महिला दिवस काव्य लेखन प्रतियोगिता
फिर भी हर बार छली जाती है “औरत” …..
हर रूप में ढलकर संवर जाती है औरत।
प्रेम, आस्था, विश्वास की सूरत होती है औरत।
नफ़रत की दुनिया में प्यार की मूरत होती है औरत।
रिश्तो की डोर से, अस्तित्व को संभालती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
पुरुषों का माध्यम बन फिर क्यों सताई जाती है औरत।
फूल जैसी कोमल काँटों जितनी कठोर होती है औरत।
सभी ज़िम्मेदारियों को हँस कर निभा लेती है औरत।
दुःख की साथी और सुख का अमृत बरसाती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
दुष्टों का संहार और ईश्वर का उपहार होती है औरत।
मानव ही नहीं देवों में भी पूज्यमान होती है औरत।
ममतामयी, करुनामयी, शक्ति संपन्न होती है औरत।
मन ही मन में रोती, फिर भी बाहर से हँसती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
प्रेम की शुरुआत, जीवन का आगाज़ होती है औरत।
दर्द-त्याग और ममता की पहचान होती है औरत।
चाँद की चादनी, सूरज की किरण होती है औरत।
आन-बान, शान, संस्कारों की खान होती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
सरस्वती का ज्ञान घर की लक्ष्मी होती है औरत।
अपराध बढ़े जगत में, तो काली-दुर्गा बनती है औरत।
नारी के रूप में नारायणी का अवतार होती है औरत।
हर घर के आंगन की तुलसी होती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
भगवान भी झुक जाये आगे जिसके ऐसी होती है औरत।
सब कुछ न्यौछावर कर घर स्वर्ग बनाती है औरत।
अधिकारों से वंचित, कर्तव्यों को निभाती है औरत।
नारी की तीनों शक्तियों से परिचय कराती है औरत।
फिर भी हर बार छली जाती है औरत …..
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PRERANA ARIANAICK
CLASS : 12/ COLLEGE: MGI MOKA, Mauritius
18 YEARS
Address: Royal Road La Rosa, New-Grove, Mauritius
+23059119263 / +23059238444
Title : फिर भी हर बार छली जाती है “औरत”