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देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता

शहीद 

देश की आन पर कुर्बान हो गए 

सरहदों पर जो अड़े मेरी जान हो गए

 हूँकारते रहे वो सिहं सी दहाड़ से

 मात दे वो मौत को हिंदुस्तान होगए  

 

वतन तेरी याद का दिया जला गए

 दुश्मनों के सीने में तिरंगा गड़ा गए

 वो शहिदी पा के भगवान हो गए 

देश की आन पर कुर्बान हो गए

 

खून मेरा.पानी ना वह तो उबल गया 

शत्रु की  धरती पर ज्वाला उगल गया

प्राण जो बचे रहे हिन्द ए शान होगए 

देश की आन पर……. कुर्बान हो गए 

 

दनदनाती गोलियां या बम के गोलेहो 

चीर दूंगा छातियां जो तने वतन पे जो

जयकारा देते हिंद का चिर निंद्रा सो

गए देश की आन पर..कुर्बान हो गए 

 

मां मेरी भी मेरा इंतजार करती है 

कामिनी मेरी सदा है  आहें भरती है

 मां बना हम भारती, एक पैगाम हो

गए देश की आन पर.. कुर्बान हो गए 

 

कहता है दिल मेरा की याद कर लेना

मेरी मां बहन बीवी को सम्मान दे देना

शहीदी ना भूलें हम प्राणदान कर गए

देश की आन पर…कुर्बान हो गये