अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता वर्तमान की खुशहाल बेटी भविष्य की सक्षम नारी
बेटी की किलकारी
मन आँगन घर आँगन की
खुशियों का प्यार परिवार।।
पढ़ती बेटी बढ़ती बेटी
उम्मीदों की नारी का आशीर्वाद
संसार।।
कली किसलय फूल
गुलशन की चमन बाहर
खुशी खास खासियत खुशबू
मुस्कान।।
बेटी आवारा भौरों के
पुरुष प्रधान समाज मे
जोखिम खतरों से अंजान।।
युवा नही उमंग नहीं कायर होते जो
करते नही बेटी बहनों का
मान सम्मान मर्द महान के
मान मर्दक दर्द दंश अभिशाप।।
जिस घर मे मिलता प्यार परवरिश
भाई बेटों का बहनों को लाड दुलार
घर मंदिर सा घर मे देवो का वास।।
बेटा बेटी एक समान
गली मोहल्ला सड़क चौराहा हो
सफर हवाई जहाज सड़क रेल का
या हो मेला हाट पल पल काल
खंड की गति बेटी नारी औरत
महिला मां बहन का गर होता
सत्कार हर सूर्योदय नया उमंग
चाहत की खुशियो की चाँद
चॉदनी उल्लास।।
बेटी कर्म कोख की महिमा
मर्यादा मर्म धर्म का भान।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश