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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता नैतिकता और नारी

घृणा घमंड का उत्पात
अनैतिकता अत्याचार की
बोझिल नारी ।।
युग मानवता परम् शक्ति
सत्ता पर भारी नारी।।
दहेज का दानव हो
या वहसी का व्यभिचार
या कोख की शोक युग
मानवता नारी से हारी।।
नारी का सम्मान
प्रगतिशील युग समाज
की बारी फुलवारी।।
बेटी बैभव नारी का आधार
ओजस्वी राष्ट्र  की नारी पहचान परिवार की नाज़
अरमानों उम्मीदों की विश्वास।।
बेटी का जीवन पल प्रहर संग्राम
अस्तित्व की खातिर माँ की
कोख में लड़तीं जीवन पथ
की योद्धा महान।।
पैदा होते ही माँ को ताना
किशोर में हुई तो कुत्सित
दृष्टि का ताना बाना
पल प्रहर लड़ती जाती
बेटी के लिये दुनिया युद्ध
मैदान।।
रिश्तो का गौरव मान
फिर भी बेटी को रिश्तो से भय
बाहर दुनिया तमाम का भय
कहीं चैन सुकून नही।
फिर भी निर्भीक निडर
मान अपमान में सहज
आसमान में उड़ती आशाओं
के पंख संग बेटी अरमानो की
लिये  नारीआस्था आस ।।