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कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  पर
कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025’ के अंतर्गत ‘कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण’ विषय पर एक महत्वपूर्ण विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून 2025 को शाम 7:30 बजे किया जाएगा।

यह आयोजन ‘न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन’ एवं ‘अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें हिंदी पत्रकारिता के साथ-साथ सैन्य इतिहास और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतीक रहे फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी।


इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन त्रिपुरा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. आंबेडकर चेयर, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (बठिंडा), आशा पारस फॉर पीस एंड हार्मनी फाउंडेशन, एकलव्य विश्वविद्यालय (दमोह, मध्य प्रदेश), अमरावती ग्रुप ऑफ इन्स्टिच्यूशन, थाईलैंड हिंदी परिषद, जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय तथा सृजन ऑस्ट्रेलिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर, सृजन मलेशिया, सृजन अमेरिका, सृजन थाईलैंड, सृजन यूरोप, मधुराक्षर आदि अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के सहयोग से किया जा रहा है। यह आयोजन हिंदी पत्रकारिता में कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence) के बढ़ते उपयोग और उसके प्रभावों पर गहन संवाद को समर्पित होगा, जिसमें विषय-विशेषज्ञ प्रो. संजीव भानावत (प्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञ, पूर्व अध्यक्ष, जनसंचार केन्द्र, राजस्थान विश्वविद्यालय और संपादक, कम्युनिकेशन टुडे) अपने विचार साझा करेंगे।

फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके अदम्य साहस, नेतृत्व और भारतीय सैन्य इतिहास में उनके अतुलनीय योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, जिन्हें प्यार से ‘सैम बहादुर’ कहा जाता है, 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व करते हुए देश को ऐतिहासिक विजय दिलाने वाले भारत के पहले फ़ील्ड मार्शल थे। 27 जून 2008 को उनका निधन हुआ था, और इस आयोजन में उनके योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया जाएगा।
कार्यक्रम में वार्ताकार एवं मंच संचालक की भूमिका वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और ‘सृजन संसार’ अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह के वैश्विक प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला निभाएंगे। डॉ. शुक्ला के अनुभव और संवाद शैली इस कार्यक्रम को और भी ज्ञानवर्धक और संवादपरक बनाएगी। इस कार्यक्रम में हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों के सफर को याद करते हुए डिजिटल युग में पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव पर चर्चा होगी। इसके साथ ही न्यू मीडिया के माध्यम से हिंदी पत्रकारिता के प्रशिक्षण में आने वाली संभावनाओं, चुनौतियों और नई तकनीकी दिशा पर भी विचार-विमर्श होगा।
इस कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. कल्पना लालजी (राष्ट्रीय संयोजक, सृजन मॉरीशस), डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री (संस्थापक-संपादक, मधुराक्षर), प्रो. रतन कुमारी वर्मा (जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज), डॉ. हृदय नारायण तिवारी (एकलव्य विश्वविद्यालय), श्री कपिल कुमार (वरिष्ठ पत्रकार, सृजन यूरोप), डॉ. सोमदत्त काशीनाथ (राष्ट्रीय संपादक, सृजन मॉरीशस), श्री अरुण नामदेव (राष्ट्रीय संपादक, सृजन अमेरिका), शालिनी गर्ग (राष्ट्रीय संपादक, सृजन कतर), प्रो. आशा शुक्ला (संरक्षक) और प्रो. विनोद कुमार मिश्रा (मार्गदर्शक) सहित अनेक विद्वानों का योगदान सुनिश्चित किया गया है।


कार्यक्रम की सफलता के लिए श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला (मुख्य संयोजक एवं संस्थापक-निदेशक, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन, लखनऊ) और श्री प्रशांत चौबे (संयोजक, अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन, लखनऊ) का विशेष सहयोग उल्लेखनीय है। यह आयोजन न केवल हिंदी पत्रकारिता में तकनीकी बदलाव और प्रशिक्षण के नए दृष्टिकोण पर विमर्श करेगा, बल्कि भारत के गौरवशाली सैन्य इतिहास के प्रति भी नई पीढ़ी को जागरूक करेगा।

आयोजकों ने हिंदी पत्रकारिता, मीडिया शिक्षण, तकनीकी शिक्षा, रक्षा अध्ययन, अभिलेख विज्ञान और सामाजिक विज्ञान से जुड़े सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों, पत्रकारों और भाषा प्रेमियों से इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में सहभागी बनने का आग्रह किया है। आयोजन की समस्त जानकारी, पंजीकरण और कार्यक्रम लिंक ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025’ के आधिकारिक लिंक https://tinyurl.com/IHJM2025DetailsLinksQRCodes पर उपलब्ध हैं। आयोजकों का विश्वास है कि यह आयोजन हिंदी पत्रकारिता को नई ऊँचाइयाँ देने के साथ-साथ फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के बलिदान और उनकी नेतृत्वगुणों की गौरवगाथा को भी नई पीढ़ी तक पहुँचाएगा।




मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन 

न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन अमेरिका, सृजन मलेशिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर एवं हिंदी विभाग, कला एवं मानविकी संकाय, एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह- 2025 के अंतर्गत 25 जून 2025 को सुबह 11 बजे से ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों से मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता : विविध आयाम विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी।

इसमें हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, जनपदीय लेखन, पत्र-पत्रिकाएँ, स्वतंत्रता आंदोलन, आधुनिक तकनीक, डिजिटल मीडिया, और नई प्रवृत्तियों से जुड़े विविध पहलुओं पर देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विद्वानों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, मॉरीशस, कतर के विद्वानों ने मंथन किया।

यह आयोजन एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, प्रति कुलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया एवं श्रीमती रति मलैया के कुशल नेतृत्व, कुलगुरू प्रोफेसर पवन कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा के निर्देशन एवं हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. हृदय नारायण तिवारी के संयोजन में किया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं संरक्षक  विश्व प्रसिद्ध कवि, लेखक, पत्रकार एवं वैश्विक प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला, पूर्व महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस एवं अधिष्ठाता, साहित्य संकाय, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ.विनोद कुमार मिश्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में विभागाध्यक्ष हिंदी अध्ययनशाला, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, सीनियर प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी, विषय विशेषज्ञ के रूप में  भूतपूर्व संयुक्त निदेशक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी से प्रोफेसर सेवाराम त्रिपाठी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल, राष्ट्रीय संपादक सृजन अमेरिका से श्री अरुण नामदेव, सृजन मॉरीशस से डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, सृजन मलेशिया से डॉ. रश्मि चौबे, सृजन कतर से श्रीमती शालिनी गर्ग के साथ ही अनेक ख्यातिप्राप्त विद्वानों ने इस संगोष्ठी में विचार मंथन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती एवं प्रथम पूज्य भगवान गणेश के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

कुलगुरू प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार जैन द्वारा अभी अतिथियों का स्वागत किया गया साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया गया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहीं एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने वर्तमान हिंदी पत्रकारिता खासकर प्रिंट मीडिया में हो रहे भाषायी क्षरण को पटल पर रखते हुए हिंग्लिश आधारित हिंदी के चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए इससे बाहर निकलने की बात कही।

बीज वक्तव्य में प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही चुनौतियों को ही वर्तमान की भी चुनौती माना साथ ही मध्यप्रदेश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों का उल्लेख करते हुए इंदौर को पत्रकारिता की उर्वरा भूमि कहा।

 

 

प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश के हिंदी साहित्य को रेखांकित करते हुए बुंदेलखंड के साहित्यकारों की लंबी श्रृंखला एवं उनके योगदान को पटल पर रखा।

कतर की धरती से जुड़ी श्रीमती शालिनी गर्ग ने हिंदी की संवेदना को चिन्हित किया।

अमेरिका से जुड़े सृजन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के राष्ट्रीय संपादक श्री अरुण नामदेव ने भारत के टीवी चैनलों पर हो रही भड़काऊ बहस पर चिंता व्यक्त करते हुए समाधान दिया।

प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल ने पत्रकारिता और लोकतंत्र को व्याख्यायित करते हुए वर्तमान हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों से निपटने हेतु समाधान प्रस्तुत किया।

प्रोफेसर सेवाराम त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश की हिंदी पत्रकारिता पर विचार रखते हुए वर्तमान हवा-हवाई पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त किया साथ ही पत्रकारिता में नैतिकता के क्षरण पर भी ध्यानाकर्षण कराया।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे एकलव्य विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय, अधिष्ठाता प्रोफेसर आर सी जैन ने हिंदी पत्रकारिता की संवेदना पर सहमति व्यक्त की।

द्वितीय सत्र में डॉ. आशीष जैन द्वारा जैन पत्रकारिता के इतिहास को रेखांकित किया गया।

प्रोफेसर सूर्य नारायण गौतम ने कहानी के माध्यम से वर्तमान पत्रकारिता की दिशा और दशा को चिन्हित किया गया।इस संगोष्ठी में अलग-अलग प्रदेशों से जुड़े दस से अधिक प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने शोधपत्र का वाचन किया।

इस अवसर पर डॉ. शैलेश शुक्ला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर सृजन समूह द्वारा अनवरत पूरे वर्ष भर में 200 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा एवं द्वितीय सत्र के अंत में डॉ. सुधीर गौतम द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

इस अवसर पर देश के अलग-अलग राज्यों के प्राध्यापकों, संपादकों, संवाददाताओं, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ ही दुनिया के अनेक देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, मलेशिया, कतर आदि के हिंदी प्रेमी जुड़कर   इस ज्ञानयज्ञ को सफल बनाया। कार्यक्रम के अंत में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. हृदय नारायण तिवारी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी अपने उद्देश्य में सफल रही साथ ही भविष्य में इस विषय पर सभी के सहयोग से विस्तृत कार्ययोजना प्रकाश में लायी जाएगी। इस वृहद आयोजन को सफल बनाने में छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. शैलेन्द्र जैन, डॉ. शमा खानम, डॉ. सुधीर गौतम, डॉ. वैभव कैथवास, डॉ. स्वाति गौर, डॉ. रमाकांत त्रिपाठी, श्री रणजीत सिंह, डॉ. दुर्गा महोबिया, डॉ. प्रमीला कुशवाहा,आईटी प्रमुख श्री राम नरेश लोधी, श्री मुकेश तिवारी, श्री साहिल कुर्मी एवं सतेंद्र यादव का विशेष सहयोग रहा।




अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी सम्मान योजना

“अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी सम्मान योजना”

उद्देश्य
हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन ऑस्ट्रेलिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर, सृजन मलेशिया, सृजन अमेरिका आदि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं एवं विश्व की विभिन्न संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में 30 मई 2025 से 30 मई 2026 तक मनाए जा रहे ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष – 2025-26’ के अंतर्गत आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी सम्मान योजना का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं भाषा-प्रेमियों को ‘हिंदी भाषा में शोध’ एवं “हिंदी भाषा और तकनीक” विषय पर समकालीन विमर्श हेतु प्रोत्साहित करना है, साथ ही डॉ. शैलेश शुक्ला की विचारधारा, तकनीकी दृष्टि एवं अनुभवजन्य विश्लेषण पर आधारित शोध-सामग्री पर विमर्श का सृजन कराना है।

शोध सम्मान विवरण 
शोध रत्न सम्मान : 1 (एक)
शोध विभूषण सम्मान : 2 (दो)
शोध भूषण सम्मान : 5 (पाँच)
शोध श्री सम्मान : 11 (ग्यारह)

विशेष : इस योजना में प्राप्त सभी उच्च गुणवत्ता वाले आलेखों को ISBN युक्त पुस्तक / शोध-पत्रिका / डिजिटल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।

आधार-पुस्तक

पुस्तक का नाम : हिंदी भाषा और तकनीक
लेखक : डॉ. शैलेश शुक्ला

प्रकाशक : न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन, लखनऊ
प्रकाशन वर्ष : 2024, आईएसबीएन : 978-81-949867-3-7
पुस्तक (निशुल्क) नीचे दिए गए लिंक
और सामने दिए गए क्यू आर कोड पर उपलब्ध है :- https ://tinyurl.com/BookByDrShaileshShukla

शोध सम्मान योजना  की शर्तें और दिशानिर्देश
1. शोधपरक समीक्षात्मक आलेख हेतु शब्द सीमा : 3000 से 5000 शब्द
* संरचना : आलेख में निम्न अनुभाग अनिवार्य रूप से सम्मिलित हों :-
* सारांश (Abstract) : 250–300 शब्द
* भूमिका / प्रस्तावना
* लेखन का उद्देश्य
* समकालीन संदर्भ में पुस्तक की प्रासंगिकता
2. लेखक परिचय : डॉ. शैलेश शुक्ला
* शैक्षणिक एवं व्यावसायिक पृष्ठभूमि
* पत्रकारिता, शिक्षण, राजभाषा व डिजिटल लेखन में योगदान
* पूर्व लेखन कार्यों की झलक
3. पुस्तक की संरचना और सामग्री का अवलोकन
* अध्याय संरचना (12 अध्यायों की सूची और उद्देश्य)
* तकनीकी शब्दावली, उपशीर्षक, और विशेषताएँ
* भाषा और शैली की विशेषता
4. पुस्तक की प्रमुख विषयवस्तु का विश्लेषण
यह खंड 4.1 से 4.8 तक विभाजित हो सकता है :
4.1 हिंदी भाषा का डिजिटल प्रवेश
4.2 सोशल मीडिया में हिंदी
4.3 हिंदी टाइपिंग व फॉन्ट्स
4.4 सॉफ्टवेयर, ऐप्स और AI में हिंदी
4.5 डिजिटल शिक्षा, प्रकाशन और अनुवाद में हिंदी
4.6 ब्लॉगिंग, यूट्यूब व डिजिटल साहित्य
4.7 SEO और सोशल मीडिया मार्केटिंग में हिंदी
4.8 भविष्य की दिशा और चुनौतियाँ
5. लेखन शैली एवं प्रस्तुति का विश्लेषण
* भाषा की सहजता, शैली की वैज्ञानिकता
* शब्दों का चयन, संप्रेषणीयता
* तकनीकी विषयों की सरलीकरण क्षमता
6. विषय की गहराई और प्रामाणिकता
* तकनीकी स्रोतों की प्रस्तुति
* अनुभवजन्य उदाहरणों का समावेश
* लेखक की व्यावहारिक दृष्टि
7. समसामयिक प्रासंगिकता और शोधयोग्यता
* पुस्तक का शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए महत्त्व
* डिजिटल युग में हिंदी के लिए इसका उपयोग
* नीतिगत निर्माण में संभावित योगदान
8. तुलनात्मक विवेचन (वैकल्पिक)
* अन्य हिंदी तकनीकी पुस्तकों या डिजिटल हिंदी लेखन से तुलना
* नवीनता और विशिष्टता का निर्धारण
9. पुस्तक की विशेषताएँ और सीमाएँ
* पुस्तक की सकारात्मक विशेषताएँ
* संभावित कमियाँ (यदि हों तो संतुलित ढंग से)
10. निष्कर्ष
* संपूर्ण मूल्यांकन का सार
* हिंदी भाषा और तकनीक के यथार्थ और संभावनाओं पर लेखक की पकड़
* भविष्य के शोध के लिए प्रेरणा
11. संदर्भ / ग्रंथ सूची
* प्रयुक्त स्रोत
* उद्धरण और टिप्पणियों के संदर्भ
* प्रत्येक शीर्षक के अंतर्गत 300–800 शब्दों का विश्लेषण करें।
* पुस्तक से प्रासंगिक उद्धरणों का प्रयोग करें।
* तटस्थ, शोधपरक और विद्वत्तापूर्ण भाषा का उपयोग करें।
* संदर्भ सूची (References) – APA शैली में या अन्य मानक अनुसंधान शैली में
12. तकनीकी प्रारूप :
* Font : यूनिकोड फॉन्ट (मंगल / निर्मला / कोकिला / कोई और युनिकोड फॉन्ट)
* स्पेस : 1.5
* प्रविष्टि हेतु फॉर्मैट : MS Word (Doc)
* भाषा : केवल हिंदी
13. प्रविष्टि जमा करने की अंतिम तिथि : 25 जुलाई 2025 तक
* प्रविष्टियाँ भेजने का माध्यम : ईमेल : [email protected]
* ईमेल विषय (Subject Line) :-
“अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी सम्मान योजना हेतु शोधपरक समीक्षात्मक आलेख प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि”

मौलिकता (Originality)
1. आलेख स्वयं लिखा गया होना चाहिए।
2. 100% मौलिक (Plagiarism-free) हो। पुस्तक से कुछ भी उद्धृत करने पर संदर्भ अवश्य दिया जाए।
3. AI जनरेटेड कंटेंट, कॉपी-पेस्ट लेख को अस्वीकार कर दिया जाएगा।
4. आयोजक मंडल द्वारा प्लैगरिज्म सॉफ्टवेयर से जांच की जाएगी।

शोध सम्मान योजना  हेतु शोधपरक समीक्षात्मक आलेखों के संभावित  विषयों की सूची
प्रतियोगिता हेतु लेखक / शोधार्थीगण / प्राध्यापकगण निम्नलिखित दिए गए विषयों में से किसी एक या पुस्तक ‘हिंदी भाषा और तकनीक’ की शोधपरक समीक्षा पर आधारित अन्य संबंधित विषय का चयन कर सकते हैं :-
1. डॉ. शैलेश शुक्ला के लेखन में इंटरनेट युग और हिंदी भाषा की पहचान
2. डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक के आलोक में डिजिटल सामग्री निर्माण और उपभोग का विश्लेषण
3. सोशल मीडिया में हिंदी की शक्ति : डॉ. शैलेश शुक्ला की आलोचनात्मक दृष्टि
4. ई-कॉमर्स और हिंदी का संबंध : डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक के संदर्भ में
5. हिंदी टाइपिंग तकनीक : डॉ. शैलेश शुक्ला के अनुभवों की समीक्षा
6. यूनिकोड और तकनीकी मानकीकरण पर डॉ. शैलेश शुक्ला का योगदान
7. डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक में फोनेटिक बनाम इनस्क्रिप्ट की तुलना
8. हिंदी फॉन्ट्स का विकास : डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टि से
9. डॉ. शैलेश शुक्ला द्वारा प्रस्तुत हिंदी टाइपिंग साक्षरता की चुनौतियाँ और समाधान
10. डॉ. शैलेश शुक्ला के विश्लेषण में सोशल मीडिया ब्रांडिंग में हिंदी की भूमिका
11. सोशल मीडिया मार्केटिंग टूल्स की समीक्षा : डॉ. शैलेश शुक्ला की कृति के आधार पर
12. डॉ. शैलेश शुक्ला के विचारों में सामाजिक अभियानों में हिंदी की शक्ति
13. ग्रामीण भारत में डिजिटल हिंदी का प्रसार : डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टिकोण से
14. डॉ. शैलेश शुक्ला के विश्लेषण में युवाओं की डिजिटल संस्कृति और हिंदी
15. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हिंदी : डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक का विश्लेषण
16. हिंदी अनुवाद तकनीकों पर डॉ. शैलेश शुक्ला का शोधपरक मूल्यांकन
17. नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में हिंदी की संभावनाएँ : डॉ. शैलेश शुक्ला के अनुसार
18. डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक में रोबोटिक्स और हिंदी भाषा का संगम
19. डॉ. शैलेश शुक्ला द्वारा रचित हिंदी-अनुवाद में सांस्कृतिक अंतर्वस्तु की भूमिका
20. डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टि में डिजिटल प्रकाशन : लेखक, पाठक और प्लेटफॉर्म
21. हिंदी डिजिटल पाठकों की प्रवृत्तियाँ : डॉ. शैलेश शुक्ला की अंतर्दृष्टि
22. ई-शिक्षा में हिंदी भाषा का स्थान : डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक के आलोक में
23. हिंदी और SEO के तकनीकी पक्ष : डॉ. शैलेश शुक्ला की समीक्षा
24. भविष्य की ओर हिंदी और तकनीक : डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक का विमर्शात्मक विश्लेषण
25. डॉ. शैलेश शुक्ला के अनुभवों में डिजिटल पत्रकारिता और हिंदी भाषा का परिदृश्य
26. डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टि में पॉडकास्ट, यूट्यूब और डिजिटल साहित्य में हिंदी की भूमिका
27. डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक के आलोक में मोबाइल ऐप्स और हिंदी भाषा का प्रयोग
28. डॉ. शैलेश शुक्ला की कृति में डिजिटल हिंदी कविता और छवि प्रस्तुति की प्रवृत्तियाँ
29. ब्लॉगिंग संस्कृति और हिंदी अभिव्यक्ति : डॉ. शैलेश शुक्ला की वैचारिक पृष्ठभूमि
30. डॉ. शैलेश शुक्ला द्वारा प्रतिपादित हिंदी की डिजिटल लेखन शैली और भाषा प्रवाह
31. राजभाषा नीति और तकनीकी साधनों का समन्वय : डॉ. शैलेश शुक्ला का विश्लेषण
32. डॉ. शैलेश शुक्ला के अनुसार सरकारी संस्थानों में तकनीकी हिंदी का व्यवहारिक पक्ष
33. डॉ. शैलेश शुक्ला के विचारों में हिंदी के तकनीकी टूल्स का प्रशिक्षण पक्ष
34. डॉ. शैलेश शुक्ला की कृति में डिजिटल हिंदी की वैश्विक स्वीकार्यता
35. डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टि में डिजिटल साहित्य की गुणवत्ता और प्रामाणिकता
36. डॉ. शैलेश शुक्ला द्वारा प्रतिपादित टेक्स्ट, इमेज और वीडियो रूप में हिंदी की बहुविधता
37. डॉ. शैलेश शुक्ला के आलेखों में तकनीकी नवाचार और हिंदी साहित्य का समन्वय
38. डॉ. शैलेश शुक्ला की पुस्तक में हिंदी तकनीक की चुनौतियाँ और सुधार के सुझाव
39. हिंदी भाषा में नवाचार और स्टार्टअप की भूमिका : डॉ. शैलेश शुक्ला की अंतर्दृष्टि
40. डॉ. शैलेश शुक्ला की दृष्टि में हिंदी का डिजिटलीकरण : एक समीक्षात्मक अध्ययन
एवं पुस्तक की शोधपरक समीक्षा पर आधारित अन्य कोई भी संबंधित विषय

सम्मान समारोह 
सभी विजेताओं की घोषणा हमारे ऑनलाइन मंचों पर की जाएगी और एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। सभी सम्मानित किए गए प्रतिभागियों को प्रबंधन द्वारा निर्धारित सम्मानित राशि के बराबर या अधिक मूल्य की पुस्तकें उनके दिए गए डाक पते पर प्रेषित की जाएंगी। भारत से बाहर के विजेताओं के मामले में डाक खर्च देय होगा।
प्राप्त हुए गुणवत्तापूर्ण आलेखों का प्रकाशन एवं लोकार्पण
* प्रतियोगिता के सभी उच्च गुणवत्ता वाले आलेखों को ISBN युक्त पुस्तक / शोध-पत्रिका / डिजिटल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।
* चयनित लेखों के संकलन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकार्पण किया जाएगा।
प्रतियोगिता पंजीकरण शुल्क
कोई शुल्क देय नहीं है। यह सम्मान योजना पूर्णतः निःशुल्क है।
अस्वीकरण (Disclaimer)
निर्णायकों का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
इस शोधपरक आलेख लेखन प्रतियोगिता से संबंधित समस्त जानकारी आयोजक मंडल द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई है, तथापि इसमें दी गई सूचनाएँ बिना किसी पूर्व सूचना के संशोधित की जा सकती हैं। आयोजक मंडल द्वारा प्रस्तुत नियम, पुरस्कार विवरण एवं अन्य जानकारी पूरी सावधानी से प्रदान की गई है, परंतु किसी भी प्रकार की त्रुटि, विसंगति या परिवर्तन की स्थिति में आयोजक संस्था की उत्तरदायित्व सीमित रहेगा।
प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत किए गए आलेख उनके स्वयं के विचार, विश्लेषण एवं निष्कर्ष हैं, जिनकी संपूर्ण वैचारिक जिम्मेदारी लेखक की होगी। आयोजक संस्था इन विचारों से आवश्यक नहीं कि सहमत हो। किसी भी प्रकार की सामग्री में यदि कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन पाया जाता है, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी संबंधित लेखक की होगी, न कि आयोजक संस्था की।
यह अंतरराष्ट्रीय शोध सम्मान योजना शोध एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गई है, इसका कोई वाणिज्यिक लाभ आयोजक संस्था द्वारा नहीं लिया जा रहा है। प्रतिभागियों से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है और पुरस्कार/प्रकाशन केवल योग्यता के आधार पर निर्णयित किए जाएंगे। पर्याप्त संख्या में गुणवत्तापूर्ण आलेख न प्राप्त होने की स्थिति में आयोजक संस्थाओं के प्रबंधन द्वारा प्रतियोगिता रद्द की जा सकती है।

न्यायक्षेत्र
यदि इस प्रतियोगिता से संबंधित किसी सूचना, निर्णय या निष्कर्ष से कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निवारण केवल लखनऊ (उत्तर प्रदेश) न्यायक्षेत्र में ही किया जाएगा।
संपर्क
ईमेल : [email protected]
वेबसाइट : SrijanAustralia.SrijanSansar.com
पूनम चतुर्वेदी शुक्ला
संस्थापक-निदेशक
अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन एवं
न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन
प्रशांत चौबे
संस्थापक-निदेशक
अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन