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यातायात

 
यातायात-नवगीत

 
यातायात मन में
दु:ख-विषाद का
चल रहा है।
 
जगह-जगह हो रही
दुर्घटना है।
हो चाहे भोपाल
या पटना है।।
 
हैं कैसा समय
चाँदनी का
रूप जल रहा है।
 
धूल-धुंध में डूबी
हैं हवाएँ।
यहाँ पर पखेरू
मर्सिया गाएँ।।
 
घटाएँ घिरी हुई
और मौसम
बदल रहा है।
 
अविनाश ब्यौहार
जबलपुर मप्र