विविध आयामों में विस्तार लेती वैश्विक हिंदी पत्रकारिता : विशेषज्ञ वार्ता की ऐतिहासिक प्रस्तुति
विविध आयामों में विस्तार लेती वैश्विक हिंदी पत्रकारिता : विशेषज्ञ वार्ता की ऐतिहासिक प्रस्तुति
16 जून 2025, शाम 6 :00 बजे (भारत समय) — अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025 के अंतर्गत आयोजित एक महत्वपूर्ण संवादमूलक कार्यक्रम “हिंदी की वैश्विक पत्रकारिता : विविध आयाम” ने वैश्विक मंच पर हिंदी पत्रकारिता के प्रभाव, समस्याएं, अवसरों और सांस्कृतिक दायित्वों पर गहन विमर्श प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम पत्रकारिता की 200 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा का एक विचारोत्तेजक और दूरगामी पड़ाव सिद्ध हुआ।
यह सारगर्भित संवाद न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। इसके आयोजन में त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय, डॉ. आंबेडकर चेयर – पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बीआईयू कॉलेज ऑफ ह्यूमेनिटीज़ एंड जर्नलिज्म (बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी), आशा पारस फॉर पीस एंड हार्मनी फाउंडेशन, एकलव्य विश्वविद्यालय (दमोह), थाईलैंड हिंदी परिषद, सृजन समूह की अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाएं (मॉरीशस, यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, थाईलैंड, कतर), जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय आदि संस्थानों की सक्रिय सहभागिता रही।
हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नए विमर्श : मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित रहे डॉ. जवाहर कर्नावट (निदेशक, अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र, रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल), जिन्होंने हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक स्वरूप की बहुआयामी पड़ताल की। उन्होंने डिजिटल माध्यमों, प्रवासी पत्रकारिता, भाषिक विविधता, राजनीतिक-सांस्कृतिक संवाद, नई पीढ़ी की सहभागिता और वैश्विक पाठक-समुदाय की बदलती मानसिकता पर ठोस आंकड़ों और दृष्टांतों के साथ विचार प्रस्तुत किए।
उन्होंने 27 देशों की हिंदी पत्रकारिता से जुड़े पत्र-पत्रिकाओं की प्रतियाँ एकत्रित करने के लिए की गईं विभिन्न देशों की यात्राओं, उन देशों के राष्ट्रीय पुस्तकालयों और अभिलेखागारों में किए गए अपने शोध को विस्तार से बताया।
डॉ. जवाहर कर्नावट ने यह भी बताया कि विदेश में 1883 से हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है और विभिन्न देशों में प्रकाशित होने वाले पत्र-पत्रिकाओं में भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के पक्ष में सामग्री प्रकाशित की। उन्होंने बताया कि बहुत सी पत्रिकाएं वर्षों तक हाथ से लिखकर प्रकाशित की गईं।
कार्यक्रम के संचालक एवं सह-वक्ता डॉ. शैलेश शुक्ला (वरिष्ठ पत्रकार, वैश्विक प्रधान संपादक – सृजन संसार) ने वैश्विक पत्रकारिता के तकनीकी, व्यावसायिक और सांस्कृतिक पक्षों की विवेचना करते हुए हिंदी को विश्व मंच पर प्रतिस्थापित करने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने प्रवासी भारतीय समाज में हिंदी पत्रकारिता के योगदान और संभावनाओं की व्याख्या की।
गंभीर संवाद, बहस और नवदृष्टि : संवाद के दौरान अनेक प्रश्नों और मुद्दों पर प्रकाश डाला गया — जैसे हिंदी पत्रकारिता की सांस्कृतिक ज़िम्मेदारी, क्षेत्रीय बनाम वैश्विक एजेंडा, न्यू मीडिया (New Media) का प्रभाव, हिंदी बनाम अन्य भारतीय भाषाएं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) से पत्रकारिता की दिशा और प्रवासी भारतीयों की पहचान की रक्षा में हिंदी मीडिया की भूमिका।
सक्रिय संयोजन और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता
इस भव्य आयोजन की मुख्य संयोजक रहीं श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला (संस्थापक-निदेशक, न्यू मीडिया सृजन संसार एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन), जबकि आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं संरक्षक की भूमिका में रहे डॉ. शैलेश शुक्ला, जिन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा और लक्ष्यों को स्पष्ट करते हुए अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता को ‘वाणी के स्तर से नीति के स्तर तक’ पहुँचाने की आवश्यकता बताई।
संयोजक श्री प्रशांत चौबे (अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन), राष्ट्रीय संयोजक डॉ. कल्पना लालजी (सृजन मॉरीशस), मार्गदर्शक प्रो. विनोद कुमार मिश्रा (पूर्व महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय), संरक्षक प्रो. आशा शुक्ला (आशा पारस फाउंडेशन), तथा सह संयोजकों की अंतरराष्ट्रीय टीम — डॉ. बृजेन्द्र अग्निहोत्री, प्रो. रतन कुमारी वर्मा, डॉ. हृदय नारायण तिवारी, श्री कपिल कुमार, डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, श्री अरुण नामदेव, श्रीमती शालिनी गर्ग — ने अपनी प्रभावी भूमिका निभाई।
दुनिया भर से सहभागिता और सकारात्मक प्रतिक्रियाएं : कार्यक्रम में भारत के साथ-साथ मॉरीशस, थाईलैंड, मलेशिया, अमेरिका, यूरोप, कतर, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से जुड़े हिंदीप्रेमी, पत्रकार, शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी ऑनलाइन शामिल हुए। सोशल मीडिया चैनलों, टेलीग्राम एवं व्हाट्सऐप ग्रुप्स के माध्यम से इस आयोजन की जानकारी सैकड़ों लोगों तक पहुँची।
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं और आयोजकों ने इस बात पर सहमति जताई कि हिंदी पत्रकारिता अब केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक संवाद का साधन बन चुकी है। यह संवाद, आलोचना, जनचेतना, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समरसता का माध्यम है। इसके विविध आयामों की समझ और विकास हेतु इस प्रकार के संवाद निरंतर आवश्यक हैं।
यह कार्यक्रम न केवल “अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025” का एक महत्त्वपूर्ण आयाम था, बल्कि यह आगामी “अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष – 2025-26” की दिशा निर्धारित करने वाला प्रेरक संवाद भी सिद्ध हुआ।