गंगा
जय गंगे माता ,निश दिन जो तुझे
धता सुख संपत्ति पाता ।।
मईया जय गंगे माता ।।
ब्रह्मा के कर कमण्डल से शिव शंकर जटाओं प्रवाह तेरा प्रवाह है आता।
गो मुख से उद्गम ,तेरा पतित पावनि माता मईया जय गंगे माता ।।
सगर कुल तारिणी ,भगीरथ तप से धरती पर लता ,सकल पदारथ दायनी मोक्ष कि माता मईया जय गंगे माता।।
ब्रह्म मुहूर्त कीे ध्यान ,ज्ञान ,स्नान कि मनभावनी माता मईया जय गंगे माता।।
तेरा पानी अमृत निर्मल, निर्झर बहता बजु करे कोई तेरे जल से खुदा को आवाज लगाता कोई अभिषेख करे ईश्वर का तेरे जल से तू सबकी आस्था तेरा सबसे नाता मईया जय गंगे माता।।
खेतों कि हरियाली खेतों कि, खुशहाली किसान कि ,गावँ किसान से तेरा घर परिवार का नता रिश्ता नाता मईया जय गङ्गे माता।।
धर्म ,कर्म कि जननी सद्गति दायनि तेरे जल के अमृत कलश कुम्भ कि पावन डुबकी से मानव तर जाता ।
मईया जय गंगे माता।।
सकल मनोकामना दायनी मंगल कर्ता अमंगल हर्ता मईया जय गंगे माता।।
गंगोत्री ,हरिद्वार हरी कि पैड़ी, अदृश्य सरस्वती ,प्रत्यक्ष यमुना का संगम हर्ष आनंद का दाता मईया जय गंगे माता।।
काशी में घाटों का पावन तट विश्व विशेश्वर को भाता ।
मरणकर्णिका मुक्ति धाम, महाकाल का श्मशान मुक्ति बोध कि मुक्ति धाम कि माता मईया जय गंगे माता।
पाटलिपुत्र का अविरल अवतरण बौद्ध बिहार का संस्कार अखंड भारत के सिंह मौर्य का शौर्य विष्णु गुप्त का ज्ञान ,कर्म धर्म बताता मईया जय गंगे माता।।
सागर कि गहराई जीवन कि सच्चाई में विलय तुम्हारा ।
जन्म जीवन कि निरंतरता का सत्य अनन्त भगवंत का आदि अनंत भाव जगाता मईया जय गंगे माता।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर