अंतरराष्ट्रीय “प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता” “प्रेम का आधार”
प्रेम का आधार
मेरे प्यार के सपनों की दुनिया में, तुम आकर तो देखो ।
ना जाने क्यों इतने दूर हो, मेरी बाहों में समाकर तो देखो ।
बहुत सहली दूरियाँ, मुलाकातों का सिलसिला चलाकर तो देखो ।
कभी पास अपने बुलाकर, कभी पास हमारे आकर तो देखो ।
कभी प्रेम को, अपना आधार बनाकर तो देखो ।
कभी मुझे अपने दर्द का, हमदर्द बनाकर तो देखो ।
फूल बन जाओ कभी, भंवरा मुझे बनाकर तो देखो ।
कभी अपने हर राज़ का राज़दार बनाकर तो देखो ।
कभी चाँद तुम बन जाओ, चाँदनी हमें बनाकर तो देखो ।
कभी प्रेम को, अपना आधार बनाकर तो देखो ।
सर्वस्व माना तुम्हें, कभी अपना तुम भी बनाकर तो देखो ।
कभी राधा के कृष्ण, कभी मीरा के घनश्याम बनाकर तो देखो ।
दूरियाँ मिटाकर, कभी तुम भी पास आकर तो देखो ।
कभी मैं तुममे, कभी तुम मुझमे समाकर तो देखो ।
कभी प्रेम को, अपना आधार बना कर तो देखो ।
कभी हाँथ थामकर, सपनो को हक़ीकत बनाकर तो देखो ।
जीवन भर के लिए, अपना हमसफ़र बना कर तो देखो ।
प्यार है अगर हमसे, तो ज़माने को झुकाकर तो देखो ।
प्रेम का अनोखा एहसास, मन का अन्धकार मिटाकर तो देखो ।
कभी प्रेम को, अपना आधार बना कर तो देखो ।
कभी इस दिल पर, अपना अधिकार जताकर तो देखो ।
अपने प्यार पर, रिश्ते की बुनियाद बना कर तो देखो ।
अपनी चाहत की खुशबू से, साँसों को महकाकर तो देखो ।
इस अंधेरे दिल में कभी प्रेम का दीपक जलाकर तो देखो ।
कभी प्रेम को, अपना आधार बना कर तो देखो ।
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PRERANA ARIANAICK
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