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देश भक्ति काव्य लेखन

कविता ……
( 1 )

” वीर सपूतों की गाथाएं “

वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हे सुनाई है
बैरी को जिसने सीमा पर
जमकर धूल चटाई है
खड़ा हुआ सरहद पर प्रहरी
आन बान की खातिर
उसको यह मालूम कि मेरा
दुश्मन भी है शातिर
जलियांवाला कांड हुआ
जिसको सीने पर झेला था
दुश्मन की ताकत को हमने
हथ गोलों से तोला था
सीने पर बन्दूक अड़ा
शत्रु को धूल चटाई है
वीर सपूतों की गाथाएं                                 हमने तुम्हे सुनाई हे ।

मातृभूमि की आजादी पर
कितने वीर शहीद हुए
देश प्रेम में प्राण लुटाकर
कितने यहाँ फ़क़ीर हुए
भगतसिंह आजाद उधमसिंह
ने दुश्मन को ठोका था
बिस्मिल और अशफ़ाक खान
ने अंग्रेजों को रोका था
दन दन दन बंदूक चलाकर
दुश्मन फ़ौज मिटाई है
वीर सपूतों की गाथाएं                                     हमने तुम्हे सुनाई है ।

गांधी सुभाष और नेहरू के
सपनो का देश बना भारत
इंदिरा ने रणचंडी बनकर
पावन कर दी जिसकी मूरत
उस लोह पुरुष ने राष्ट्रवाद के
सपने को साकार किया
वीर जवानों के साहस की
शौर्य ध्वजा लहराई है
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हे सुनाई है ।

कितने सैनिक लड़ते लड़ते
सीमा पर प्राण लुटा बैठे
पर राष्ट्र प्रेम की वेदी पर
झुकने न दिया तिरंगे को
गजनी को पृथ्वी से तोड़ा
सीमा पर दुश्मन को रोका
दहल गया मुम्बई पर हमने
करनी का फल चखा दिया
किसके हैं नापाक इरादे
विश्व राष्ट्र को बता दिया
ध्वस्त किए आतंकी केम्प
सरहद पर धाक जमाई है
वीर सपूतों की गाथाएं
हमने तुम्हे सुनाई है ।
………..
अनिल गुप्ता
8, कोतवाली रोड़ उज्जैन

रचना पूर्णतः मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित
……….
नाम- अनिल गुप्ता
पदनाम – प्रधान संपादक
संगठन – महाकाल भ्रमण
पता – 8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
मोबाइल – 9039917912
ईमेल – [email protected]
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( 2 )
कविता

” भारत का इतिहास लिखेगें “

आओ मित्रों हम सब मिलकर
भारत का इतिहास लिखेंगे
वीर शहीदों के साहस का
शौर्य और उपमान लिखेंगे
अपनी सुख सुविधा खोकर
हमे आजादी उपहार दिया है
हम कृतज्ञ है उनके शौर्य और
साहस का दिनमान लिखेंगे
वीर शहीदों के सपनो के
भारत का इतिहास लिखेंगे

जिसने अपने हल बक्खर से
धरती की मिट्टी को चीरा
जिसने उन्नत और कौशल से
हरित क्रांति की ज्योत जगाई
जिसने अपने खून पसीने से
हमको रोटी दिलवाई
ऐसे हलधर देव पुरुष की
मेहनत का गुणगान लिखेंगे
जय जवान और जय किसान के
भारत का इतिहास लिखेंगे

कितनी मुश्किल सही वेदना
पर स्वराज अंतस से निकला
आजादी के दीवानों ने
हँसकर श्वेत कफन को ओढ़ा
सबकी खुशियो की खातिर
ले जान हथेली पर निकले
हमे सुरक्षित करने हेतु
हिम चोटी पर जा बैठे
उन वीरों की देशभक्ति पर
भगतसिंह का मान लिखेंगे
जन गण मन की जन्मभूमि पर
भारत का इतिहास लिखेंगे।
………………………….

अनिल गुप्ता
8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
रचना पूर्णतः मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित
…….
परिचय-
नाम- अनिल गुप्ता
पदनाम – प्रधान संपादक
संगठन – महाकाल भ्रमण
पता – 8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
मोबाइल – 9039917912
ईमेल – [email protected]




बेचारी बन्नी की मम्मी

बेचारी बन्नी की मम्मी
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सुबह से रात हो जाती है,
लगी रहती है,
अपने घर को सजाने में,
बच्चे जो है बिगड़ैल,
उन्हे सँवारने में।
वह रोज अपने दो कमरे के घर में,
सेण्ट छिटकती है,
कोने-कोने- को चमकाती है,
सारे सोफा, तकिया करीने से लगाती है,
और वह बच्चा, जो आठवी में पहुँच कर भी,
शब्दों को पढ़ नहीं पता,
उसे पुचकारती है,
झिड़क देता है वह अपनी माँ को,
जैसे वह, उसकी नौकरानी हो,
सायं को अपने घर में अगरबत्ती जला कर,
जैसे किसी देवता के आने की इंतज़ार करती है,
पति घर आता है,
हुलास कर जाती है पति के पास,
जुटी रहती है, उसके तीमारदारी में,
एक मिनट के लिये भी दूर नहीं जाती उससे,
क्या पता, कब क्या माँग ले वे,
बैठी रहती है,
तब तक, जब तक,
वह अपने पान मशाला भरे मुंह से,
उसके घर की और उसकी हालत,
पहले जैसा करके पैर पसार के सो ना जाये,
फिर अगले दिन वही कहानी,
कुछ दर्द जीवन में घुल कर जिंदगी जैसे ही लगने लगते है ना ?@ Manoranjan Kumar Tiwari