नवनीत शुक्ल की कविता “कंप्यूटर”
मम्मी मुझे दिलवा दो कंप्यूटर,
मिलता सारा ज्ञान इसके अंदर।
ये स्पेलिंग भी सिखलाता है,
डिक्शनरी भी दिखलाता है।
पूछो इससे जब कोई सवाल,
गूगल अंकल झट लाते जवाब।
गणित, विज्ञान सब पढ़ाता,
मिनटों में उत्तर है बतलाता।
कंप्यूटर पर चित्र बनाते हैं,
मनमर्जी के रंग लगाते हैं।
हार्डवेयर इसका शरीर है,
साफ्टवेयर इसका दिल है।
काम यह मिनटों में है करता,
जादूगर इसको मैं हूँ कहता।
मम्मी मुझे दिलवा दो कंप्यूटर,
मिलता सारा ज्ञान इसके अंदर।
रचयिता
नवनीत शुक्ल(शिक्षक)