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तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ

तुम्हेंसाथ लेकर चलता हूँ
(दिल्ली की वर्धमान कवयित्री मीनाक्षी डबास के काव्य के संदर्भ में)

एक वार्ता में मीनाक्षी डबास ने कहा – “काव्य को साथ लेकर चलने से हम कलांत, खीज, अकेलेपन, अशांत माहौल से कोशों दूर प्रकृति के निकट मानवीय संवेदनाओं की अनुभूति करते हैं, यही अनुभूति के क्षण सभी के हृदय में भिन्न-भिन्न कामनाओं को नवांकुरित करते हैं, l” इसी संदर्भ में यह कविता लिखी गयी है l)

कहीं अकेलेपन में भटक कर खो न जाएं,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

सरस धारा दुलार भरी हो
जीवन खुशियों भरा हो
उमंग नव चेतना की हो
प्रेम स्नेह माधुर्य भरा हो
कहीं से जीवन की मुस्कान तुम्हें मिल जाएं,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

प्रभात में सविता जगाए
खग कलरव गान गाएं
तितलियाँ रंग भरकर जाएं
चौपाये भागे, दौड़ लगाएँ
कहीं ये सब देख तेरी दंतावली खिल जाएं,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

पेड़ों में लहराती हवा बहे
थिरक उठे झूमे ओर कहे
इस हवा संग तूँ भी तो
झूमें गाएं,मस्ती में खो जाएं
कहीं सारे नैसर्गिक वितान तुझसे खेलने आएँ,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

घर ममता भरा मिले आँचल
चहल कदमी भरा रोमांच
भाई बहनों का दुलार प्यार
सस्नेह घर स्वर्ग बन जाएं
कहीं विधाता तेरे घर आकर यही सब दे जाएं,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

महक उठे तेरा जीवन संसार
तुझको मिले सबका दुलार
तूँ उमंग बनकर जिये हरपल
तुझको मिले खुशियों के क्षण
यही सब विधाता से माँग कर ले आऊँ,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

एक दिन सवेरा अरुणाई भरकर
खुशियों के भर दोने दे जाएगा
एक दिन दाम्पत्य, ममत्व स्नेह से
तेरा घर सुन्दर स्वर्ग बन जाएगा
रोज यही सपना सजाने की दुआ माँगता हूँ,
इसलिए हमेशा तुम्हें साथ लेकर चलता हूँ l

हेतराम भार्गव & हरिराम भार्गव

हेतराम भार्गव
शिक्षा – MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार
हरिराम भार्गव
शिक्षा – MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार JRF सहित

माता-पिता – श्रीमती गौरां देवी, श्री कालूराम भार्गव
प्रकशित रचनाएं –
जलियांवाला बाग दीर्घ कविता (लेखक द्वय – खंड काव्य )
मैं हिन्दी हूँ – राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – महाकाव्य )
आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ राजस्थान भारत
कविता संग्रह  पंजाब की धरती (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – महाकाव्य )
तुम क्यों मौन हो – (लेखक द्वय हिन्दी जुड़वाँ – खंड काव्य )
पत्र – पत्रिकाएँ – शोध जर्नल
स्त्रीकाल – (यूजीसी लिस्टेड शोध पत्रिका) आजीवन सदस्यता I
अक़्सर – (यूजीसी लिस्टेड शोध पत्रिका) आजीवन सदस्यता I
अन्य भाषा, गवेषणा, इन्द्रप्रस्थ भारती, मधुमती का नियमित पठन I
समाचार पत्र – प्रभात केशरी (राजस्थान का प्रसिद्ध सप्ताहिक समाचार पत्र) में समय समय पर विभिन्न विमर्श पर लेखन I

उद्देश्य- हिंदी को प्रशासनिक कार्यालय में लोकप्रिय प्राथमिक भाषा बनाना।




उत्कर्ष

दृष्टि विहीन हुआ, मनुज संताप की वेदना भारी है,

देव,देव न रहे, निर्विवाद है
विध्वंस की भावना जारी है,

किस ओर दृष्टि डालूँ ,
कृतघ्नता चहूँ ओर,

विनिर्माण या निर्वाण
परित्याग चारो ओर,

पुष्प अब प्रस्फुटित होते नहीं,

प्रेम की ललक अब जाती रही,

भय व्याप्त हुई मंडल की आभा पर,

सत्य,प्रकाश की आशा अब आती नहीं,

उठो मनुष्य,इस प्रथा को तोड़ दो,

काल के कपाल से जीवन को छीन लो,

ध्यान के प्रभाव से तुम भरो हुंकार,

बिखरीं कड़ियों को तो बीन लो,

महा समर अभी शेष है,

दृढ़ प्रतिज्ञ तुम बनो,
धैर्य,शौर्य आयुध हैं तेरे
मानव की तुम ढाल बनो,

महा मानव की प्रति छाया दुरूह,
मृत्यु संगिनी साथ चले,

छिन्न भिन्न विच्छिन्न समर्पण
कैसे उज्ज्वल ज्योति जले.

मन मकरंद की भाँति विचरण से
आक्रोश परिलक्षित होता है,
सत्य की परिभाषा से ही
जिज्ञासा लक्षित होता है,

कृत्य,पात्र,समवेत जिज्ञासा
क्षण,क्षण विस्मृत होती जाती,

क्या अविरल नीर के बहने से
पाषाण पिघलते देखा है ?

चिर मंगल की यह बात नहीं
अनुपुरित सत्य को पूर्ण करो,

नियति,देव सब होंगे तब
निर्धारित कार्य सम्पूर्ण करो,

सर्ग, कविता, रचना कही
लेखन हो प्रतिबद्ध,

कहे बेख़ौफ़ कि स्वप्नों से
रहो सदा कटिबद्ध.

-हरिहर सिन्हा ‘बेख़ौफ़’




नवनीत शुक्ल की कविता – ‘पुस्तक बोली’

बच्चों से इक पुस्तक बोली
जितना मुझे पढ़ जाओगे
उतने ही गूढ़ रहस्य मेरे
बच्चों तुम समझ पाओगे।

मुझमें छिपे रहस्य हजारों
सारे भेद समझ जाओगे
दुनियाँ के तौर-तरीकों से
तुम परिचित हो जाओगे।

मुझे ही पढ़कर कलाम ने
पाया है जग में सम्मान
नित अध्ययन कर मेरा
विवेकानंद बने महान।

मुझमें ही है संतो की वाणी
हैं कबीर के दोहे समाहित
पढ़कर मुझको बच्चे होते हैं
कुछ नया करने को लालायित।

नित करो अध्ययन तुम मेरा
जग में रोशन हो जाओगे
सपना पूरा होगा तुम्हारा
गीता सा सम्मान पाओगे।

शिक्षक एवं पूर्व कृषि शोध छात्र, इ० वि० इ०
संपर्क : प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय, हसवा, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, मूल निवास- रायबरेली, मो : 9451231908




नवनीत शुक्ल का लेख – ‘औषधीय गुणों से भरपूर मूली’

प्रकृति ने हमें विभिन्न प्रकार के फल-फूल, सब्जियाँ एवं कंदमूल प्रदान किये हैं, इन्हीं में से पौष्टिक तत्वों से भरपूर मूली भी एक सब्जी है जो सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुतायत मात्रा में उगायी जाती है जिससे सभी आमजन परिचित हैं, परंतु इसके दिव्य औषधीय गुणों के बारे में नहीं जानते हैं। मूली का वैज्ञानिक नाम रैफेनस सैटाइवस(Raphanus Sativus) है जो ब्रेसीकेसी कुल से आती है। मूली का प्रयोग आमतौर पर खाने में सलाद के रूप में एवं विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है। मूली के बीजों से तेल भी निकाला जाता है जो रंगहीन होता है। मूली में विभिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं जो विभिन्न रोगों में लाभदायक होने के साथ-साथ शरीर की आंतरिक प्रक्रिया को ठीक रखते हैं।

प्रति एक सौ ग्राम मूली में विटामिन सी लगभग 15 मिग्रा, कैल्शियम 25 मिग्रा, सोडियम 39 मिग्रा, पौटेशियम 233 मिग्रा, मैग्नीशियम 10 मिग्रा, फास्फोरस 22 मिग्रा, खाद्य फाइबर 1.6 ग्राम, आयरन 2-3 मिग्रा एवं अन्य विभिन्न पोषक तत्व और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। आमतौर पर शीत ऋतु में आने वाली मूली अधिक फायदेमंद होती है। सुबह के समय मूली का सेवन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद होता है। मूली के जड़ के साथ-साथ उसके पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं जिनका प्रयोग औषधीय रूप में तथा सब्जी एवं पराठे बनाने में होता है।
मूली में विभिन्न लाभदायक तत्व पाये जाते हैं जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। मूली का सेवन करने से निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ होते हैं :-
(1) मूली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यदि हम खाने में मूली का सेवन करते हैं तो हड्डियाँ एवं दांत मजबूत हो जाते हैं।

(2) मूली में काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हमारे शरीर के खून को साफ करता है तथा मूली के रस में बराबर मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है और खून की कमी को दूर हो जाती है।

(3) मूली में सोडियम एवं क्लोरीन तत्व पाये जाते हैं जो पेट को साफ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं तथा पाचन क्रिया को नियमित करता है एवं सोडियम तत्व चर्मरोगों से शरीर की रक्षा करता है।

(4) मूली उच्च रक्तचाप एवं बावासीर में लाभकारी होती है।

(5) मूली के सेवन से मूत्ररोगों में लाभ मिलता है तथा ताजी मूली का नियमित सेवन पीलिया रोग में लाभकारी है।

(6) मूली के रस में नमक तथा नींबू मिलाकर नियमित सेवन करने से मोटापा जैसे भयानक रोग में लाभ होता है।

(7) यदि सिर में जूँ लगातार पड़ती हैं तो मूली के रस को पानी में मिलाकर धोयें लाभ होगा।

(8) मूली में काला नमक व नीबूं लगाकर नियमित सुबह खाने से कब्ज जैसा भयानक रोग दूर हो जाता है तथा चेहरे पर कांति आती है।

(9) यदि पेट में दर्द हो रहा है तो मूली के रस को नीबूं के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पियें आराम मिलेगा।

(10) यदि मुँह से बदबू आती है तो सुबह-सुबह मूली के पत्तों में सेंधा नमक लगाकर नियमित सेवन करें दुर्गंध नष्ट हो जायेगी।

(11) मूली के लगातार सेवन से चेहरे में चमक आती है एवं झाईयां दूर होती है तथा चेहरे पर मुहांसे नहीं होते हैं। यदि चेहरे पर मुहांसे निकल आयें हैं तो मूली का एक गोल टुकड़ा काटकर मुहासों पर लगायें तथा सूखने पर ठंडे पानी से धो लें काफी आराम मिलेगा।

(12) मूली शरीर से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड निकालकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है।

(13) मूली में विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी बढ़ाता है तथा नियमित मूली खाने से चश्मे का नंबर कम हो जाता है तथा चश्मा उतर भी जाता है।

(14) मूली के सेवन करने से शरीर का सूखापन नष्ट होता है तथा भूख बढ़ती है।

(15) मूली के सेवन से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

(16) मूली मासिक-धर्म और वीर्य पुष्टि वर्धक है तथा श्वेतप्रदर रोगों में लाभकारी है।

(17) मूली के पांच ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय लगातार एक महीने तक खाने से पौरुष बढ़ता है।

(18) जोड़ों के दर्द एवं जकड़न में मूली का सेवन लाभप्रद है।

(19) शरीर में सूजन आने पर मूली के रस को गुनगुना करके लगाने पर आराम मिलता है।

(20) मूली के नियमित सेवन से पेशाब सम्बंधी बीमारियां जैसे जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना एवं गुर्दे बीमारी आदि रोग दूर हो जाते हैं।

(21) डायबिटीज के रोगी यदि लगातार मूली का सेवन करते हैं तो लाभ होता है तथा रोग की तीव्रता कम होती है।

(22) यदि कान के सुनने की शक्ति कमजोर हो गई है तो मूली के रस में नींबू का रस मिलाकर गुनगुना करके कान में डालें तथा कान नीचे की तरफ करके लेट जाएं इससे कान की गंदगी बाहर आ जायेगी तथा सुनने की शक्ति बढ़ेगी।

(23) कान में दर्द होने पर मूली के पत्तों को सरसों के तेल में उबाल लें तथा 2-2 बूंद कान में डाल लें दर्द में आराम मिलेगा।

(24) मूली को उबालकर खाने से गर्भ विकार दूर होते हैं तथा स्थिरता आती है एवं गर्भपात नहीं होता है।

(25) मूली को करेला एवं संतरा के साथ नहीं खाना चाहिए तथा मूली खाने के बाद दूध और पानी पीने से बचना चाहिए।

शिक्षक एवं पूर्व कृषि शोध छात्र, इ० वि० इ०
संपर्क : प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय, हसवा, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, मूल निवास- रायबरेली, मो : 9451231908




विवेक की चार कविताएं

हमने हर मोड़ पर जिसके लिये, ख़ुद को जलाया है।

उसी ने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।।

किया है जिसके एहसासों ने,  मेरी रात को रोशन।

सुबह उसकी अदावत ने, मेरी रूह को जलाया है।।

मुहब्बत के थे दिन ऐसे, दुआ बस ये निकलती है।

ख़ुशी से चहके वो हरपल, मुझे जिसने रुलाया है।।

चुराया जिसने आसमाँ से, मेरे आफताब को।

वही रक़ीब उन हाथों की, लकीरों में आया है।।

सताती हैं वो तेरे प्यार की बातें,  ख्यालों में।

तेरी इस बेरुख़ी ने मुझको, पत्थरदिल बनाया है।।

किया फिर याद तुझको आज, मैंने अपने अश्क़ों से।

तेरे एहसास की जुंबिश ने, फिर इनको बहाया है।।

कि तूने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।

हमने हर मोड़ पर तेरे लिये, ख़ुद को जलाया है।।

2 – ज़िंदगी का फलसफा

सोन चिरैया धूप मेरे आँगन में आती,

और बसंत से पूर्व कोकिला सी है गाती।

फुदक-फुदक कर गौरैया सी इधर-उधर जाती है,

फिर चंचल गिलहरी सी, दीवार पे चढ़ जाती है।

दोपहरी में पसर गयी वह, अनचाहे मेहमान सी,

और शाम तक सिमट गयी वह, एक कपड़े के थान सी।।

 

3 – ख़्वाहिश

सिलसिला यूँ चलने दो, जो हो रहा है होने दो,

कुंज गली की पत्तियों सा, समय को बिखरने दो।

मन के टेढ़े रास्तों पर, मोड़ तो कई आयेंगे,

खोज में आनन्द की पर, बहुतेरे मुड़ जायेंगे।

नयन जो धुंधलायें ग़र, तुम आंसुओ से धो लेना,

सीपियों के मोतियों से, गलहार तुम पिरो लेना।

ये भी बिखर जायेंगे और मिट्टी में मिल जायेंगे,

इक अधूरी याद‌ से फिर, जी को ये तड़पायेंगे।

छूना मत‌ झुककर इन्हें, नये बीज फिर से पड़ने दो,

नये पुष्प फिर से खिलने दो, नयी आस फिर से पलने दो।

कुंज गली की पत्तियों सा, समय को बिखरने दो।।

सिलसिला यूँ चलने दो, जो हो रहा है होने दो।।

 4  स्वदेशी

राष्ट्रवाद की अलख जगाओ,

आओ स्वदेशी को अपनाओ।

छोड़ विदेशी आकर्षण को,

राष्ट्र के हित में सब लग जाओ।

माना कठिन डगर है लेकिन

हमको जुगत लगानी होगी

कोरोनामय अर्थव्यवस्था

हमको ऊपर लानी होगी।

चाइनीज़ के राग को छोड़ो

देसी मोह से नाता जोड़ो

हमसे नृप संकल्प माँगता

उसके इस भ्रम को न तोड़ो।

मिला नसीबों से ये राजा

देश के हित की बात जो करता

हम सबका उज्ज्वल भविष्य हो

आठों प्रहर हमीं पे मरता।

आज राष्ट्र के हित में ग़र हम

राजा से कदम मिलायेंगे

वह दिन भी फिर दूर न होगा

जब विश्व गुरु बन जायेंगे।