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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

युवा किशोर कोमल कली
किसलय आवारा अहंकार के
पुरुष समाज में रौदी जाती नारी।।
लज्या भय की मारी कभी
खड़ी न्यायालय में कभी किसी
कार्यालय में खुद के सम्मान की
गुहार लगाती नारी।।
आँखे सुनी ,आँखे सुखी स्वर्णिम
भविष्य का आश विश्वास का राह
खोजती नारी।।
कहती है दुनिया सारी मैं नारी हूँ
दुनिया है मुझसे ,मूझसे है दुनिया सारी।।
हर रोज पल मरती और मिटाई जाती बेबस ,लाचार तड़प -तड़प
कर जीती जाती नारी।।
कहती है दुनिया फिर भी
नर की नारायण हूँ
परम् शक्ति सत्ता ईश्वर की अर्ध
नारीश्वर सम मै नारी हूँ दुनिया सारी।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश