माँ- मातृ दिवस पर ब्रह्म रूपी जननी माताओं को समर्पित कविता
माँ
[इस संसार में ब्रह्म का दूसरा स्वरूप स्त्री हैं, स्त्री का माता का स्वरूप स्वयं ब्रह्म हैं। जगत जननी माताओं को समर्पित कविता]
जननी जन्मदात्री माँ, इस जग में हमको लेकर आई । जिसके अदम्य अर्पण को, कोई कलम कहाँ लिख पाई ।।
तुमने जन्म दिया माता, हमनें जीवन तुमसे पाया । पल पल रखी दृष्टि वात्सल्य की, अपार स्नेह लुटाया ।।
स्वयं गीले में सो कर, हमें सुख की नींद सुलाकर। सदा स्नेह लूटाया माँ आपने, मधुर मधुर मुस्काकर ।।
झुककर दोनों हाथ बढाकर माँ, जब हमें बुलाती । आते हम घुटनों के बल सरक सरक, फिर गले लगाती ।।
थामकर हमारे दोनों हाथों को, चलना आपने सिखाया । तुतलाकर संग बोल – बोलकर, सारा ज्ञान करवाया ।।
हमारे रोने पर तूं रो जाती माँ, कितना कोमल हृदय तुम्हारा। सदा बढ़ाकर साहस हमारा, कहा पुत्र वीरो जैसा प्यारा ।।
हमारी बोली तूं, भाषा तूं, तूं ही हमारी अभिव्यक्ति माँ। आप ही हमारे छंद – प्रबंध हो, आप ही हमारी शक्ति माँ ।।
जो कुछ भी हम आज बने हैं, वो सब आपका आशीर्वाद माँ। हम तेरे तन के प्रसाद माँ, हम तेरे मन के आशीर्वाद माँ।।
ईश्वर से हम रोज मांगते, बस आपका ही प्यार माँ। सदा आपकी खुशी ही खुशियां हमारी, आप हमारा संसार माँ।।
यदि विधाता आकर दें, स्वर्ग सुखों को सारे। छोड़ हम उनको थामेंगे, माँ दोनों हाथ तुम्हारे।।
कवि परिचय-
हेतराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”
हिन्दी शिक्षक,शिक्षा विभाग, केन्द्र शासित प्रदेश, चण्डीगढ़ भारत
9829960882
माता-पिता- श्रीमती गौरां देवी- श्री कालूराम भार्गव
प्रकाशित रचनाएं-
जलियांवाला बाग दीर्घ कविता (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हरिराम भार्गव के साथ- खंड काव्य)
मैं हिन्दी हूँ . राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हरिराम भार्गव के साथ- -महाकाव्य)
साहित्य सम्मान –
स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश
साहित्य श्री सम्मान 2020- साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र
ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020– ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक
सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड
कलम कला साहित्य शिरोमणि सम्मान 2020 – बृज लोक साहित्य कला संस्कृति का अकादमी आगरा
आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ, राजस्थान भारत
काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य-
वीर पंजाब की धरती (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हरिराम भार्गव के साथ- – महाकाव्य)
तुम क्यों मौन हो (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हरिराम भार्गव के साथ- -खंड काव्य)
उद्देश्य– हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा