शापित अभिवादन
शापित अभिवादन
गुरु मैं सामने खड़ा हूँ
ठीक आपके आँखों के बीच
आईने के अश्क में
चेहरे के भीतर चेहरों को देखता हुआ
हाथों से छीन लिया आपने
मेरा आने वाला भविष्य और
मैं अभी भी भीग रहा हूँ उसी
एकलव्य पथ पर
आखिर कब तक बिना बारिश के
ऐसे ही भीगता रहूँगा ……… ?
— डॉ. बृजेश कुमार