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कहां है सोने की चिड़िया?

 

 

कहां है की चिड़िया?

 

इतिहास ही नहीं पढ़ा

देखा है, दूर देशाटन

यात्रा में गड़े शव

जहां मैं खड़ा था पग पग पर

वहीं पश्चिम में राजपूत

दक्षिण में मराठा

उत्तर में सुभाष 

न जाने कितने वीरों के

रक्त से स्नात हुई धरा

न जाने कितने बाहरी 

भेड़ियों ने नोच खाया

गौरी से लेकर औरंग तक

गोरी चमड़ी वाले भी थे

किसी ने नहीं छोड़ी

हर किसी ने नोचा

मेरे भारत की आत्मा को

और हम कहते आए हैं

ऊंचे शिखरों, घने जंगलों

बहती नदियों के शुमार में

मेरा भारत, प्यारा भारत

सोने की चिड़िया है

शर्मिंदा हो गया आज

बीमार मेरी प्यारी

सोने की चिड़िया 

कुछ सपूत काला बाजारी

करते हुए धनाढ्य हो रहे

रक्षक धर पकड़ में

फिर भी बाज न आए,

आज की ये कालाबाजारी 

और वो गुलामी की 

निरंकुश सत्ता में

क्या अंतर करेंगे

पर, यह सत्य है

राष्ट्र महान होता है

राष्ट्र के सत्य निष्ठ 

राष्ट्र प्रेमियों से,जन से

पर यहां कुछ गिद्ध से मंडराते

देखें, कुछ तड़पते देखे

कुछ मरते देखे

कहां गया समर्पण

कहां गया त्याग

कहां गया सद्भाव

कहां गया सब

लुप्त हो गया पाश्चात्य करण में

पर सच्चे अर्थों में

जब मानवता का उदय होगा

सद्भाव,समर्पण जागेगा

निष्ठा से हर कोई 

जानेगा अपने आप को

तब कहने में गर्व होगा

मेरा भारत महान

सोने की चिड़िया है

 

हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ” 

शिक्षा – MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार JRF सहित 

सम्प्रति-हिन्दी शिक्षक, सर्वोदय बाल विद्यालय पूठकलां, शिक्षा निदेशालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली 

9829960782 [email protected]

माता-पिता – श्रीमती गौरां देवी, श्री कालूराम भार्गव 

प्रकाशित रचनाएं – 

जलियांवाला बाग दीर्घ कविता-खण्डकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ)

मैं हिन्दी हूँ – राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य-महाकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ)

आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ राजस्थान भारत 

कविता संग्रह शीघ्र प्रकाश्य – 

वीर पंजाब की धरती (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – महाकाव्य )

उद्देश्य– हिंदी को प्रशासनिक कार्यालयों में लोकप्रिय व प्राथमिक संचार की भाषा बनाना।

साहित्य सम्मान – 

स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश l

साहित्य श्री सम्मान 2020- साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र l

ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक l

सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड। 

 

 

 




हालात

राहें सूनी, गलियाँ सब वीरान हो गए हैं

जिंदा लाशों से देखो अब इंसान हो गए हैं।।
                   *****
     खून से लथपथ हाथ,ज़मीर हैं मरे हुए
ग़ौर से देखो दिल इनके श्मशान हो गए हैं।।
                    *****
    नहीं किसी की चीख़-पुकार सुने कोई
गूँगे-बहरे देखो इनके अब कान हो गए हैं।।
                    *****
         बस खुद की जेबें भरते हैं ये देखो
सफ़ेदपोश ये नेता सब बेईमान हो गए हैं।।
                    *****
  चप्पे-चप्पे पे पड़ी हैं बिखरी लाश यहाँ
गहरी नींद में मंदिर के भगवान हो गए हैं।।
                    *****
    नफ़रत की अब बू आती सब चेहरों से
प्रेम गुलिस्तां अब जंग के मैदान हो गए हैं।।
                    *****
        ये कैसी आबो-हवा “दीप” ये मंज़र कैसा
क्यों जानबूझकर सब इतने अनजान हो गए हैं।।
                    *****
        कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
       हिसार ( हरियाणा )
       संपर्क सूत्र -9050956788
मेल – [email protected]