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अनुष्ठान

अनुष्ठान

अनुष्ठान जीवन का चलता रहे
शौम्य शांत संचारित संस्कार
करता रहे।।

भ्रम अनिश्चय का अँधेरा हटे
राष्ट्र समाज गौरव मान प्रकाशित
होता रहे।।

जीवन कि तपस्या का पुण्य प्रताप
प्रसाद युग युवा पीढ़ी का धन्य धरोहर
बनता रहे।।

अनमोल अनूठा पल परम्परा नई परंपरा संपत्ति समय राष्ट्र समाज सत्य
सिद्धान्त फलता फूलता रहे।।

जीवन समय समाज नित नव संग्राम के महारथी सार शात्र शत्र का मार्ग दर्शन करते रहे।।

सौभाग्य अभिमान का समय
काल नित्यका वर्तमान भविष्य
मार्ग दर्शन करता रहे ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।