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लोहड़ी का त्यौहार

लोहड़ी का त्यौहार

आया आज लोहड़ी का त्यौहार है
सबके दिलों में खिली कैसी बहार है
ढोल नगाड़े पर थिरक रहा है कोई
कोई गा रहा मधुर गीतों के गान है

तिल में मिले गुड़ की फैली महक है
उड़ती पतंगों से खिल गया दिल है
रेवड़ी खील का प्रसाद बट रहा कहीं
कहीं सुन्दरी-मुन्दरी की गूंज है

मस्ती भरी देखो कैसी सुहानी शाम है
आग के चारों ओर हो रही धूमधाम है
भांगड़ा कर रहे है मुंडे कहीं
कहीं गिद्दा कर रहीं कुड़ियां है

घर घर में बन रहे पकवान है
सरसों दा साग मक्के दी रोटी है
संदेशों की हो रही दस्तक कहीं
कहीं लोहड़ी दी बधाइयां है

मौलिक एवम् स्वरचित

जगदीश गोकलानी “जग ग्वालियरी”

लोहड़ी की लख लख शुभकामनाएं