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मन करता है

मन करता है

मन करता है चिड़िया  बनकर तेरे पास  चला  आऊँ

मन करता है तेरे कोमल हाथों में चुनकर दाने खाऊँ 

मन करता है तूँ कलम तूँ ही स्याही, मैं पन्ने बन जाऊँ 

मन करता है तूँ देवी शक्ति मेरी, मैं कंठाहार बन जाऊँ 

मन करता है तूँ तरु शिखर मेरा, मैं शाखाएं बन जाऊँ 

मन करता है तूँ धरती मैं नभ, तेरे आगोश में मिल जाऊँ 

मन करता है तूँ क्षीर पयोधि, मैं नदी बन तुझमें  समाऊँ

मन करता है तूँ स्वर्णमेखला मैं हिम, लिपट गले लगजाऊँ 

मन करता है तूँ हीर मेरी मैं रांझा, तेरे खेतों में गाएँ चराऊँ

मन करता है तेरी छोटी छोटी खुशियों में शामिल हो जाऊँ

 

मन करता है तूँ पुकारे   मुझे, मैं दौड़  लगाता  चला आऊँ 

मन डरता है अस्वीकार हो तेरा, तेरी तस्वीर देख प्राण लुटाऊँ 

मन करता है ले पुनर्जन्म, फिर से तेरा स्नेहिल बनकर आऊँ

 मन डरता है नियति में न हो ऐसा तो खुदा से तुझे मांग लाऊँ 

मन करता है   हे देवी कहीं  न  कहीं मैं तुझसे  निजता पाऊँ

मन करता है हे देवी  तेरे साये में, मैं अपने भाग्य को इठलाऊँ

 

हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ” 

शिक्षा – MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार JRF सहित 

सम्प्रति-हिन्दी शिक्षक, सर्वोदय बाल विद्यालय पूठकलां, शिक्षा निदेशालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली 

9829960782 [email protected]

माता-पिता – श्रीमती गौरां देवी, श्री कालूराम भार्गव 

प्रकाशित रचनाएं – 

जलियांवाला बाग दीर्घ कविता-खण्डकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ)

मैं हिन्दी हूँ – राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य-महाकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ)

आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ राजस्थान भारत 

कविता संग्रह शीघ्र प्रकाश्य – 

वीर पंजाब की धरती (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ  – महाकाव्य )

उद्देश्य- हिंदी को प्रशासनिक कार्यालयों में लोकप्रिय व प्राथमिक संचार की भाषा बनाना।

साहित्य सम्मान – 

  • स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश l
  • साहित्य श्री सम्मान 2020- साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र l
  • ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक l
  • सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड। 
  • कला शिरोमणी साहित्य सम्मान 2020- ब्रजलोक साहित्य शोध संस्थान, आगरा उत्तर प्रदेश l

 




निकलता सूरज छँटता अंधेरा

छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजिये।।

छोड़िए मायूसी अब कदम बढाईये मुश्किलें बहुत लड़ते बढ़ते जाईये ।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
मंजिलो कि राह में दुश्मन हैं बहुत हौसलो हुनर के शास्त्र शत्र से पथ विजय बनाइये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
रिश्तों के इस जहां में ना धोखा खाइये दोस्त दुश्मन में फर्क फासला बनाइये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
जिंदगी के हर कदम पे वादे
मुश्किलों में एक हिम्मत हौसलों का चिराग जलाइए।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
चिरागों की रौशनी में वादों इरादों यादों संग साथ चलते जाइए।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
मतलब के इस जहॉ में दोस्त नहीं मिलते ईमान का इंसान एक दोस्त बनाइये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
जिंदगी के सफ़र में दौर हैं तमाम
जिंदगी के हर दौर में मुस्कुराइए।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
रिश्तों से धोखा गैरों से मौका
जिंदगी के अजीब अंदाज़ को आजमाईये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
ख़ुशी में भी आंसुओ का रिवाज़
गम आंसुओ का जहाँ गम और
ख़ुशी की जिंदगी
में सदा मुस्कुराइए।।
छंट जाता अँधेरा तो टूटता ग़ुरूर
उजाले के आईने में सच्चाई निभाइए।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
दिल भी आईना जरा सी हरकत
से टूटता बिखरता दिल
सच का साथ निभाइए।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
मोहब्बत है जिंदगी
जहर नफरत का नहीं
नफरतों के नस्तरो से फासला बनाइये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।
जिंदगी और जहाँ में दल दल
है बहुत जिंदगी के दलदल से निकल झील का कमल बन सूरज के संग इतराइये।।
छँट जाएगा अँधेरा विश्वाश कीजिये सूरज निकलने का इंतज़ार कीजए।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश