल के …
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