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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

संवेदनाओं के सभ्य समाज का
आधार अभिमान मै हूँ नारी।।
बहन बेटी माँ हूँ नरोत्तम पुरुषोत्तम की हूँ निमात्री।।
ऐसा भी हो जाता है अक्सर
नारी ही नारी की दुश्मन
नारी पर भारी।।
सदमार्ग पर संग संग चलने
के वजाय अँधेरी गलियो के
दल दल में धकेलती नारी को
नारी,नारी ही नारी को बना देती
समाज की बिमारी।।
नहीं करेगी जब तक नारी
नारी का सम्मान खुद की पीड़ा
दर्द घाब भाव भावना को लेती
जब तक नारी -नारी आपस में
मील बांट पुरूष प्रधान समाज
नारी पर होगा भारी कैसे हो सकती बराबरी।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश