भारत के उद्योग पुरुष जमशेद जी टाटा
——-जमशेद जी टाटा——-
कभी कभी कोई लम्हा
युग प्रेरणा का इतिहास
बनाता है ।।
इन लम्हों के कदमों के
संग युग चलता जाता है।।
दिन महीने साल दशक
गुजरता जाता है प्रेरक
परिवर्तन का लम्हा खास
युग दिग्दर्शक बन जाता हैं।।
वासंती बयार मधुमास मौसम
खुशियों का आज भी गुजरात
सोम नाथ द्वारिका की पावन
भूमि भरत भारत का सांस्कारिक
वरदान कहलाता है।।
अंग्रेजी माह मार्च की तारीख
तीन वसंत ऋतु मौसम का
राजा मधुमास सन अठ्ठारह सौ
उन्तालीस का दिन लम्हा गवाह वर्तमान को खुद का इतिहास बताता है।। पारसी पादरी
परिवार नौसर जीवन बाई का
लाडला दुनिया मे आता है ना
कोई हलचल ना कोलाहल
शांत सुगन्ध बसंत ओजस्वी
बालक के कदमों की हलचल
सुनाता है।।
लम्हा दर लम्हा गुजरे बालक वय
किशोर पिता संग मुंबई आता है हीरा डाबू संग जीवन बंधन
में बंध जाता है ।।
पिता नौसर के कारोबार का
सहयोगी आज्ञाकारी अनुशासित
बेटा स्नातक की डिग्री पाता है।।
अच्छी खासा कारोबार पिता का
फिर भी युवा ओज की सोच अलग
जीवन मे कुछ करने की ललक अलग
जमशेद जी टाटा कहलाता है।।
खुद की बचत रुपये इक्कीस हज़ार
उद्देश्य पथ का मतवाला भारत का
सच्चा सपूत रखी सन उन्नीस सौ अड़सठ भारत मे भरतीय उद्योग उदय वर्ष सा जाना जाता है।। प्रथम स्पिनिंग मिल की नींव भारतीय रखी उद्योगों की प्रेरक प्रेरणा की बुनियाद आज दुनियां के नौजवानों को उद्यमी उद्योग का मौलिक सिद्धान्त बताता है।।
जमशेद जी
टाटा भारत के वर्तमान का स्वर्णिम
अध्याय पराक्रम पुरुषार्थ भारत का
उद्योग जनक कहलाता है।।
नौसेरी गुजरात से मुम्बई की
कर्म भूमि भारत को कर्म धर्म
का जमशेद जी टाटा विधि विधान की व्यख्या बतलाता है।।
नागपुर का कपास मिल नया पड़ाव
महाराष्ट्र को सौगात नित नए आयाम
रचता कीर्तमान जमशेद जी
टाटा ने रखी भारत मे उद्योग की मजबूत बुनियाद।।
चाहे हो पहाड़ या पठार रेगिस्तान हो चाहे दुर्गम पथरीली चट्टान चाहे हो सागर की गहराई, गांव
शहर हो या बर्फीले बस्ती के इंसान
टाटा का कोई ना कोई उत्पाद
जीवन के संग संग जीता जाता है।।
सात लाख को रोजगार ना जाने
कितने जन कल्याण के कार्य निःस्वार्थ
टाटा समूह करता जाता है आज।।
भारत के आन मान सम्मान का प्रतीक
प्रमाण प्रकाश जमशेद जी के आत्म
सम्मान की गौरव गाथा भारत के आजादी का जज्बा ज्वाला नाज़ होटल
ताज आज कहलाता है।।
आना जाना तो दुनियां की सच्चाई है
समय संग समाज संस्था राष्ट्र चलता
जाता है जो कोई समय की गति में
अपने होने का युग को एहसास कराता है वही युग प्रेरणा का दिग्दर्शन जमशेद जी टाटा कहलाता कहलाता है।।
नंदलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश