तपोवन
तपोवन
शौर्य प्रखर निखर सूरज पूर्णिमा चन्द्र
हलाहल विष भरा जहां मधुर मिठास अमृत जैसा।।
ऊंचाई गौरी शंकर पर्वत गहराई समुद्र अंतर मन प्रशांत प्रतिदिन मंथन सागर जैसा।।
राष्ट्र समाज दृष्टि दिशा दृष्टिकोण
शाश्वत पुरस्कार वर्तमान में यत्नो रत्नों जैसा।।
प्रतिदिन सत्संग नकारात्मक सकारात्मक के प्रतिकर्षण का
नव चमत्कार उजियार जैसा।।
विश्वाश आश आशाओं आकाश जन चकोर की अभिलाषा जीवन मार्ग उत्सर्ग उत्कर्ष जैसा।।
जीवन तप तपोवन की गमक गन ग्राम जैसा शिव नारायण ब्रह्म त्रिदेव
संपूर्णता की साहस शक्ति जैसा।।
ईश्वर से यही प्रार्थन ना विराम थके ना हारे जब तक पहुंच ना जाये भारत के
जन जन मन द्वारे जीवन के मौलिक
मूल्यों जैसा।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।