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हेतराम हरिराम भार्गव की कविता – ‘मैं वही तुम्हारा मित्र हूं’

मैं धर्म निभाता मानवता का
मैं सत्य धर्मी का मित्र हूँ
न्याय उचित में सदा उपस्थित
मैं धर्म प्रेम का चरित्र हूँ
मैं सदा मित्र धर्म निभाने वाला
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।।

मैं मित्रता को रखता नयन
मैं ईश्वर का आभार मानकर
मैं सत्य और विश्वास निभाता
अपना सौभाग्य जानकार
मैं मित्रता के बिंदु का चित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूं।

सुनता नहीं मित्रता विरूद्ध
जो कोई आवाज उठाता है
जहाँ मित्र जुड़े हो स्नेह में
वहाँ शीश मेरा झुक जाता है
मैं मित्रता भावनाओं में पवित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

मैं निश्छल मन मानस से
मैं मित्रता प्रेम का दर्पण हूँ
मेरी हार मेरी जीत मित्रता है
मै मित्रता का अर्पण हूँ
मित्रों की मित्रता से रचित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।

स्वाभिमान प्रेम से सदा
मित्रता के निर्णय लेते आऊंगा
सदा विश्वास बांटकर मित्रता
मित्रों की सदा निभाऊंगा
मैं तुच्छ श्रेष्ठ मित्रों का जनित्र हूँ
मैं वही तुम्हारा मित्र हूँ।




नारीत्व

डॉ अरुण कुमार शास्त्री //एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त

टूट कर बिखरी थी
तभी तो निखरी थी
न टूटती न बिखरती
और न ही निखरती
नारी है वो बिना टूटे
तो कभी नहीं निखरती
मौक़ा देती है सभी को
टूटने की इन्तेहाँ तक
मौक़ा देती है प्रतीक्षा
करती है तुम्हे तुम्हारे
तुम्हारी हदों को पार
करने तक और तुम
उसकी इस उत्प्रेरणा का
अभिदान मान सम्मान
सब कुछ भूल जाते हो
तभी तो उस छद्म शक्ति
से भिड़ते चले जाते हो
छले जाने तक
उसको झुकता
और झुकता
देख झूठे दम्भ में
गर्वित अहंकार से बोझिल
तुम, हाँ हाँ तुम, कापुरुष
उसकी भावनाओ से
खिलवाड़ करते चले जाते हो
नपुंसक पौरुष को लेकर
इतराते हो
जिस पौरुष का प्रमाण
सिर्फ और सिर्फ
एकमात्र जी हाँ एकमात्र
स्त्री ही हो सकती है
जिस पौरुष का प्रमाण
सिर्फ और सिर्फ एकमात्र
जी हाँ एकमात्र
स्त्री ही हो सकती है
टूट कर बिखरी थी
तभी तो निखरी थी
न टूटती न बिखरती
और न ही निखरती
नारी है वो बिना टूटे
तो कभी नहीं निखरती
मौक़ा देती है सभी को
टूटने की इन्तेहाँ तक
मौक़ा देती है
प्रतीक्षा करती है तुम्हे तुम्हारे,
तुम्हारी हदों को
पार करने देने तक
फिर दिखाती है रौद्र
दुर्गा काली अम्बे सा रूप
और तहस नहस
कर डालती है समूल




दशानन का उभरा दर्द, ऐसे कौन जलाता है भाई…

सुशील कुमार ‘नवीन’

शहर का एक बड़ा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल। रोजाना की तरह मरीजों की आवाजाही जारी थी। प्रसिद्ध ह्रदयरोग विशेषज्ञ डॉ.रामावतार रामभरोसे ओपीडी में रोजाना की तरह मरीजों को देखने में व्यस्त थे। अचानक इंटरकॉम की बेल बजती है। ये बेल हमेशा आपातकालीन अवस्था में ही बजती है। डॉक्टर साहब ने समय को गम्भीरता को जान तुरन्त रिसीवर उठाया। रिसीवर उठते ही घबराई सी आवाज सुनाई पड़ी। डॉक्टर साहब! मैं चन्द्रकिरण आईसीयू फर्स्ट से बोल रही हूं। पेशेंट नम्बर दस सीरियस हैं। सांस बार-बार टूट रहीहै। एमओ डॉ. लक्ष्मण साहब ने आपको जल्द बुलाया है। बात सुन डॉक्टर साहब ने उसे कुछ इंजेक्शन तैयार रखने को कहा और ओपीडी बीच में ही छोड़कर वे आईसीयू की तरफ दौड़ पड़ें। 

        आईसीयू फर्स्ट कोरोना के सीरियस मरीजों के लिए विशेष तौर पर बनाया हुआ था। यहां तीन विदेशी मरीज एडमिट थे। एक भारी भरकम मदमस्त कुम्भकर्ण की दो दिन पहले मौत हो चुकी थी। दूसरे अंहकारी इंद्रजीत ने कल रात दम तोड़ दिया था। दोनों के शव कोरोना नियमों के तहत पैक कर मोर्चरी में रखे हुए थे। तीसरे मरीज अभिमानी दशानन की हालत भी खराब ही थी। रात से ही वह वेंटिलेटर पर था। उसी की हालत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाया गया था। 

      आईसीयू के बाहर ही वार्डबॉय पीपीटी किट लिए तैयार खड़ा था। डॉक्टर ने फौरन पीपीटी किट के साथ हाथों में दस्ताने पहने। मुंह पर मास्क के साथ फेसशील्ड को धारण किया। संक्रमण से बचाव के लिये ये आभूषण अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बने हुए है। बीपी इतना लो हो चुका था उसके अप होने की उम्मीद अब कम ही थी। हार्टबीट शून्यता की ओर  लगातार बढ़ रही थी। डॉक्टर ने नर्स को एक इंजेक्शन और लगाने को कहा। इंजेक्शन लगाते ही मरीज में एक बार हलचल सी हुई। पर अगले ही पल वेंटिलेटर मॉनीटर से लम्बी बीप शुरू हो गई। बीप की आवाज डॉक्टर के साथ अन्य स्टाफ को मरीज के प्राण छोड़ने का संकेत दे चुकी थी।

    डॉक्टर ने पेशेंट डायरी में ‘ही इज नो मोर’ लिखा और वहां से निकल गए। स्टाफ ने शव को प्लास्टिक कवर से पूरी तरह पैक कर उसे भी दो मॉर्चरी में भिजवा दिया। अब तीनों शवों का एक साथ ही हॉस्पिटल स्टाफ की देखरेख में ही अंतिम संस्कार किया जाना था। परिजन शव ले जाना चाहते थे परन्तु संक्रमण के डर के कारण ये अलाउड नहीं था। 

   परिजनों ने अंतिम संस्कार उनके नियमों के तहत ही करने की प्रार्थना की। उन्होंने बताया कि शवों का अंतिम संस्कार लेटाकर नहीं खड़े कर किया जाए। इसके अलावा प्रत्येक शव के साथ 20 से 25 किलो पटाखे या विस्फोटक सामग्री रखी जाए। शवों को अग्नि तीर के माध्यम से ही जाए। विदेशी थे तो सम्मान स्वरूप डॉक्टर ने उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया। एक बड़ी एम्बुलेंस में तीनों शवों को सीधे श्मशान घाट ले जाया गया। वहां पहले तीनों शवों को रस्सियों के सहारे सोशल डिस्टेंस के साथ खड़ा किया गया। दशानन का शव मेघनाथ और कुम्भकर्ण के बीच मे खड़ा किया गया। डॉक्टर लक्ष्मण ने मेघनाथ के शव को तीर के माध्यम से अग्नि दी। पटाखों की आवाज जोर-जोर से शुरू हो गई। कुछ देर के अंतराल में डॉक्टर रामभरोसे ने पहले कुम्भकर्ण और बाद में दशानन पर तीर छोड़ उन्हें विदाई दी। 

    अचानक लगा कि जैसे पटाखों के बीच से कोई बोल रहा हो। डॉक्टर रामभरोसे ने ध्यान दिया तो दशानन बोलता सुनाई पड़ा। कह रहा था- मैं कॉमनमैन नहीं हूं। दशानन हूं, दशानन। जला तो सम्मानपूर्वक देते।।न घास है न फूस। आदमी भी गिनती के चार आये हो। पटाखों में सुतली बम तो है ही नहीं।  थोड़ा बजट और बढ़ा देते या चंदा करवा लेते। भारी मन से कहा-ऐसे कौन जलाता है भाई। डॉक्टर रामभरोसे ने उसकी बात को गम्भीरता से सुना। उसे यह कहकर सांत्वना दी। कोरोना काल में तो इसी तरह विदाई मिलेगी। ये तो हमारा भला मान कि हमने महामारी के इस दौर में भी तुम्हारा दहन कर दिया। अन्यथा किसी मोर्चरी में पड़े-पड़े सड़ जाते। बाद में कमेटी वाले आते और एक गड्डा में तुम्हें खोद गाड़ जाते। फिर हो जाता सम्मान। यहां रोजाना हजारों मर रहे है। तुम कोई अकेले थोड़ ही हो।रावण कुछ बोलने ही वाला था अचानक पत्नी की आवाज सुनाई पड़ी। उठ जाओ। रावण दहन शाम को है। पता नहीं नींद में बड़बड़ाने की तुम्हारी आदत कब छूटेगी। उसकी वाकचपलता लगातार जारी थी। मैं चुपके से उठ बाहर निकल गया। दशानन की आवाज़ अभी भी गूंज रही थी-ऐसे कौन दहन करता है भाई। 

(नोट: लेख मात्र मनोरंजन के लिए है। इसे किसी के साथ व्यक्तिगत रूप में न जोड़ें।)

लेखक: 

सुशील कुमार ‘नवीन’

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद है।

9671726237




“अकादमिक विषयों के अनुवाद की उभरती प्रवृत्तियाँ” विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी 8 नवंबर को

न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका एवं राजमाता जिजाऊ शिक्षा प्रसारक मंडल के कला वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, भोसरी, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 8 नवंबर 2020  को भारतीय समयानुसार दोपहर 1 बजे “अकादमिक विषयों के अनुवाद की उभरती प्रवृत्तियाँ / Emerging Trends in Translation of Academic Disciplines”  विषय पर  अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।  पंजीकरण लिंक

  1. सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज में सृजन ऑस्ट्रेलिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला की ओर से बताया गया है कि इस अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी में उदघाटक के रूप में माननीय विलास लांडे अध्यक्ष, राजमाता जिजाऊ शिक्षा प्रसारक मंडल भूतपूर्व विधायक, भोसरी, पुणे होंगे। डॉ. जवाहर कर्णावट निदेशक हिंदी भवन, भोपाल की अध्यक्षता में होने वाली इस अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी में बीज वक्ता के रूप में प्रो सदानंद भोसले, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिन्दी शिक्षण मण्डल, सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे महाराष्ट्र मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. हरीश कुमार सेठी, इग्नू, दिल्ली और विशिष्ट वक्ताओं के रूप में सुश्री  शालिनी गर्ग, दोहा, कतर से और सुश्री हेमा कृपलानी, सिंगापुर से होंगी। डॉ.जी.एल. भोंग, प्रधानाचार्य राजमाता जिजाऊ कलावाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, भोसरी, पुणे के मार्गदर्शन में आयोजित होने वाली इस अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी का संयोजन डॉ. सजित खांडेकर द्वारा किया जा रहा है।

निम्नलिखित विषयों पर शोधआलेख आमंत्रित हैं :-
(शोध आलेख सीधे सृजन ऑस्ट्रेलिया की वेबसाईट (https://srijanaustralia.srijansansar.com) पर जमा करें :
१) अनुवाद की संकल्पना और स्वरुप
२) अनुवाद की आवश्यकता
३) अनुवाद के सिद्धांत
४) अनुवाद विज्ञान
५ )अनुवाद की सृजनशीलता
६) भारतीय भाषा और अनुवाद
७) विदेशी भाषा और अनुवाद
८) अनुवाद की प्रक्रिया
९) अनुवाद के तत्व
१०) अनुवाद का इतिहास
११)अनुवाद के प्रकार
१२)अनुवाद और कौशल्य
१३)अनुवादक के गुण
१४)विखंडनवाद और अनुवाद
१५) अनुवाद की सीमाएँ
१६) अनुवाद का शास्त्रीय विवेचन
१७) अनुवाद का व्यावहारिक विवेचन
१८)अनुवाद की तकनीक
१९)साहित्य और साहित्येतर अनुवाद: तुलना
२०)भूमंडलीकरण और अनुवाद
२१)यंत्रानुवाद की समस्याएँ
२२)भाषाविज्ञान और अनुवाद
२३)शैलीविज्ञान और अनुवाद
२४)काव्यशात्र और अनुवाद
२५) अकादमिक विषयों की अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
२६) अंग्रेजी के अनुवाद कीचु नौतियाँ और संभावना
२७) हिंदी के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
२८) मराठी के अनुवाद की नौतियाँ और संभावना
२९)इतिहास के अनुवाद कीचु नौतियाँ और संभावना
३०) भूगोल के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३१) राज्य शास्त्र के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३२) अर्थ शास्त्र के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३३) वाणिज्य केअनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३४) पत्रकारिता के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३५) विज्ञान के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३६) जैव तंत्र ज्ञान के अनुवाद कीचु नौतियाँ और संभावना
३७) दवासाजी (Pharmacy) केअनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३८) व्यवस्थापन (Management) के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
३९) नर्सिंग /दाई (nursing) के अनुवाद की चुनौतियाँ और संभावना
४०) सिनेमा और अनुवाद

टेलीग्राम लिंक – https://t.me/SrijanAustraliaIEJournaL

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