1

*आम का गुड़म्मा*

*आम का गुड़म्मा*
******************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

फलों के राजा आम का मौसम आया।
किस किस ने गुड़म्मा बनाया है खाया।

खाया नहीं तो मैं बतलाऊँ इसे बनाना।
कच्चे देशी आम छील कर इसे बनाना।

छिले आम देशी गुड़ पानी और बढ़ाना।
मंगरैल सौंफ जीरा मिर्चा नमक लगाना।

इन सब को ले साथ कुकर में है पकाना।
दो से तीन सीटी बजे तो चूल्हे से हटाना।

कुछ ठंडा जब हो जाये तो कुकर खोलें।
ले बर्तन में स्वाद चखें वाह गुड़म्मा बोलें।

खटमिट्ठा स्वाद लगे और खाने में अच्छा।
गुठली पूरी चाटें मीठे रस संग हर बच्चा।

गुठली के अंदर रहती आम की विजुली।
अंत जून तक पक जाती है यह विजुली।

स्वादिष्ट गुड़म्मा खा लें तभी गुठली फोड़ें।
गुठली अंदर विजुली के छिलके को छोड़ें।

इसे खायें पिए पानी ये पाचन में है अच्छा।
पेट रोग में भी फायदा पहुँचाता है अच्छा।

यही फायदा है गुड़म्मा बनाने व खाने का।
आप भी बनायें गुड़म्मा मजा लें खाने का।

 

रचियता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




*महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जयंती*

*महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जयंती*
**************************************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

9मई1540सिसोदिया राजपूत वंश में जन्मे।
महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया वीर जन्मे।

जन्मे जिस पुण्य धरा पर वीर प्रतापी राणा।
भारत में कुंभलगढ़ था राजस्थान का प्यारा।

जिस पवित्र कोखी से जन्मे वो नाम है भाई।
महाराजा उदय सिंह महारानी जयवंता बाई।

28 फरवरी 1572 को है राज्याभिषेक हुआ।
महारानी अजबदे पंवार संग शुभविवाह हुआ।

राणा प्रताप की इन्हें लेके रही ग्यारह पत्नियाँ।
कुल 17पुत्रों को जनी ये कुल ग्यारह पत्नियाँ।

महाराणा प्रताप सिंह हल्दी घाटी का युद्ध लड़े।
उसी वीरता से देवर और चप्पली का युद्ध लड़े।

500 भील लोगों को ले राणा प्रताप युद्ध किये।
राजा मान सिंह की 80000 सेना से युद्ध किये।

देख वीरता राणा में इन्हें राजपूत राजा माना है।
मुग़लों ने प्रतिरोध बाद ये मेवाणी राणा माना है।

9वर्षो बीच-2 में अकबर किये आक्रमण व हारे।
महाराणा प्रताप सिंह अकबर से कभी नहीं हारे।

प्रताप का भाला तलवार व घोड़ा चेतक निराला।
19जनवरी1597को चलबसा 56वर्षी मतवाला।

 

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




*रक्तदान करें एलायन्स क्लब के रक्तवीर बनें*

*रक्तदान करें एलायन्स क्लब के रक्तवीर बनें*
****************************************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

रक्त दान करना जीवन में एक बड़ा है काम।
मामूली यह दान नहीं है यह है एक महादान।

रक्तदान है पुण्य कार्य ये मरते को बचाता है।
जीवन मृत्यु से लड़ रहे ग्रसित को जगाता है।

एक यूनिट ब्लड से तीन तीन जानें बचती हैं।
प्लाज्मा प्लेटलेट्स व आरबीसी दे सकती हैं।

अठारह से साठ वर्ष के स्वस्थ लोग दे सकते।
तीन माह में ये एक बार एक यूनिट दे सकते।

रक्तदाता को रक्तदान से होता स्वास्थ्य लाभ।
दिल की बीमारी व कैंसर में पहुँचता है लाभ।

ठंड में खून पतला करने में दवा जो खाता है।
शरीर का खून मोटे से पतला भी हो जाता है।

हीमोग्लोबिन स्तर ठीक स्त्रियाँ भी दे सकतीं।
ऋतुधर्म गर्भवती फीडिंग वाली ना दे सकतीं।

रक्तदान करने से शरीर में तेजी से रक्त बनता।
कोई न कमजोरी न ताकत में ही कमी लगता।

हमारे आईपी केजीए जी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट।
5000यु.ब्लड का एसीआई का मेगा प्रोजेक्ट।

पीआईपी भूपेंद्र चाहवाला का जन्मदिन है 14।
रक्तदान शिविर लगाया है दो दिन जून 13-14।

मन प्रसन्न हो जाताहै जब कोई दाता बनता है।
रक्तदान के शिविरों में जाके रक्तदान करता है।

दाता बनना है हमें तो आयें हमभी रक्तवीर बनें।
धरा नहीं वीरों से खाली एलायन्स रक्तवीर बनें।

 

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : ,9415350596




*वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई – बलिदान दिवस*

*वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई – बलिदान दिवस*
****************************************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

रानी लक्ष्मीबाई को उत्सर्ग दिवस पर नमन करें।
देकर अपनी श्रद्धांजलि सच्ची कथा श्रवण करें।

पिता थे मोरोपंत ताम्बे व माता भागीरथी बाई।
बचपन में नाम मणिकर्णिका कहें मनु भी भाई।

19नवम्बर1828 बनारस में जन्मी लक्ष्मीबाई।
चार वर्ष के उम्र में माँ स्वर्ग गईं भागीरथी बाई।

बचपन में शिक्षा दीक्षा पिता मोरोपंत देते गये।
माँ की मृत्यु बाद पिता मनु को लेके बिठूर गये।

तात्या टोपे से शास्त्रों व अस्त्र शस्त्र शिक्षा पाई।
नाना साहब से भी हर विद्या की है शिक्षा पाई।

बिठूर में रानी लक्ष्मीबाई को छबीली कहते थे।
इस वीरांगना कन्या की लोग चर्चायें करते थे।

13वर्ष के आयु में ही छबीली का विवाह हुआ।
झाँसी शासक गंगाधर राव नोवलकर संग हुआ।

1851में लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया।
3माह बाद ही ये पुत्र अकाल मृत्यु प्राप्त किया।

वंश चिन्ता में बीमार राजा ने बच्चा गोद लिया।
गंगाधर ने दामोदर राव को उत्तराधिकार दिया।

20नवम्बर1853 को गंगाधर राव की मृत्यु हुई।
दत्तक पुत्र को वारिस मानें अंग्रेजों से ये रार हुई।

मार्च1854में अंग्रेजों ने लक्ष्मीबाई को निकाला।
झाँसी किला छोड़ दें रानी ऐसा आदेश निकाला।

लक्ष्मीबाई झाँसी दुर्ग छोड़ी रानीमहल चली गई।
ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचारों से अब त्रस्त भई।

1857मंगल पाण्डे से क्रांति का प्रथम शंखनाद।
गोरे दिये मृत्युदण्ड भड़की जगह जगह ये आग।

बागियों ने गोरों को मेरठ कानपुर झाँसी में मारा।
कमिश्नर सागर रानी को शासन सौंप दिया सारा।

सदाशिव राव झाँसी का करेरा दुर्ग कब्ज़ा किया।
धोखा दे खुद को झाँसी का राजा घोषित किया।

ये दशा देख ओरछा के नत्थेखां ने हमला बोला।
रानी लक्ष्मीबाई ने उसके खोपड़ी का नट खोला।

इन युद्ध गतिविधियों ने ब्रितानी गोरे क्रुद्ध किया।
ह्यूरोज के नेतृत्व में ये 1858में झाँसी घेर लिया।

किसी द्रोही ने दुर्गद्वार खोला अंग्रेज होगये अंदर।
रानीसहयोगी झलकारीबाई मोतीबाई सुंदर मुंदर।

दत्तक पुत्र पीठ पे बाँधे रानी की कालपी प्रस्थान।
ह्यूरोज भी अपनी सेना ले पहुँचा कालपी स्थान।

पेशवा के सम्मिलित सेना व ह्यूरोज से युद्ध हुआ।
यहाँ रानी क्रांतिवीरों संग ग्वालियर का कूच हुआ।

जियाजी राव सिंधिया भी अंत में मुँह मोड़ लिया।
सिंधिया व समर्थक सबने ह्यूरोज का साथ दिया।

17जू58 ह्यूरोज-स्मिथ ग्वालियर पे धावा बोला।
रानी के रामचंद्र देशमुख पुत्र ले सुरक्षा को डोला।

ग्वालियर में गोरों से लक्ष्मीबाई का अंतिम युद्ध है।
रणचंडी अवतार में रानी का पराक्रमी यह युद्ध है।

दुर्ग दीवार न पार हुई रानी का घोड़ा झिझक गया।
यह लाभ उठा गोरों का प्राणघातक प्रहार हो गया।

18जून1858 इस भीषण घाव ने प्राण हर लिया।
गुलमुहम्मद ने वीरांगना मृत शरीर सुरक्षित किया।

बुंदेलखंड की माटी के कण-2 में वह हैं रची बसी।
भारत की वीरांगना बहूबेटी रानी लक्ष्मीबाई बसी।

रानी लक्ष्मीबाई ये भारतीय इतिहास में अंगारा है।
गोरों को तलवार से काटा मौत के घाट उतारा है।

अदम्य साहस व निर्भीकता रानी के रग-2 में रहा।
बुद्धि चातुर्य विलक्षण प्रतिभा ये व्यक्तित्व में रहा।

सुभद्राकुमारी चौहान की कालजयी रचना में देखें।
इतिहास में अमर क्रन्तिकारी लक्ष्मीबाई हैं ये देखें।

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने यही सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली ही रानी थी।

 

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




*इंटरनेशनल योगा डे-करें योग-रहें स्वस्थ,निरोग*

*”इंटरनेशनल योगा डे”-करें योग रहें स्वस्थ,निरोग*
(अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का शुरुआत व इतिहास)
***************************************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

योग हमारे भारत के ऋषियों मुनियों की देन,
हजारों साल पूर्व चरक,धवन्तरी और सुखेन।

प्राचीनतम परंपरा का यह स्वास्थ्य का आधार,
दुनिया रही मानती हमारे ऋषियों का आभार।

स्वामी रामदेव ने इसे वास्तव में दिया विस्तार,
कितने शिविर लगा देश दुनिया में किये प्रचार।

दुनिया भरमें इस योग को पहुँचाये हर घर द्वार,
करने लगे योग ज्यादातर पायें रोगों के उपचार।

मोदीजी 2014 में संयुक्त राष्ट्र में किया आह्वान,
योग का घोषित करें कोई १विश्व दिवस विद्वान।

संयुक्त राष्ट्र में इसकी उपयोगिता पर हुआ मंथन,
177 देश के सदस्यों ने इसको कर दिया समर्थन।

दिसम्बर 2014 में इस हेतु तय किया माह जून,
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तिथि है घोषित 21जून।

विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 से है शुरू,
भारत नई दिल्ली के राजपथ से बनाहै विश्व गुरु।

मोदी के नेतृत्व में योग केलिए जुटी भीड़ अपार,
योगा जो किये प्रथम दिन संख्या थी 35 हजार।

तबसे होता आरहा ये 7वां योगा दिवस इस बार,
योग करें निरोग रहें और रोगों से होये बेड़ा पार।

सुखी शरीर रहे इससे व नई स्फूर्ति ऊर्जा मिलती,
मन प्रसन्न रहे इससे व चेहरे पे आभा भी दिखती।

अमन चैन के संग जीवन में हरपल खुशियाँ रहती,
84लाख योनियों में मानव तन बारबार न मिलती।

प्रातः उठ दैनिक क्रियासे निपट करें फिर यह योग,
आधा घंटा नित कर लेनेसे आये पास न कोई रोग।

चंचल मन स्थिर रहे जीवन की हर तृष्णा जाये दूर,
बूढ़े बच्चे महिला पुरुष युवा सभी करो इसे भरपूर।

रोग देख घबरायेगा पास नही फटके रहे कोसों दूर,
अच्छे स्वास्थ्य का लड्डू समझो योगा है मोती चूर।

 

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
जिलाध्यक्ष
ह्यूमन सेफ लाइफ फाउंडेशन,शाखा-प्रतापगढ़
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




रश्मिरथी

जा रे जा,जिया घबराए लंबी काली यामिनी

भी जा,देर भई रश्मिरथी मृदुल उषा कामिनी

काली घटा घिर घिर आए

गरज गरज बदरा हैं छाए

जाने क्यों खामोश हवाएं

किस दर पे बिजुरी गिर जाए

आंधी तूफां कितने आए

उड़ते छप्पर गिन ना पाए

बछड़े बिन गैया रम्भाए

चकवी किसको हाल सुनाए

नियति उथल पुथल कर जाए

वन्दन भी क्रन्दन बन जाए

देखदेख धरा कुम्हलाए

अम्बर से देखा ना जाए

जा रे जा,जिया घबराए लंबी काली यामिनी

भी जा,देर भई रश्मिरथी मृदुल उषा कामिनी

ज्ञानवती सक्सैना




मोटनक छन्द “भारत की सेना”

(मोटनक छन्द)

सेना अरि की हमला करती।
हो व्याकुल माँ सिसकी भरती।।
छाते जब बादल संकट के।
आगे सब आवत जीवट के।।

माँ को निज शीश नवा कर के।
माथे रज भारत की धर के।।
टीका तब मस्तक पे सजता।
डंका रिपु मारण का बजता।।

सेना करती जब कूच यहाँ।
छाती अरि की धड़कात वहाँ।।
डोले तब दिग्गज और धरा।
काँपे नभ ज्यों घट नीर भरा।।

ये देख छटा रस वीर जगे।
सारी यह भू रणक्षेत्र लगे।।
गावें महिमा सब ही जिनकी।
माथे पद-धूलि धरूँ उनकी।।
=================
*मोटनक छन्द* विधान:-

“ताजाजलगा” सब वर्ण शुभं।
राचें मधु छंदस ‘मोटनकं’।।

“ताजाजलगा”= तगण जगण जगण लघु गुरु।
221 121 121 12 = 11 वर्ण
चार चरण, दो दो समतुकांत।
******************

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया




गीतिका छंद “चातक पक्षी”

(गीतिका छंद)

मास सावन की छटा सारी दिशा में छा गयी।
मेघ छाये हैं गगन में यह धरा हर्षित भयी।।
देख मेघों को सभी चातक विहग उल्लास में।
बूँद पाने स्वाति की पक्षी हृदय हैं आस में।।

पूर्ण दिन किल्लोल करता संग जोड़े के रहे।
भोर की करता प्रतीक्षा रात भर बिछुड़न सहे।।
‘पी कहाँ’ है ‘पी कहाँ’ की तान में ये बोलता।
जो विरह से हैं व्यथित उनका हृदय सुन डोलता।।

नीर बरखा बूँद का सीधा ग्रहण मुख में करे।
धुन बड़ी पक्की विहग की अन्यथा प्यासा मरे।।
एक टक नभ नीड़ से लख धैर्य धारण कर रखे।
खोल के मुख पूर्ण अपना बाट बरखा की लखे।।

धैर्य की प्रतिमूर्ति है यह सीख इससे लें सभी।
प्रीत जिससे है लगी छाँड़ै नहीं उसको कभी।।
चातकों सी धार धीरज दुख धरा के हम हरें।
लक्ष्य पाने की प्रतीक्षा पूर्ण निष्ठा से करें।।

********

*गीतिका छंद* विधान:-

गीतिका:- ये चार पदों का एक सम-मात्रिक छंद है। प्रति पंक्ति 26 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 14-12 अथवा 12-14 मात्राओं की यति के अनुसार होता है.
इसका वर्ण विन्यास निम्न है।
2122 2122 2122 212

चूँकि गीतिका एक मात्रिक छंद है अतः गुरु को आवश्यकतानुसार 2 लघु किया जा सकता है परंतु 3 री, 10 वीं, 17 वीं और 24 वीं मात्रा सदैव लघु होगी। अंत सदैव गुरु वर्ण से होता है। इसे 2 लघु नहीं किया जा सकता।
चारों पद समतुकांत या 2-2 पद समतुकांत।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया




काश तुम समझ पाते

             “काश तुम समझ पाते”

              —————————–

             काश तुम समझ पाते
मेरे मन में छिपी सवेंदनाओं को,
आँसुओ के सैलाब को
जो तुम्हारी याद में निकले।
           *****
                                काश तुम देख पाते
                   मेरे सुनहले ख़्वाबों का संसार,
                   जो तुम्हारे एक पल के दीदार
                               के लिए बुना था मैंने।
                                      *****
           काश तुम देख पाते
मेरे दिल में जमी यादों रूपी,
जंग की उस गहरी परत को
        जो मिलन की टोह में
              चढ़ती चली गयी।
              *****
                              काश सहलाते तुम
                          मेरी काली झुल्फ़ों को,
     अपनी नरम-नरम उँगलियों के पौरों से
       जोकि मेरे यौवन ढलने के साथ-साथ
             सफ़ेदी की चादर ओढ़ने लगी हैं।
                               *****
         काश तुम देख पाते
घूँघट में छिपे इस चाँद को,
जिस पर अब झुर्रियों का साया पड़ गया है
मेरे रुख़सारों का वो काला तिल
जिसकी एक झलक पाने को
मन लालायित रहता था कभी ।
          *****
                                  काश तुम समझ पाते
                             मेरे बिखरते जज्बातों को,
                               मेरी मज़बूरियों के पीछे
                                 मेरे बेबस हालातों को।
                                          *****
      काश महसूस कर पाते
मेरी आँखों में तुम्हारे लिये,
छिपे गहरे समंदर से शांत
पाक पवित्र प्रेम को,
दिल में उठती हूक को
जो अब नासूर बन गयी है।
        *****
                                   काश तुम समझ पाते
                                मेरे महोब्बत-ए-चमन में,
                      कुम्हलाते हुए उस बूटे की पीड़ा
                   जो चाहत रूपी उर्वरा की आस में
                                    अर्पण रूपी बूंदों की
                     आहट सुनकर चहकने लगा था।
                                   *****
काश महसूस कर पाते
रूह में बजते तार को,
धधकते कोमलांगो की तपन को
जिसे जल उठा था रोम-रोम मेरा।
             *****
                                काश कुछ लम्हे रुक पाते
                           मैं नदिया सी हो जाती कुर्बान,
                                   मेरा हर सुकूँ उड़ेल देती
                              जो सदियों से पिरो रखा था 
                                             चाह की लड़ी में
                                 कि तुम आओगे इस पार।
                                              *****
काश तुम आ जाते
समा जाती अपनी समस्त
आकाँक्षाओं के साथ
जो मेरी रूह के तहख़ाने में
बसा रखी थी तुम्हारे लिए।
         *****
                                   काश तुम आ जाते
                                   और मेरा ये ख़्वाब
                                   हो जाता मुक़म्मल
                          हो जाती मैं फ़ना तुम पर
                                         *****
मगर तुम भूल गए
बुझा डाले यादों के “दीप”
मेरी हर पीड़ा
मेरे अहसास,मेरा समर्पण
मेरी चाहतों का गुलिस्तां
उन पलों की कीमत।
      *****
                      काश तुम समझ पाते
                    काश महसूस कर पाते।
                                *****
     कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
     हिसार ( हरियाणा ) भारत
     संपर्क सूत्र- 9050956788
     Mail add.- [email protected]

        

    
 




दोस्त

दोस्त

अब  मत  सुनाओ 
हमे  दर्दभरे  अफसाने ।
हमने  तो  गमों  से 
रिश्ता  ही  तोड  दिया ।

अब  जमाने  की  हमे 
कोई  परवाह  नही ।
हमने  तो  भगवान  को
दोस्त  बना  दिया ।

भगवान  से  दोस्ती 
कियी  है  हमने ।
गम  पास  आने  को
अब  घबरा  गया

सुख  शांती  समाधान
हमारी  झोली  मे  सदा ।
भगवान  जैसा  सच्चा
दोस्त  जो  मिल  गया ।

पल  पल  साथ  देता
हमे  जीने  के  लिये ।
भगवान  जैसा  सच्चा
दोस्त  जो  मिल  गया ।

©मीना खोंड