पहली बार
पहली बार
छूकर उसे अनछुवा कर दिया
और अब मैं लिख रहा हूँ
अपनी भाषा
धीरे –धीरे उसके चेहरे पर
कल फिर से उसकी खामोशी को
पढ़ने के लिए |
——– डॉ बृजेश कुमार
1
छूकर उसे अनछुवा कर दिया
और अब मैं लिख रहा हूँ
अपनी भाषा
धीरे –धीरे उसके चेहरे पर
कल फिर से उसकी खामोशी को
पढ़ने के लिए |
——– डॉ बृजेश कुमार