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परधानी का चुनाव

परधानी का चुनाव
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चुनाव प्रचार पर आए
मचमचाती गाड़ी से लखदख उजले
लिबास वाले प्रधानजी ने
एक युवा से पूछा –
गांव में अब कितने आदमी होंगे?
युवा मोबाइल में देखते हुए बोला
– एक भी नहीं
वे बोले- क्या कहते हो बच्चा ?
पिछली परधानी की सूची में तो
तीन हजार थे,
युवा बोला –
वे ‘आदमी’ नहीं
सिर्फ वोटर थे,
दारूबाज,साड़ीबाज और कुछ
जातिवादी।
जो बचे ,वो अंधे, गूंगे और बहरे थे।
अगर ये सचमुच मानवतावादी होते
तो आपको परधानी की कुर्सी पर बिठाते नहीं,आप को बताते…
आज जिस मुंह से वोट मांग रहे हैं
वही आप की गलतियां दिखाते।




देशभक्ति कविता प्रतियोगिता

मेरा देश 

कश्मीर से कन्याकुमारी फैला जिसका रूप है, 

प्यारा अपना देश है वो प्यारा अपना देश है, 

गंगा जी की निर्मल धारा हिमालय की कोख़ है, 

सागर से मिलकर जिसका विलय हुआ अवशेष है। 

 

राम की धरती देती हम सबको संदेश है, 

कृष्णा की वाणी में जहाँ गीता का उपदेश है, 

भक्तों की बातों का जो लेता आदेश है, 

अपना भारत मर्यादा पुरुषोत्तम का देश है। 

 

अनगिनत भाषाओं का अनुपम जहाँ मेल है, 

अनगिनत संस्कृतियों का छाया जहाँ मेल है, 

सबकी अपनी जीवनशैली अपना परिवेश है, 

रखता अपना प्यारा भारत धर्मो का समावेश है। 

 

विविधिता में एकता जिसका परिवेश है, 

राष्ट्रहित में एकजुटता जिसका संदेश है, 

दुश्मनों को चने चबवाना जिसका प्रतिशोध है, 

अपना प्यारा भारत देशों में अनमोल देश है। 

सरिता त्रिपाठी