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चाहत का इश्क

लव है पैमाना ,नज़रे है मैख़ाना तेरी चाहत दुनियां कि तकदीर दीदार बीन पिए वहक जाना।।
सावन की घटायें तेरी जुल्फे चाल है मस्ताना ।।
गज गामिनी अंदाज़ अशिकाना हुस्न की हद हैसियत नजराना ।।
क़दमों कि आहट से ज़माने में हलचल धड़कते दिलों कि है तू जाने जाना। हवाओं में उड़ती जुल्फे कभी चाँद से चेहरे का हिज़ाब ,कभी चाँद के दीदार का बहाना।।
जन्नत की जीनत ,प्यार का अरमान जहाँ में खुदा का नूर नज़राना।।
फिजाओं की मस्ती इश्क इबादत की हस्ती तू जिंदगी जान यारी है याराना।।
वज्म ,वजूद जहाँ जमाने कि मोहब्बत कि मल्लिका जिंदगी का तराना ।।दुनियां ,कारवां कि मंजिल आशिकी का अफ़साना ।।
शर्म से चिलमन में तेरा चेहरा खूबसूरत कायनात कि चांदनी का छूप जाना।।
चाहतों कि जिंदगी करिश्मा किस्मत कि तेरा मिल जाना।।
आहे भरते है सुनते तेरा ही अफसाना सिर्फ एक नज़र को तरसता है दीवाना।।
दिल ,दुनियां ,दौलत करम किस्मत है जज्बा ,जूनून हकीकत जन्नत है तेरा मुस्कुराना।।
परस्तीस तमन्ना है इबादत आशिकी इश्क में जल जाना।।

नन्द लाला मणि त्रिपाठी पीताम्बर




शराब कहते है

हलक को जलाती ,
उतरती हलक में शराब कहते है।।
लाख काँटों की खुशबू गुलाब कहते है।।
छुपा हो चाँद जिसके दामन में
हिज़ाब कहते है।।
ठंडी हवा के झोंके उड़ती जुल्फों
में छुपा चाँद सा चेहरा, बिखरी
जुल्फों में चाँद का दीदार कहते है।।
सुर्ख गालों की गुलाबी ,लवों की
लाली बहकती अदाओं को साकी
शवाब कहते है।।
लगा दे आग पानी में सर्द की
बर्फ पिघला दे जवानी की रवानी
जवानी कहते है।।
जमीं पे पाँव रखते ही जमीं के
जज्बे जर्रे में हरकत जमीं
की नाज़ मस्ती हद हस्ती
मस्तानी कहते हैं।।
सांसों की गर्मी से बहक जाए
जग सारा जहाँ का गुलशन
गुलज़ार कहते है ।।

धड़कते दिल की धड़कन से साज
नाज़ मीत का गीत संगीत कहते है।।
सांसो की गर्मी से निकलती
चिंगारी ,ज्वाला हसरत की दीवानी शाम की शमा कहते है।।
मिटा दे अपनी हस्ती को या
मिट जाए आशिकी में आशिक
आशिक नाम कायनात कहते है।।
नशे में चूर इश्क के जाम जज्बे
में हुस्न का इश्क दीदार कहते
है।।
नादाँ दिल की शरारत में
कमसिन बहक जाए कली
नाज़ुक का खिलना चमन
बहार कहते है।।
सावन के फुहारों
,वासंती बयारों में बलखाती बाला बंद
बोतल की शराब पैमाने का इंतज़ार कहते है।।

इश्क के अश्क ,अक्स एक दूजे के
दिल नज़रों में उतर जाए इश्क की इबादत इश्क इज़हार कहते है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश




अल्फ़ाज़

 

जुबां तोल, मोल , बेमोल,अनमोल, बहारों के फूलों कि बारिश अल्फ़ाज़।
तनहा इंसान का अफसोस हुजूम के कारवां कि जिंदगी का साथ अल्फाज़।।
वापस नही आते कभी जुबां से निकले अल्फ़ाज़ दोस्त, दृश्मन कि बुनियाद अल्फ़ाज़।।
जंगो का मैदान मोहब्बत के पैगाम जमीं आकाश कि गूंज आज,कल के अलफ़ाज़।।
दिल के जज्बात ,हालत, हालात का मिजाज अल्फ़ाज़।।
दिल में उतर जाते खंजर की तरह मासूम दिल कि अश्क, आशिकी ,सुरते हाल अल्फ़ाज़।।
जिंदगी रौशन ,सल्तनत बीरान तारीखों के गवाह अल्फ़ाज़।।
बेशकीमती दुआ ,बद्दुआ, फरियाद, मुस्कान अलफ़ाज़।।
अल्फ़ाज़ों में गीता, कुरान इबादत जज्बा ईमान।।
खुदा भगवान के जुबाँ से निकले इंसानियत इंसान के अल्फ़ाज़।।
अल्फाज़ो के गुलदशतों से सजती महफिलें सबाब बहार के अल्फ़ाज़।।
रौशन समाँ कि रौशन रौशनी कि खुशबु का बेहतरीन अंदाज़ अल्फ़ाज़।।
कसीदों कि काश्तकारी
रिश्तों में दस्तकारी अल्फ़ाज़।।
दिल में नश्तर कि तरह चुभते कभी, कभी दिल कि खुशियों का वाह वाह अल्फ़ाज़।।
नज़रों के इशारों, जुबाँ खामोश का अंदाज़ अल्फाज़।।
हद ,हस्ती आबरू, बेआबरू कसूर ,बेकसुरवार गुनाह,बेगुनाह के अल्फ़ाज़।।
बदज़ुबां का अल्फ़ाज़ जहाँ को करता परेशान ।।
खूबसूरत अल्फाज नेक ,नियत कि जुबां जमाने के अमन कि नाज़ का अल्फ़ाज़।।
तारीफ़, गिला ,शिकवा की
बाज़ीगरी का कमाल अल्फ़ाज़।
बेंजा उलझनों को दावत, जायज बदल देते हालात अल्फ़ाज़।।
गीत ग़ज़ल फूलों कि बारिश ,शहद कानों में मिश्री घोलता अल्फ़ाज़।।
अल्फाजों से बनता बिगड़ता रिश्ता खामोश जुबाँ ,निगाहों का जज्बे जज्बात अल्फाज़।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश




पानी

 

मर जाता आँख का पानी
इंशा शर्म से पानी पानी।
आँखों से बहता नीर नज़र का
आँसू पानी ही पानी।।

ख़ुशी के जज्बे जज्बात में
छलकता आँसू जिंदगी का मीठा
पानी ही पानी जिंदगानी।।

पानी है तो है प्राणी पानी से ही
प्राणी प्राण।
बिन पानी धरा धरती रेगिस्तान
वनस्पति पेड़ पौधे लापता उड़ती
रेत हवाओं में नज़ारा कब्रिस्तान।।

कब्रिस्तान में सिर्फ दफ़न होता
मरा हुआ इन्शान
रेगिस्तान की मृगमरीचिका में
पानी को भटकता जिन्दा
दफ़न हो जाता जिन्दा इन्शान।।

पानी से सावन का बादल
सावन सुहाना।
सावन की फुहार बरसात की बहार।
पानी धरती का प्राण
अन्नदाता किसान का जीवन अनुराग ।।
बारिस का पानी खेतों में हरियाली खुशहाली की एक एक बूँद
कीमती धरती उगले
सोना उगले हिरा मोती से दुनियां पानी पानी।।
पंच तत्व के अधम सरचना
शारीर में पानी आवश्यक
आधार।
दूध में खून में अस्सी प्रतिसत पानी कही पानी ही पानी
कही बिन पानी सब सून।।

पानी प्यास ही नही बुझाती
जन्म ,जीवन का बुनियाद बनती।।
कही बाढ़ पानी ही पानी
पानी ही पी पी ही मरता इन्शान।
कही सुखा प्यासा भूखा नंगा
मरता इंसान ।।
पानी में परमात्मा पानी से आत्मा
पानी से खूबसूरत कायनात विश्वआत्मा।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश




बलिदान दिवस और आज का युवा

युवा आम सभी होते
कुछ कर गुजरने की अभिलाषा
वाले विरले ही होते।।
राष्ट्र समाज की चेतना जागरण
पर मर मिटते वाले दुनियां के इतिहासों
में अमर होते।।
सिंह भगत की गर्जना अनवरत
गूंज रही है आज भी बन शौर्य शंखनाद।।

युवा उत्साह का अविनि आकाश गुरु कर्म ,धर्म के कुरुक्षेत्र का युग युवा ओज जिसे कहते।।
जीवन के सुख की परिभाषा
रचने वाला राष्ट्र को समर्पित
जीवन ,जीवन का नया आयाम
गढ़ने वाला युग युवा स्वाभिमान
रचने वाले युवा तेज जिसे कहते।।
भगत सिंह ,सुखदेव ,राज गुरु
नाम नही काल धन्य धरोहर है
त्याग ,बलिदानों की मर्म महिमा
युग युवा कर्तव्य बोध का भान
जिसे कहते।।
स्वतंत्र राष्ट्र हिंदुस्तान की पीढ़ी वर्तमान
युवा के पथ प्रदर्शक
दिशा दृष्टि सोपान जिसे कहते।।
माँ भारती के वीर सपूतों की
गाथा निष्काम कर्म धर्मयुद्ध
जीवन का संग्राम है जिसे कहते।।
जीवन मोह, पश्चाताप ,भय
से मुक्त जीवन मूल्य त्याग
बलिदान जिसे कहते ।।।

बलिदान
दिवस या सहादत का दिन
चाहे जो भी कह लो
राष्ट्र भक्त के बलिदानों का हम तो हिंदुस्तान जिसे कहते।।
युवा उमंग उल्लास माँ भारती की वेदना गुलामी की बेड़ियोँ को तोड़ने
युग युवा साथ निकल पड़े।।
हंसते हंसते फांसी के फंदे
पर झूल गए हिंदुस्तान जिंदाबाद
कहते कफ़न तिरंगा ओढ़ गए।।
ना जाने कितने ही यातना को फूलों का हार मान स्वीकार किया हँसते
कहते चले गए खुश रहो देश के
वासी हम तो मातृ भूमि की माटी का
चंदन माथे पर लिये चले गए।।
युवा भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव के
त्याग बलदानो का मोल हम क्या देंगे
यदि कुछ दे सकते है तो कहती है
लाहौर जेल की दीवारें जहाँ युवा
फाँसी के तख्तों पर झूल गए।।
पुणे खेड़ा, लुधियाना पंजाब ,बंगा
जो अब है पाकिस्तान की माटी का
कण कण बोल रहा युवा उठो जागो
भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव सा तुन्हें
देख सके।।
गर्व करे राष्ट्र तुम पर वीर सपूतों ने
जिसकी खातिर प्राणों का बलिदान
किया जाते जाते अपनी अभिलाषा
अतीत के पन्नो से वर्तमान के उपहार
दिये गए।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश