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अंतर राषट्रीय कवि सम्मेलन हेतु प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

 

अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन हेतु,प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु

  1. मनुकुल का सृजन- श्रृंगार

 

अधूरा है जीवन जिए बिन श्रृंगार,

रसिकता ही जीवन का नित आधार।

भावानंद है प्रणय का सरगम,

शिव-शिवा का हृद्य समागम।

 

जीव-जीव का भाव- रस बहार,

नस-नस में  सदा खुशी की फुहार,

मिला दिव्य क्षितिज का भव्य आसरा,

पुलकित है उन्मादित आर्द्र वसुंधरा।

 

प्रेम गीत के है चतुर वादक नर,

दिव्य सुरीली बांसुरी नित नार।

रही अमृत सिंचन के राग विलास,

हो सदा राधा-माधव प्रेम-लीला रास।

 

तरु से लिपटी लता सदा प्यारी,

सावन संभ्रम की बेला ही न्यारी।

मदन से लिपटी रति सदानुरागी,

जिए युगल अविरत प्रेमानुभोगी।

 

नारी है एक सितार, सुर-सागर,

नर रहा है सदैव सुरीली तार।

मनु-शतरूपा का सुखद मिलन-

से नित संपन्न मनु-कुल सृजन।

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  1. सदा वसंत

 

तन भर रंगों के बहार लिए,

झूम उठी है ऋतु राज प्रिये।

निहार के वसंत का सुखद आगमन,

हुए उन्मादित अवनि के तन-मन।

 

तरु-लता की आनंद की होली,

मधुकर- पुष्प की आँख मिचोली।

उन्मत्त हुआ भृंग, मधु-पान किए,

खिला पुष्प फलित होने की आस लिए।

 

प्यार ही चंदन, प्यार ही बंधन,

प्यार से प्रकृति में है नित स्पंदन।

प्यार तो है सदा बहुत ही न्यारा,

प्यार में डूबा है हर पल जग सारा।

 

प्यार ही अनुबंध की नितांत बेला,

प्यार से ही बनी है सृष्टि की लीला।

है प्यार से नव-नवीन हुआ जग जीवन,

सदा वसंत है जीव राशि के तन –मन।

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