

सूफी काव्य में पर्यावरण चेतना (‘पद्मावत’ के विशेष संदर्भ में)
शोध सार हिन्दी साहित्य में काव्य की विभिन्न धाराएँ देखने को मिलती हैं। हिन्दी साहित्य की शुरुआत से
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
शोध सार हिन्दी साहित्य में काव्य की विभिन्न धाराएँ देखने को मिलती हैं। हिन्दी साहित्य की शुरुआत से
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*शिक्षा और समाज में समावेश के लिए बहुभाषावाद को बढ़ावा दे* हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा
सूफी काव्य में पर्यावरण चेतना
<span;>कल जहां बसती थी खुशियां आज है मातम वहां…। हिंदी फिल्म ‘वक्त’ का यह मशहूर गीत रामवृक्ष बेनीपुरी
दंश दासता से घायलभारत का जन जन था।।मन में आज़ादी कीचिंगारी ज्वाला अंगारलिये व्यथित भारत वासी था।।सन सत्तावन
कोई पूछ बैठे कि जुआ अधिक से अधिक किस देश में खेला जाता है? तो ’देश’ सुनते ही
सुशील कुमार ‘नवीन’ ‘एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति!’ अर्थात् एक मैं ही हूं दूसरा सब
103 साल के युवा : हमारे गोखले बुवा महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी एवं ऐतिहासिक शहर पुणे के