देखो मेरे नाम सखी
देखो मेरे नाम सखी “
प्रियतम की चिट्ठी आई है देखो मेरे नाम सखी
विरह वेदना अगन प्रेम की लिक्खी मेरे नाम सखी ।
आसमान में काले बादल कैसे उमड़ घुमड़ आए
अंधकार में एक बदरिया लिक्खी मेरे नाम सखी ।
कुंकूम बिंदिया चूड़ी कंगना पायल की झंकार बजी
हर धड़कन में उनकी खुशबू लिक्खी मेरे नज़्म सखी ।
कर्तव्यों की पगडंडी पर मन की गागर मचल गई
पनघट की सब चुहल बाजियां लिक्खी मेरे नाम सखी ।
हाथों में मेंहदी साजन की सुर्ख महावर पैरों में
साँसो में संदल की खुशबू लिक्खी मेरे नाम सखी ।
चन्द्र किरण बनकर तुम मेरे चंचल मन उपवन में आई
चंदा की सारी शितलता लिक्खी मेरे नाम सखी ।
अंग अंग में तपन लगे है अनुबंधों की गांठ खुली
भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नाम सखी ।
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अनिल गुप्ता
कोतवाली रोड़ उज्जैन
संपर्क- 9039917912