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मंदिर मस्जिद का बनना

मंदिर मस्जिद का बनना।
दुनियां में सरेआम हुआ।।

आदमी बन न सका बंदा।
रब्ब यूं ही बदनाम हुआ।।

जात पांत का चक्कर बड़ा।
भक्ति का मार्ग ताम हुआ।।

जंगल जंगल भटकता क्यूं?
मन अपना न धाम हुआ।।

खुदा का घर बना ही नहीं।
ईंट गारा जोड़ना काम हुआ।।

रब्ब को कहां ढूंढे रे बंदे।
संग तेरे सुबह शाम हुआ।

दुआ कर मानसिकता बदल।
वही अल्लाह वही राम हुआ।

दुआ कर कही वैद्य भी मिले।
दवा ला जिससे आराम हुआ।।

वो घर भी तो इक मंदिर ही है।
जहां ज्ञान लिया और नाम हुआ।।

भोला पंछी कहीं भला है।
मंदिर मस्जिद में न जाम हुआ।।

गुरदीप सिंह सोहल
Retd AAO PWD
हनुमानगढ़ जंक्शन
(राजस्थान)