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बेटी

बिटियाँ

रूप तुम्हारा रानी बेटी लगता है प्यारा-प्यारा
घर की रौनक तुम सबकी आँखों का तारा।

श्वेत लाल रंगों की फ्रॉक जैसे लटके बलून
छोटे-छोटे पैर तुम्हारे लगें मुलायम प्रसून।

उस पर सौहे रंग-बिरंगी सीटी बजाती चप्पल
माँ के कानों को मिला रस घोलता सिग्नल।

ठुमक ठुमक चलती जब ख़ुश हो घर हमारा
पायल की आवाज से उमड़े स्नेह सारा।

रूप तुम्हारा रानी बेटी लगता प्यारा-प्यारा
घर की रौनक तुम सबकी आँखों का तारा।

काले-काले और घुँघराले रानी बाल तुम्हारे
उस पर बनी सुन्दर चोटी फीता में रंग सारे।

तितली जैसी आँखों में लगा काजल प्यारा
माथे में शोभित डिठोना जैसे नजर उतारा।

सुन्दर सुडौल मनमोहक तनुजा मुँख तुम्हारा
गोल-कपोल,रंग है श्वेत गुलाब सा गोरा।

रूप तुम्हारा रानी बेटी लगता है प्यारा-प्यारा
घर की रौनक तुम सबकी आँखों का तारा।

तीखी नुकीली तोते जैसी बेटी नाक तुम्हारी
छोटे-छोटे कानों में पहन रखी हो बाली।

तितली जैसी पलके हिरणी सा नेत्र तुम्हारा
दिव्य सा चमकता माथा लगता है प्यारा।

नाजुक-नाजुक,छोटे-छोटे हैं हाथ प्यारे
नये पर्ण से हस्तों में रजत के कंगन न्यारे।

रुप तुम्हारा रानी बेटी लगता है प्यारा-प्यारा
घर की रौनक तुम सबकी आँखों का तारा।

त्रिवेणी मिश्रा “जया”
जिला डिंडौरी म.प्र.

  1. राष्ट्रीय बालिका दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🙏🙏




ए भारत माँ…..

            ए भारत माँ फिर से एक एहसान कर दे
वही सोने की चिड़िया वाला मेरा हिंदूस्तान कर दे,
                           *****
         मुझे चुभती हैं नस्तर सी ये ख़ार की नस्लें
मिटा दे नक़्शे-पटल से इनका काम तमाम कर दे,
                           *****
कर कोख़ से पैदा फिर राजगुरु,सुखदेव,भगतसिंह
 ये गुलशन हो चला वीरां फिर से गुलिस्तान कर दे,
                            *****
बहुत सह चुके अब अखरते हैं दिल को दगाबाज़ ये
ले-ले हाथों में मशाल, जंग का ऐलान कर दे,
                            *****
खरपतवार नफ़रतों की ना ये फिर से पनप जाये
माँ ऐसे मेरे चमन के तू बागबाँ कर दे ,
                            *****
कल-2 करते झरने,नदियाँ महके पीले सरसों के फूल
गाते-गुनगुनाते किसान लहलहाते खेत-खलिहान कर दे,
                             ****
   जलते रहें “दीप” खुशियों के सदाआँगन में यूँ ही
चाँद-सितारों से चमकता ये अंबर, आसमान कर दे !!
                             *****
               कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
                हिसार ( हरियाणा ) भारत
                



सैनिक

सैनिक

देश के रक्षक देश की शान ,
है अपने ये सैनिक महान ।
इनके बल पर अपनी चैन,
इनके ही भरोसे है दिन रैन ।
कोई कितना ऊँचा होजाये ,
इनतक कोई पहुँच न पाये ।
मन्दिर मस्जिद या गुरूद्वारे,
सबकी रक्षा में जान ये वारे।
इनका धर्म बस केवल एक,
मातृभूमि की रक्षा का नेक।
वीर सपूत ये महान है माता ,
तुलना है न कोई कर पाता ।
धन्य धरा के तुम धन्य सपूत,
तुम पर बलिहारी लाखों पूत।

डॉ.सरला सिंह स्निग्धा

दिल्ली  ।




गणतंत्र दिवस

*गणतंत्र दिवस मनायें*

गणतंत्र दिवस मनायें,
ये गणराज्य मुस्कुराये।
पावन धरा ये है हमारी,
इसको और जगमगायें।
नदियां गाती कल-कल,
चलो निर्मल इसे बनायें।
पर्वत कहते सिर उठाके,
सबसे ऊंचा इसे बनायें।
नवजागरण लेकर चलें,
हमारा  देश जगमगाये।
गणतंत्र दिवस मनायें,
ये गणराज्य मुस्कुराये।
ज्ञान औ विज्ञान पूरित ,
इसे जग का गुरु बनायें।
वीरों की भूमि ये पावन,
सर्वोच्चतम इसे बनायें।
गणतंत्र दिवस मनायें,
ये गणराज्य मुस्कुराये।
राम व कृष्ण की धरती,
पावनतम इसे बनायें।
विविध वेशभूषा वाली,
चलो अनुपम इसे बनायें।
कांटों को हम चुनके फेंकें,
बस फूलों से ये मुस्कुराये।
छोड़ दें सब भेद दिल से,
मानवता को अपनायें।
गणतंत्र दिवस मनायें,
ये गणराज्य मुस्कुराये।

*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*