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रश्मिरथी

जा रे जा,जिया घबराए लंबी काली यामिनी

भी जा,देर भई रश्मिरथी मृदुल उषा कामिनी

काली घटा घिर घिर आए

गरज गरज बदरा हैं छाए

जाने क्यों खामोश हवाएं

किस दर पे बिजुरी गिर जाए

आंधी तूफां कितने आए

उड़ते छप्पर गिन ना पाए

बछड़े बिन गैया रम्भाए

चकवी किसको हाल सुनाए

नियति उथल पुथल कर जाए

वन्दन भी क्रन्दन बन जाए

देखदेख धरा कुम्हलाए

अम्बर से देखा ना जाए

जा रे जा,जिया घबराए लंबी काली यामिनी

भी जा,देर भई रश्मिरथी मृदुल उषा कामिनी

ज्ञानवती सक्सैना