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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु “यादें”

यादें

[“हरिश्चंदा” (प्रेम की अनन्य गाथा) प्रेम काव्य कविता का नायक हरि अपनी चंदा का स्मरण करते हुए लेखक “हिंदी जुड़वाँ”]

मैं पलट रहा हूं पन्ना पन्ना, यादों की परछाई का
आज मेरा दिल दुखता है, बिछड़ने की जुदाई का
कितने अरसे बीत गए, अब वह कहां जवानी हैं
मिलकर भी मिल ना पाए, अधूरी प्रेम कहानी है

कोशिश हमने भी नहीं की, छूकर प्यार जताने को
कहा उसने नहीं तरसती रही, एक स्पर्श को पाने को
वह जीत रही थी क्षण क्षण, अपनी प्यारी मुस्कान से
मेरा उससे प्यार था गहरा, बढ़कर अपनी जान से

कभी उत्सुकता मन में उठती, उसको गले लगाने को
वह चाहती थी मन ही मन, मुझको दिल में छुपाने को
मुझे समझती में उसे समझता, अभी बहुत ही दूरी थी
आज पूछता हूं मेरे मन, बता कौनसी तेरी मजबूरी थी

मेरा मन उसे चाहता रह गया, इजहार नहीं कर पाया
घुटकर रहगई मेरी हसरतें, उसको कभी नहीं बताया
वह पड़ाव उम्र का तृष्णा मन की, कभी भूल ना पाए
एक दूजे को देख देखकर बिच्छड़ गए हमने चुनी जुदाई

हेतराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”
शिक्षा – MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार
सम्प्रति-हिन्दी शिक्षक, राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करसान, शिक्षा विभाग केन्द्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़
9829960882 [email protected]

माता-पिता – श्रीमती गौरां देवी, श्री कालूराम भार्गव
प्रकाशित रचनाएं –
जलियांवाला बाग दीर्घ कविता (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – खंड काव्य )
मैं हिन्दी हूँ – राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – महाकाव्य )
आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ राजस्थान भारत
कविता संग्रह शीघ्र प्रकाश्य –
वीर पंजाब की धरती (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – महाकाव्य )
तुम क्यों मौन हो – (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – खंड काव्य )
उद्देश्य– हिंदी को प्रशासनिक कार्यालयों में लोकप्रिय व प्राथमिक संचार की भाषा बनाना।
साहित्य सम्मान
स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश l
साहित्य श्री सम्मान 2020– साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र l
ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020– ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक l
सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड।
कला शिरोमणी साहित्य सम्मान 2020– ब्रजलोक साहित्य शोध संस्थान, आगरा उत्तर प्रदेश l




MAHILA DIWAS PRATIYOGITA

मै हू एक नारी
सबला होकर भी
क्यों पुकारते है अबला
हर वक्त हर कदम ये सवाल रहता
साये की तरह पीछे
सोच सोच कर हार जाती हू
जवाब ढूड नहीं पाने पर
फिर सोचती हू की –
सचमूच कही मै अबला तो नहीं
युग युग बीत गए
क्या पहले भी कभी नारी ने
नहीं किए क्या कार्य बड़े
लेकिन हाय |
ये दुनिया जालिम है
जाकर भूल नारी को
रखते याद पुरुषों को क्योंकि –
हर वक्त उन्हे रहता है अहसास
एक पुरुषत्व का
लेकिन –
आज समय बदल गया है
नारी ने खुद को संभलकर
बना ली है
अपनी अलग पहचान
पढ़ लिख कर
पा लिया स्थान बराबर
फिर भी –
आज इस देश के किसी कोने मे
बहु – बेटियों पर
होते है अत्याचार
खुद अन्याय सहकर खुद काटों पर चलकर
देती है फूल औरों को
और खुद भोगती है सजा देती है फूल औरों को
और खुद भोगती है सजा
इस जालिम दुनिया मे आने की
क्योंकि – इसी का नाम तो अबला है ..

डॉ शारदा बलिराम राऊत
( के के एम महाविद्यालय ,मानवत परभणी )
बासुरी निवास रचना कॉलनी ,मानवत
[email protected]
mo. 9422744601

 




भारत माँ से अनुरोध

राष्ट्र की ये दुखियारी धरती स्वर्ग बना दे भारत माँ,
अपनी ममता के अमृत से इसे सजा दे भारत माँ।

देश के कपटी भ्रष्टाचारी तुझसे धोखा करते हैं,
तेरे ही आँचल में रह कर रक्त ये सोखा करते हैं।
ये ‘खटमल’ जब लांघें सीमा, तांडव कर दे भारत माँ।
राष्ट्र की ये दुखियारी धरती स्वर्ग बना दे भारत माँ

हिन्दू – मुस्लिम दहक रहे हैँ द्वेष के अंगारों में।
नफ़रत के हथियार आजकल बिकते हैँ बाज़ारों में।
जात-धर्म के इस राक्षस का मर्दन कर दे भारत माँ।
राष्ट्र की ये दुखियारी धरती स्वर्ग बना दे भारत माँ

जब हम जागेंगे निद्रा से खुशहाली छा जाएगी,
फिर से भारत माता सोने की चिड़िया कहलएगी।
हम भारत के ‘सुप्त भरत’ हैं, हमें जगा दे भारत माँ। 
राष्ट्र की ये दुखियारी धरती स्वर्ग बना दे भारत माँ।

चरित दीक्षित




भारत को स्वर्ग बनाना है।

आज हमें भारत को स्वर्ग बनाना है,
अपने श्रम की बूंदों से सजाना है।

चलें राष्ट्र के गौरव को बढ़ाने हम,
आओ तोड़ दें सभी स्थूलता का ये भ्रम,
नहीं रहेगा भारत अब कोई मोहताज,
चलो दिखा दें दुनिया को अपना दमख़म।
विश्वपटल पर भारत को छा जाना है,
अपने श्रम की बूंदों से सजाना है।

हम जिस दिन भाई-भाई बन जाएंगे,
तब ही सच्चे देशभक्त कहलाएंगे,
जात-पात और सम्प्रदाय के विष को तज,
एकता का प्रेम राग सब गाएंगे।
फिर से उस स्वर्णिम युग को दोहराना है,
अपने श्रम की बूंदों से सजाना है।

हम सब की मेहनत एक दिन रंग लाएगी,
चहुंओर सुख समृद्धि छा जाएगी,
होगा सारा राष्ट्र मुक्त सब रोगों से,
तभी बात ‘बापू’ की सच हो पाएगी।
भारत को ‘निर्मल भारत’ बनाना है,
अपने श्रम की बूंदों से सजाना है।

आज हमें भारत को स्वर्ग बनाना है,
अपने श्रम की बूंदों से सजाना है।