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*प्रेम मिलन की ऋतु आयी है वासंती*

*प्रेम मिलन की ऋतु आयी है वासंती*
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रचयिता :

*डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

चलो मिलन का गीत,वसंती कुछ गायें।
राग वसंती धुन आओ,मिल के सजायें।

ये मधुमास मनोहर,मन भावन कितना।
प्रेम मिलन का ये,अनुपम क्षण कितना।

दुर्लभ जीवन में ये,क्षण पायें या न पायें।
आयें मिलके इस,पल को सुखद बनायें।

खिल गईं कलियां,हर डाली बहुत सुहाए।
भौंरे मचल मचल,फूलों पर आएं मंडराए।

फूल एवं कलियाँ,सब देखो कैसे मुस्कायें।
गुलशन का माली,देख छटा मन में हर्षाये।

पतझड़ चला गया,ऋतु वसंत आगमन से।
रंग वसंती छा गया,चहुँ ओर घर आँगन में।

खिलीहै खेतों में सरसो,पीताम्बर ये धरती।
सोंधी मिट्टी से धूल उड़े,बागां में बौर लगती।

मन का कोना कोना,यह प्रसन्न प्रफुल्लित।
प्रेम मिलन के लिए,यह व्याकुल उद्वेलित।

क्यों न मिलन फिर,यह दोनों का हो जाये।
प्रेम मिलन से धरती,अम्बर खुश हो जाये।

विरह की अब कोई,बात नहीं है प्रियतम।
मौसम और ऋतु की, सौगात है प्रियतम।

इस सुख से वंचित ही,फिर क्यों रहा जाये।
चलो मिलन के गीत,वसंती तो गाया जाये।

तुम हो प्रेयसी प्राण हमारी,मैं तेरा प्रियतम।
स्वागत है इस ऋतु वसंत में,तेरा स्वागतम।

 

रचयिता :

*डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




*संघर्षों में लड़ने से ही मिलती है सदा सफलता*

*संघर्षो में लड़ने से ही मिलती है सदा सफलता*
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

 

संघर्षों में जो लड़ता है, आगे वही निकलता है।
जीवन में उसे ही आगे,मिलती नई सफलता है।

कड़ा परिश्रम कुंजी है,इससे ये ताला खुलता है।
आत्मविश्वास भरा उर में,तो नहीं असफलता है।

धोखा व बेइमानी तो,इस जग में सब चलता है।
संघर्षों से पीछे हट जाए,पाता वही विफलता है।

कर्मवीर जो भी होते हैं,खुद निज राह बना लेते।
काँटों को वे काट छाँट, पथ फूलों से सजा लेते।

बुरे वक्त पर निर्णय जो,जीवन में सही से लेते हैं।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी,वही मात दे देते हैं।

सपने वह नहीं होते हैं,जो सोने में रात में देखे हैं।
सपने उन्ही के सच होते हैं,जो सोने ही ना देते हैं।

आलस्य व आराम ही शत्रु है,किसी सफलता का।
कठिन मेहनत ही विकल्प है,किसी सफलता का।

आलस्य आराम छोड़, जो कठिन परिश्रम करता।
जब तक सफल न हो,वो थोड़ा ही विश्राम करता।

जीवन में एक बार कोई,यदि कामयाब हो जाता।
उसके पीछे उसके संघर्षों,का नाम सदा ही आता।

मेरा तो ये ही कहना है,कर्म करो तो मीठा है फल।
जैसे कर्म इंसा करता है,वैसा ही मिलता प्रतिफल।

 

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596




प्यार

प्यार

बड़ा-छोटा
काला-गोरा
मोटा-पतला
अमीर-गरीब
हर किसी को हो सकता है-किसी से प्यार ,
यह ना माने सरहदें, ना देखे दरो-दीवार,
हंसी-बदसूरत,बुढ़ा-जवान,तंदरूस्त-बीमार,
यहाँ सबके लिए खुले हैं – प्यार के किवार ।

मैं नहीं
तुम नहीं
आप नहीं
हम नहीं
एक है बंदा-संग लिए बैठा रिश्ते हज़ार,
सिर्फ़ दिल की सुनो जब अपनो से हो तक़रार,
कोई हुकुमते-निजाम ना माने दिले-बेक़रार
दायरों में सिमटकर कभी नहीं होता प्यार !

बेचारा
आवारा
नाकारा
खटारा
ना जाने क्या-क्या हो जाता ये दिल हमारा,
बेसहारा तो माँगे किसी की बाहों का सहारा,
उजड़ी जिंदगी में भी फिर आ जाती है बहार,
‘गर मिल जाए बेलोश चाहने वाला सच्चा यार ।

कबाब
शराब
शबाब
सबाब
सब नशे देखे; कहीं ना मिला रूहे-सुकून,
होंठ रसीले,नैन नशीले वो जवानी का जुनून,
बहुत कुछ सीने में छुपाए बैठा-ये दिले दाग़दार
तज़ुर्बे से कहते ‘दीप – सबसे बड़ा नशा है प्यार ।

 संदीप कटारिया (करनाल, हरियाणा)

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