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नारी : तेरे बिन जग कुछ सूना है

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के कवि सम्मेलन हेतु

 

नारी तुम कितनी हो महान, 

तुम जग को दे सर्वस्व दान,

है कर्म किया कितना महान,

बस ये जग करे तुम्हारा मान।

गौतम,गांधी हों या हों कबीर,

ईशू ,नानक या औलिया पीर, 

लव कुश हों या फिर कर्मवीर, 

प्रचंड शौर्य शक्ति के परमवीर।

       नर कितने ही बन गये हों महान,

       माँ बन, अंगुली पकड चलाया है,

       तेरी ममता की ऑचल  छाया में,

       नर ने हर पल सुकून को पाया है।

कभी तुम अर्द्ध नहीं हो अपने में,

पर अधूरे नर को पूर्ण बनाया है,

इस आधे संसार की भरपाई हेतु,

अपना सब कुछ वजूद लुटाया है ।

     तेरे बिन यह जग बहुत ही सूना है,

     आखिर तुम क्यों सूनी यूँ अपने में,

      यह ऑसू की बूँदें क्यों बता रही हैं,

     आज फिर लुटा कुछ फिर सपने में।