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विश्व पर्यावरण

—– – विश्व पर्यावरण —

पर्यावरण प्रदूषण प्राणी प्राण कि आफत ब्रह्ममाण्ड के दुश्मन।
नदियां ,झरने ,तालाब ,ताल तलइया सुख गए धरती बंजर रेगिस्तान।।
श्रोत जल का चला गया पाताल जल ही जीवन का जीवन दर्शन का सरेआम मजाक ।।
युद्ध होगा अब जल कि खातिर जल बिन तड़फ तड़फ कर निकलेगा प्राणी का प्राण।।
जल जो अब भी है बचा हुआ है प्राणी के कचड़े से हुआ कबाड़।।
ऋतुओं ने चाल बदल दी मौसम का बदल गया मिज़ाज ।।
सर्दी में गर्मी ,गर्मी में सर्दी ,वर्षा मर्जी कि मालिक जब चाहे आ जाय जाय।।
प्रकृति के मित्र धरोहर प्राणी विलुप्त प्रायः दादा ,दादी कि कहानियो के ही पात्र पर्याय।।
बन ,उपवन ही जीवन पेड़ पौधे कट रहे चमन धरती के हो रहे बिरान ।।
हवा में घुली जहर साँसों में जहर आफत में है प्राणी प्राण ।
ध्वनि प्रदुषण ,धुँआ प्रदूषण साँसत में है जान। ।
पर्यावरण ,प्रदुषण बन गया बिभीषन नित्य ,प्रतिदिन निगल रहा शैने ,शैने ब्रह्माण्ड प्राणी का ज्ञान ,विज्ञानं।।
प्रतिदिन विश्व में कहीं न कहीं अवनि डोलती भय भूकंप का भयावह साम्राज्य।।
सुनामी ,तूफ़ान कि मार झेलता युग संसार।।
प्राणी, प्राण प्रकृति का संतुलन असंतुलित धरती का बढ़ रहा तापमान ।।
ग्लेशियर पिघलते सागर तल कि ऊंचाई बढ़ती अँधेरा होता आकाश ।।
अँधा धुंध विकास कि होड़ में अँधा प्राणी जीवन के मित्र नदारत पर्वत हुए चट्टान।।
समय अब भी कुछ बाकी कुछ तो सोचो प्राणी प्रकृति का करो पुनर्निमाण।।
प्रदूषण के खर दूषण दानव को ना करने दो विनास।।
प्रकृति कि मर्यादा के राम बनो, मधुबन के मधुसूदन, कालीदह का नटवर नागर कि मुरली कि बनो तान।।
जल सरक्षण ,बन सरक्षण का अलख का हो शंकनाद।।
प्रदूषण के दानव से संरक्षित संवर्धित का हो संसार ।।
बृक्ष भी हो जैसे संतान, जल कि अविरल ,निर्मल धरा का बहे प्रवाह।।
ऋतुएँ ,मौसम हो संतुलित हरियाली खुशहाली का ब्रह्माण्ड।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पितसम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश




प्रकृति प्रदुषण का यथार्थ

 

पेड़, पौधे ,जंगल कट रहे नए, नए नगर, शहर बस रहे। प्रकिति कुपित मानव पुलकित ब्रह्मांड के मानक बदल रहे।।
जहर हवा ,दूषित जल है जीवन कितना मुश्किल है नदियां, झरने ,झील सुख गए अपनी पहचान से रूठ गए।।
नदियां जीवन रेखा सी नित्य, निरंतर निर्मल ,निर्झर बहती कहती भारत भूमि जन्नत कि शान हो रहे बीरान।।
नदियां नालों में तब्दील इंसानी हरकत हद से प्रदूषित संकीर्ण हर सुबह कसमे खता है इंसान धरती को स्वर्ग बनाएंगे पर्यावरण बचाएंगे।।
ढले शाम नई गन्दगी देकर पृथ्वी कि हस्ती प्रदूषित और विभूषित करत जाता इंसान।।
इंसान का एक दूजे से नहीं कोई रिश्ता नाता इंसान ही प्रदूषण बेचता इंसानी समाज ही खाता और पचाता पर्यावरण बदहाल।।
आटा, चावल ,घी ,तेल ,मशाला जाने क्या ,क्या दवाई और मिठाई आधा असली आधा नकली ,नकली का बोल
बाला इंसान।।

इंसानो को खुद कि चिंता ही नहीं प्रकृति धरा धन्य को क्या बचा पाएगा। आने वाली नाश्लो को वीरान बीमारी कि युग सृष्टि घुट घुट मरने को दे जाएगा।।
तील तील मरता इंसान अपनी पैदाईस जिंदगी पर सिर धुन धुन कर रोयेगा पछतायेगा।।
अंधा धुंध कटते बृक्ष जंगल।बनता मैदान प्रकृति के प्राणी मरते पल पल करते इंसानों से जीवन रक्षा कि गुहार।।
इंसानो ने उनका घर ,जीवन ,छिना सभ्यता विकास कि दौड़ होड़ में मरते मरते युग इतिहास में कहानी किस्सों के बनते गए किरदार।।

मरते ,मरते अस्तित्व को लड़ते लड़ते इंसानों को देते जाते श्राप मेरा तो आश्रय अस्तित्व है छीना तुम खुद के अस्तित्व में करोगे हाहाकर लम्हा लम्हा भय भयंकर झेलोगे संताप।। झेलोगे नामी और सुनामी धरा डोलती बोलती और तूफ़ान।।
तेरे कर्मो का फल प्रकृति पर्यावरण का श्राप परिणाम मानव और मानवता के लिये नहीँ क़ोई विकल्प नही संयम
संकल्प ही शेष आज।।
प्रकृति बचाओ, युग बचाओं, शुद्ध हवा और पानी जल ही जीवन ,वन ही जीवन झरने नदियां और पहाड़,प्रकिति जिंदगानी।।
परिवार प्रकृति का सरक्षण ना हो।कोई प्रदूषण हो स्वच्छ हवा और पानी हो स्वस्थ मानव मन और काया लम्बी जिंदगानी हो।।
कलरव करती नदियां मौसम ऋतुए चलती जाएँ अपनी गति और चाल प्रकृति का हर प्राणी मानवता का मित्र रहे ना पिघले ना ग्लेशियर ना बढे धरती का ताप ।।
समन्दर से ना उठे क़ोई गुबार सर्दी,गर्मी ,वर्षा शरद पृथ्वी के अभिमान ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश




बिना तेरे

तेरा हो जाऊँ

तेरा हो जाऊँ

तेरी बाहों के सिरहाने पे, सर रख कर सो जाऊँ ।
तेरे हसीं खाबों में हमेशा के लिए गुम हो जाऊँ ।।

हम भी बड़े बेताब हैं,तेरे दिल में रहने को;
तू प्यार से बुला मुझे,मैं अंदर तभी तो आऊँ ।

तुझे हक़ से दुनिया वालों से माँग ही लूँगा;
बस, पहले ज़माने की नजर में कुछ हो जाऊँ।

हर वक्त मेरे ही ख़्याल पैदा हो तेरे ज़हनो-दिल में; तेरी यादों में अहसासों के कुछ मीठे बीज बो जाऊँ ।

अब तो दिन-रात यही फ़रियाद करता है ‘दीप;
ता क़यामत तू मेरी हो जाए ,मैं तेरा हो जाऊँ।

तेरी बाहों के सिरहाने पे, सर रख कर सो जाऊँ ।
तेरे हसीं खाबों में हमेशा के लिए गुम हो जाऊँ ।।

    संदीप कटारिया (करनाल, हरियाणा)




वक्त की कद्र

वक्त को जान इंसान
मत जाया होने दे
कर वक्त की कद्र बन कद्रदान
वक्त के इम्तेहान से
ना हो परेशान।।
वक्त को जो जानता पहचानता
वक्त के लम्हो को संजीदगी
से जीता गुजरता
वक्त उसको देता तख्त ताज की सौगात अरमानो की अविनि आकाश।।
वक्त का लम्हा लम्हा कीमती
दामन दिन ईमान कहता है
गीता कुरान वक्त पे मत
तोहमत लगा वक्त संग
साथ जीने वाले पर मेहरबान।।
सुरखुरु होता इंसान वक्त की
राह में खुद की चाह में मीट
जाने के बाद वक्त ही लिख देता
तकदीर इंसान बन जाता खुदा
भगवान।।
वक्त प्रवाह मौजो का उतार
चढ़ाव वक्त समंदर की लहरों
जैसा जिंदगी के मुसाफिर की
मंजिल मकसद का पैमाना माप।।
वक्त जानता पहचानता
के कदमो के निशान खुद के तमाम
इम्तेहान से गुजरे इंसान सौंप देता
जहाँ का दींन ईमान।।
वक्त काट मत क्योकि
वक्त तो कटता नही तू खुद
कट जाएगा जिंदगी की शाम
से पहले ही किनारे लग जायेगा
गुमनामी के आंधेरो में खो जाएगा
सिर्फ भुला देने वाला रह जाएगा
नाम अंजना अनजान।।
वक्त की नज़रों का नूर
हाकिम हुज़ूर वक्त मेहरबान
कमजोर भी ताकतवर जर्रा भी
चट्टान वक्त के तीन नाम परसा
परसु परशुराम।।




वक्त की क्या बात

वक्त की क्या बात
अच्छों अच्छो की
दिखा देता औकात
पल भर में रजा रंक
फकीर वक्त की तस्वीर।।
वक्त किसी का गुलाम नही
वक्त संग या साथ नही
वक्त किसी का शत्रु मित्र नही
वक्त तो भाग्य भगवान् फकीर।।
वक्त दीखता नही दामन में
सिमटता नही आग में जलता नही
सागर की गहराई में डूबता नही वक्त कायनात का राहगीर।।
समय काल आवर दिवस माह
वर्ष युगों युगों से अपनी गति
चाल के संग भूत् वर्तमान अतीत।।
वक्त तारीख का पन्ना नही
वक्त तारीख का पन्ना सिर्फ
कायनात की यादों की जमीन।।
वक्त रुकता नही चलता जाता
लाख जतन कर ले कोई लौट
कर नही आता वक्त जज्बा जमीर।।
वक्त के अपने रंग रूप
कही दिखता है चमन बहार में
खुशियों की कायनात में प्रेम मुस्कान में वक्त ही करम करिश्मा तकदीर।।
वक्त आसुओं की धार विरह
वियोग संजोग मिलन जुदाई
वक्त रिश्तों की डोर का छोर
वक्त कब्रिस्तान श्मशान वफ़ा
बावफ़ा बेवफाई।।
वक्त किस्मत वक्त काबिलियत
वक्त सस्ता वक्त महंगा वक्त जख्म
वक्त मरहम वक्त मजबूर वक्त मशहूर वक्त खुदा खुदाई।।
वक्त जागीर नही वक्त जागीर का
जन्म दाता हद हैसियत बनाता मिटाता वक्त आग वक्त ओस
वक्त शोला आग रुसवाई।।
वक्त औकात वक्त ताकत
वक्त कमजोर की हिमाकत
वक्त अर्थ को अर्थहीन
बेमोल को बेशकीमती बानाता
वक्त से ही नाम बदनाम
वक्त ना दोस्त ना भाई ।।
वक्त नही बदलता बदलता
सिर्फ वक्त का मिज़ाज़ वक्त
मौसम चोली दामन का
साथ वक्त बेरबम हरज़ाई।।
वक्त मजलूम
वक्त ही दिखाता हर दर द्वार
वक्त को कोई पार न पाया
वक्त ना अपना पराया वक्त
शौर्य समशीर।।
वक्त वाकया वक्त फ़साना
अफ़साना वक्त कीमती
वक्त दुनियां की दौलत
वक्त गवाह वक्त गुनाह
वक्त मुज़रिम वक्त मजलिस
वक्त मुंसिफ मुसाफिर बाज़
दगाबाज़ मौका मतलब धोखा
सौदा सौदाई।।




वादे और वक्त

वादे तो वादे वादों का क्या
वक्त से मोहलत मिली
निभा दिया।।
निभा नहीं पाये तो हालत
वयां किया।
हालत तो हलात का क्या
कभी माकूल कभी
दुश्मन ,नामाकूल सा होता।।
हालत ,हालात बदल सकते
गर वादा
जुबान ,जज्बे , जज्बात का
बयां इरादा होता।।
इरादे तो इरादे है, इरादों का क्या
हारते हिम्मत का शर्मशार
कश्ती का मज़ाक तो शेर की दहाड़ होता।।
हौसलों की हद नहीं होती पस्त
हौसला नहीं होता
इरादों के जद में ,हौसलो
की हद ,वादों का वजूद कद होता।।
वक्त जहाँ में सबके लिये
बराबर मुंसिफ मिज़ाज़ वक्त खुदा भगवान होता।।

वक्त ना किसी का दोस्त् ना किसी का दुश्मन।।
वक्त का दुश्मन इंसान खुद को धोखा देता।।

वक्त कद्रदान पर मेहरबान
जाया करता जो मिले वक्त को
वक्त ही कर देता बेमोल परेशान।।
शख्स जो को खुद को वक्त में खोजता हो जाता वक्त के थपेड़ो भंवर भ्रम के जाल में शर्म शार।।

बीत जाती जिंदगी कोषते
तक़दीर ,वक्त, खुदा ,भगवान् को
तकदीर खुदा भगवान् का क्या?
उनके लिये सारा संसार होता।।
तदवीर के तरासे इंसान की चमक
ईमान वादे की हैसियत वक्त की
कीमत वक्त का जर्रा जमीं जिगर होता।।

हौसलो इरादों के इंसान की
लब्ज जुबान कीमती होता
वादे निभाने की ताकत
तकदीर खुदा भगवान् से मिल
जाने की आशिकी का जूनून होता।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर




इश्क का चांद

[2/2, 8:49 PM] Pitamber: खुद खड़े कतार अपने वक्त का
करते इंतज़ार फिर भी वक्त नही है।।

भीड़ का मेला चहुँ और सिर्फ
मुङो का झमेला एक दूजे को
धरती का धुल चटाता अपनी वाऱी की खातिर मारा मारी करता इंसान क्योकि वक्त नही है।।

धक्का मुक्की मारा मारी आगे बढ़ने की कोशिश करता अपनी वारी की खातिर सारे जतन करता मानव मानवता की मान भाई वक्त
नही है।।

माँ की कोख
ने पाला नौ माह जब मौका
आया देखु युग संसार कहने
लगे रिश्ते नातेदार काहे का
इंतज़ार वक्त नही है।।

माँ गयी डाक्टर के पास
प्रसव पीड़ा से बेहाल डॉक्टर
बोली खतरे में जच्चा बच्चा
अब मत करो इंतज़ार खुशियो
का सत्कार क्योकि वक्त नही है।।

सीजर बच्चा
देखे युग संसार विलम्ब काहे
वक्त नहीं है।।

दुनियां में आया खुशियों की
दौलत लाया बीते दिन दो चार
माँ ही रह गयी पास बाकी सब
कह गए मिलेंगे हर वर्ष गाँठ
काम बहुत है वक्त नही
है।।

धीरे धीरे बढ़ता जाता
माँ मुझे गोद लिये खड़ी
कतार कभी अस्पताल में
कभी मंदिर में करती अपनी
वारी का इंतज़ार भागम भाग क्योकि वक्त नही है।।

जब मैंने होश संभाला
दुनियां समाज रिश्तें नातो
खास खासियत
जाना नही कोइ जिम्मेदारी
काम फिर भी वक्त नही है।।

हर जगह है मारा मारी
हर कोई करता अपनी वारी
का इंतज़ार फिर भी वक्त नहीं है।।
स्कूल में दाखिले का सवाल या
बस ट्रेन हो या हॉट बाज़ार
सब खड़े कतार फिर भी वक्त नही है।।

जाने कितने है बीमार शायद
पूरी दुनियां ही बीमार अस्पताल
में भाग्य भगवान् भरोसे खड़े सब्
अपनी बारी का करते इंतज़ार
फिर भी वक्त नही है।।

दफ्तर सरकारी है तो क्या बात
पूछों मत हाल कुर्सी पर बैठा बाबू या अधिकारी पीता चाय पर चाय
कोई काम नही फिर भी वक्त नही है।।
आफिस में दाखिल होते ही
बाबू हो या अधिकारी आपस
में चर्चा करते राजनीती टी वीऔर
अखबार।।

पीते फिर चाय आ
जाए गर कोई फरियादी लेकर
कोई कार्य झट बोलते कितना है
काम वक्त नही है।।

राशन की कतार गैस सिलेंडर
की कतार बैंको में पैसा देने लेने
की कतार कतार दर कतार
इंतज़ार दर इंतज़ार फिर भी
वक्त नही है।।

जीवन बिता
खड़े कतार मरने के बाद
खड़ा पड़ा मुर्दा कतार है।।

अपने
श्मशान कब्र की कब
आएगी बारी पता नही करता
इंतज़ार फिर भी वक्त नही है।।

जीवन में देखा शिक्षक को वक्त
नहीं डॉक्टर को वक्त नही ।।
माँ बाप ने कितनी कठिनाई
दुःख पीड़ा से बच्चों को पाला
बच्चे गर लायक तो वक्त नही नालायक तो वक्त नही है।।

जीवन में वक्त नही मरने के
बाद करते है कब्रिस्तान श्मशान
का इंतज़ार फिर भी वक्त नही है।।

दुनियां की दौलत से कीमती
वक्त जीवन के प्रिय प्रियतमा
से लेते फेरे ।।

पंडित से कहते
दक्षिणा दर ज्यदा कर लो
संक्षिप्त करो वैवाहिक संस्कार
वक्त नही है।।

वक्त नही के चक्कर में बढ़
गया भ्रष्टाचार कतार का
चक्कर नियम क़ानून का
मैटर कर नही सकते इन्तज़ार
कुछ दे ले कर शीघ्र निपटाते
काम क्योकि वक्त कीमती
वक्त नही है।।

अब और कठिन दौर है
माँ बाप भी जन्म देने के
बाद बच्चे को देते सौंप
किड्स हाउस वक्त नही
है की नई संस्कृति इज़ाद।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
[2/3, 7:24 PM] Pitamber: वादे तो वादे वादों का क्या
वक्त से मोहलत मिली
निभा दिया।।
निभा नहीं पाये तो हालत
वयां किया।
हालत तो हलात का क्या
कभी माकूल कभी
दुश्मन ,नामाकूल सा होता।।
हालत ,हालात बदल सकते
गर वादा
जुबान ,जज्बे , जज्बात का
बयां इरादा होता।।
इरादे तो इरादे है, इरादों का क्या
हारते हिम्मत का शर्मशार
कश्ती का मज़ाक तो शेर की दहाड़ होता।।
हौसलों की हद नहीं होती पस्त
हौसला नहीं होता
इरादों के जद में ,हौसलो
की हद ,वादों का वजूद कद होता।।
वक्त जहाँ में सबके लिये
बराबर मुंसिफ मिज़ाज़ वक्त खुदा भगवान होता।।

वक्त ना किसी का दोस्त् ना किसी का दुश्मन।।
वक्त का दुश्मन इंसान खुद को धोखा देता।।

वक्त कद्रदान पर मेहरबान
जाया करता जो मिले वक्त को
वक्त ही कर देता बेमोल परेशान।।
शख्स जो को खुद को वक्त में खोजता हो जाता वक्त के थपेड़ो भंवर भ्रम के जाल में शर्म शार।।

बीत जाती जिंदगी कोषते
तक़दीर ,वक्त, खुदा ,भगवान् को
तकदीर खुदा भगवान् का क्या?
उनके लिये सारा संसार होता।।
तदवीर के तरासे इंसान की चमक
ईमान वादे की हैसियत वक्त की
कीमत वक्त का जर्रा जमीं जिगर होता।।

हौसलो इरादों के इंसान की
लब्ज जुबान कीमती होता
वादे निभाने की ताकत
तकदीर खुदा भगवान् से मिल
जाने की आशिकी का जूनून होता।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
[2/4, 10:25 PM] Pitamber: वक्त की क्या बात
अच्छों अच्छो की
दिखा देता औकात
पल भर में रजा रंक
फकीर वक्त की तस्वीर।।
वक्त किसी का गुलाम नही
वक्त संग या साथ नही
वक्त किसी का शत्रु मित्र नही
वक्त तो भाग्य भगवान् फकीर।।
वक्त दीखता नही दामन में
सिमटता नही आग में जलता नही
सागर की गहराई में डूबता नही वक्त कायनात का राहगीर।।
समय काल आवर दिवस माह
वर्ष युगों युगों से अपनी गति
चाल के संग भूत् वर्तमान अतीत।।
वक्त तारीख का पन्ना नही
वक्त तारीख का पन्ना सिर्फ
कायनात की यादों की जमीन।।
वक्त रुकता नही चलता जाता
लाख जतन कर ले कोई लौट
कर नही आता वक्त जज्बा जमीर।।
वक्त के अपने रंग रूप
कही दिखता है चमन बहार में
खुशियों की कायनात में प्रेम मुस्कान में वक्त ही करम करिश्मा तकदीर।।
वक्त आसुओं की धार विरह
वियोग संजोग मिलन जुदाई
वक्त रिश्तों की डोर का छोर
वक्त कब्रिस्तान श्मशान वफ़ा
बावफ़ा बेवफाई।।
वक्त किस्मत वक्त काबिलियत
वक्त सस्ता वक्त महंगा वक्त जख्म
वक्त मरहम वक्त मजबूर वक्त मशहूर वक्त खुदा खुदाई।।
वक्त जागीर नही वक्त जागीर का
जन्म दाता हद हैसियत बनाता मिटाता वक्त आग वक्त ओस
वक्त शोला आग रुसवाई।।
वक्त औकात वक्त ताकत
वक्त कमजोर की हिमाकत
वक्त अर्थ को अर्थहीन
बेमोल को बेशकीमती बानाता
वक्त से ही नाम बदनाम
वक्त ना दोस्त ना भाई ।।
वक्त नही बदलता बदलता
सिर्फ वक्त का मिज़ाज़ वक्त
मौसम चोली दामन का
साथ वक्त बेरबम हरज़ाई।।
वक्त मजलूम
वक्त ही दिखाता हर दर द्वार
वक्त को कोई पार न पाया
वक्त ना अपना पराया वक्त
शौर्य समशीर।।
वक्त वाकया वक्त फ़साना
अफ़साना वक्त कीमती
वक्त दुनियां की दौलत
वक्त गवाह वक्त गुनाह
वक्त मुज़रिम वक्त मजलिस
वक्त मुंसिफ मुसाफिर बाज़
दगाबाज़ मौका मतलब धोखा
सौदा सौदाई।।
[3/18, 6:51 PM] Nandlal Mani Tripathi: ——इश्क का चाँद —

अरमानों निकला चाँद हलचल दुनियां में भाग्य भगवान जैसा।।
जग मग तारे दीप प्रेमी
प्रेम की चाहत जैसा।
सुंदर चाँद कि हद इश्क चाँदनी जैसा।।
उड़ती हवाओ में केशुओ में चाँद सा चेहरा छिपा सावन कि घटाओ में छुपे चाँद के जैसा।
आँखों का काजल सावन का बादल शर्म से आंखे झुक जाना चाँद के शर्माने जैसा!!
हर तरफ प्रेम की मल्लिका कि खुशबु
चाँद कि चांदनी में कलियों के खिलने जैसा ।।
चाँद का प्यार सागर की प्रेम गहराई जैसा ।।
चाँद से दुनियां में चॉदनी प्रेम का चाँद दिल में हो उजियार जैसा।।
चाँद का दाग हुस्न के गालो पे काला तील जैसा ।।
चाँद सा हुस्न का मुस्कुराना दिलों पे बिजली गिरना चमक चाँद के जैसा।!
निकलते चाँद कि लाली लवो के हुस्न कि लाली चाहत के पैमाने जाम जैसा।!
चाँदी जैसा रंग हुस्न का चाँद कि चाँदनी जैसा ।।
हुस्न कि हद हकीकत चाँद जैसा।।

चाँद का सबाब लम्हा लम्हा हुस्न इश्क के अफ़साने जैसा।।
चाँद का शाम ढ़ले आना चाँद का हुस्न इंतज़ार तराने जैसा।।
ढलती रात में चाँद का सुरूर हुस्न कि तपिस में परवानो के जल जाने जैसा।।
सर्द चाँदनी रातों में टपकती ओस कि बूदें सबनम के गिरने बिखरने जैसा।।
दूज का चाँद ,चौदवीं का चाँद, ईद का चाँद ,पूर्णवासी का चाँद प्यार हुस्न इश्क के नज़राने जैसा।।
मोहब्बत है नशा ,इश्क जुनुन ,हुस्न मैखाने जैसा ।
हुस्न दीवानो कि तमन्ना, चाँद जहां कि आरजू जैसा।।
हुस्न ,का इश्क इबादत ,चाँद कि चाहत दीदार प्यार यार जैसा।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर




तराने ज़िंदगी के

जिंदगी के तरानो में तेरा अंदाज है शामिल

जिंदगी के तरानो में तेरा अंदाज है शामिल!!
धड़कतै दिल कि धड़कन में तेरा एहसास है शामिल!
जिंदगी के तरानो तेरा एहसास हैं शमिल!!
जिंदगी के हर लम्हों कि राहों में तेरा इजहार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसान है शामिल!!
सुर्ख सुबह कि लाली चमकती गालों पे बाली
माथे पे चांद सी दमकती विंदिया
नजर के नूर का दीदार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास हैं शामिल!!
घने जुल्फों के सेहरे में छुपा तेरा ए चेहरा
करम किस्मत कि ख्वाहिसो का इंतजार है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास है शामिल!!
तू मकसद कि मल्लिका अरमानों कि बहों में
इरादों कि इबादत का इम्तिहान है शामिल!
जिंदगी के तरानो में तेरा एहसास हैं शामिल!!

नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर




शिवोहं

शिवोहं शिवोहं शिवोहं
चिता भस्म भूषित श्मसाना बसे हंम
शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।
अशुभ देवता मृत्यु उत्सव हमारा
शुभोंह शुभोंह शुभोंह शुभोंह शिवोहं शिवोहं शिवोहं ।।
भूत पिचास स्वान सृगाल कपाली कपाल संग साथ हमारे स्वरों हम
स्वरों हम स्वरों हम शिवोहं शिवोहं
शिवोहं ।।
गले सर्प माला जटा गंग धारा
मुकुट मुंड माला देवों हंम देवों हम
देवोँ हम देवोँ हम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।
डमरू त्रिशूल शीश चंद्र धरे हम
पहने मृग छाला कैलाशम बसेंह
शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।
देवता दानव सब शरण हमारे
जगत कल्याण धैर्य ध्यान त्रिनेत्र धरे हम देव तत्व की शक्ति बनी रहे ये सृष्टि
विषपान करें हम विषपान करे हम विष पान शिवोहं शिवोहं
शिवोहं ।।
अकाल का काल महामृत्युंजओ हम
दुख क्लेश हर्ता विघ्न विनाशक हम
पार्वती अर्ध अर्धागिनी अर्ध नारीश्वरों हम अर्धनारीश्वरों हम अर्ध नारीश्वरों हम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।
वसहा बैल नंदी है वाहन हमारा
रौद्र रुद्र तांडव दुष्ट संघार कारक
औघड़ रूप धरे हम औघड़ रूप धरे हम औघड़ रूप धरें हम शिवोहं शिवोहं
शिवोहं शिवोहं।।
पकवान मिष्टान्न नही प्रिय मुझको
भांग धतूर बेल पत्रम प्रिये हम
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।
महादेव ,शिव शंकर, भोला ,गङ्गाधर
आशुतोष पंचाछरी मंत्र ॐ नमः
शिवायः से रीझे हम शिवोहं शिवोहं
शिवोहं शिवोहं।।।

पाप शाप विनाशक मोक्ष मुक्ति
प्रदायक कलयुग जीव उपकार
में हम द्वादस ज्योतिर्मय ज्योतिर्लिंग
बसे हम बसे हम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।।

नांदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर




ख्वाबों का इश्क

लव है पैमाना ,नज़रे है मैख़ाना तेरी चाहत दुनियां कि तकदीर दीदार बीन पिए वहक जाना।।
सावन की घटायें तेरी जुल्फे चाल है मस्ताना ।।
गज गामिनी अंदाज़ अशिकाना हुस्न की हद हैसियत नजराना ।।
क़दमों कि आहट से ज़माने में हलचल धड़कते दिलों कि है तू जाने जाना। हवाओं में उड़ती जुल्फे कभी चाँद से चेहरे का हिज़ाब ,कभी चाँद के दीदार का बहाना।।
जन्नत की जीनत ,प्यार का अरमान जहाँ में खुदा का नूर नज़राना।।
फिजाओं की मस्ती इश्क इबादत की हस्ती तू जिंदगी जान यारी है याराना।।
वज्म ,वजूद जहाँ जमाने कि मोहब्बत कि मल्लिका जिंदगी का तराना ।।दुनियां ,कारवां कि मंजिल आशिकी का अफ़साना ।।
शर्म से चिलमन में तेरा चेहरा खूबसूरत कायनात कि चांदनी का छूप जाना।।
चाहतों कि जिंदगी करिश्मा किस्मत कि तेरा मिल जाना।।
आहे भरते है सुनते तेरा ही अफसाना सिर्फ एक नज़र को तरसता है दीवाना।।
दिल ,दुनियां ,दौलत करम किस्मत है जज्बा ,जूनून हकीकत जन्नत है तेरा मुस्कुराना।।
परस्तीस तमन्ना है इबादत आशिकी इश्क में जल जाना।।

नन्द लाला मणि त्रिपाठी पीताम्बर